नयी दिल्ली, 17 मार्च (भाषा) सीआरपीएफ प्रमुख कुलदीप सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह हवाई मार्ग से घायल जवानों की निकासी में देरी के लिए किसी पर दोष नहीं मढ़ सकते और खुद को कसूरवार ठहराएंगे। हालांकि, उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि कई बार नक्सल विरोधी अभियानों के दौरान इस तरह के कार्यों को अंजाम देने में ‘व्यावहारिक कठिनाइयां’ सामने आती हैं।
बिहार में हाल ही में हुई एक घटना का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा, “हेलीकॉप्टर अधिकारी को क्यों नहीं निकाल सका, यह एक बड़ा तकनीकी मुद्दा है।” इस घटना के तहत बिहार में घायल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक अधिकारी को सात घंटे से अधिक समय तक एयरलिफ्ट नहीं किया जा सका था।
19 मार्च को सबसे बड़े अर्धसैनिक बल के 83वें स्थापना दिवस से पहले संवाददाताओं से बातचीत में सिंह ने कहा, “अगर आप पूछेंगे कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है तो मैं खुद को कसूरवार ठहराऊंगा। जवानों को हेलीकॉप्टर की उपलब्धता सुनिश्चित कराना हमारी जिम्मेदारी है, क्योंकि वो हम हैं, जो उन्हें घातक अभियानों पर भेजते हैं।”
उन्होंने कहा, “अगर किसी को कसूरवार ठहराया जाना चाहिए तो वो मैं हूं। मैं किसी और पर दोष नहीं मढ़ सकता।”
सीआरपीएफ महानिदेशक ने हालांकि कहा, “मैं आपको बता सकता हूं कि नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में उड़ान भरने वाले पायलट और एजेंसियां पेशेवर हैं, लेकिन इन हवाई निकासी अभियानों को अंजाम देने में व्यावहारिक कठिनाइयां हैं।”
उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ अधिकारी भारतीय वायुसेना और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के शीर्ष अफसरों के साथ होने वाली बैठकों में हवाई निकासी अभियानों में देरी से संबंधित चिंताओं का मुद्दा लगातार उठाते हैं। वायुसेना और बीएसएफ नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में तैनात जवानों की मदद के लिए हेलीकॉप्टर का संचालन करते हैं।
सिंह के मुताबिक, जब भी इस बात पर ‘संदेह’ होता है कि एक विशेष हवाई निकासी अभियान को उस तरह से अंजाम नहीं दिया जा सका, जैसा कि दिया जाना चाहिए था या फिर पायलट खराब दृश्यता या मौसम की स्थिति का हवाला देते हुए उड़ान भरने से इनकार करते हैं, तब सीआरपीएफ इस मुद्दे को वरिष्ठ प्राधिकारियों के सामने उठाता है।
उन्होंने कहा, “घायल या शहीद जवानों के परिजनों की तकलीफ को देखकर हमें भी दुख होता है, लेकिन मैं आपको बता सकता हूं कि यह वास्तव में किसी की गलती नहीं है। हमने पाया है कि तत्कालीन परिस्थितियों में पायलट ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिया है।”
सिंह ने कहा, “इसके अलावा, हम उस समय पायलट या चालक दल के सदस्यों द्वारा लिए गए निर्णय पर भी टिप्पणी करने में सक्षम नहीं हैं। हम अपने पेशेवर दृष्टिकोण के हिसाब से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैं।”
उन्होंने कहा, “मेरी राय में निकासी अभियान को तत्काल अंजाम दिया जाना चाहिए, लेकिन अगर पायलट मौसम या अन्य कारणों से लैंडिंग में असमर्थ होने की बात कहता है तो मेरे पास उस पर संदेह करने की कोई प्रक्रिया नहीं है। हम उन पर कर्तव्यों का पालन न करने का आरोप नहीं लगा सकते हैं।”
सिंह के मुताबिक, वायुसेना और अन्य हवाई निकायों के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा उन्हें बताया गया है कि 99.9 फीसदी मामलों में हवाई निकासी अभियानों को इसलिए अंजाम नहीं दिया जा सका, क्योंकि वह मुमकिन नहीं था।
बिहार की घटना का जिक्र करते हुए सीआरपीएफ महानिदेशक ने कहा कि सहायक कमांडेंट बिभोर सिंह को बेहतर इलाज के लिए नहीं निकाला जा सका, क्योंकि पायलट ने रात में गया से रांची के लिए उड़ान नहीं भरी और उन्होंने घायल अधिकारी को एम्स दिल्ली ले जाने के लिए अगले दिन एक एयर एम्बुलेंस भेजी।
उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ के भीतर एक ‘समर्पित’ हवाई शाखा स्थापित करने की दिशा में लॉजिस्टिक, रखरखाव और अन्य मुद्दे आड़े आते हैं।
भाषा
पारुल पवनेश
पवनेश
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