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Wednesday, 27 August, 2025
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बेदखली अभियान को लेकर मेरे इस्तीफे से जुड़ी जमीयत की मांग की मैं परवाह नहीं करता: हिमंत

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गुवाहाटी, 23 अगस्त (भाषा) असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने शनिवार को कहा कि उन्हें इस बात की परवाह नहीं है कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में बेदखली अभियान को लेकर जमीयत-उलेमा-ए-हिंद द्वारा उनके इस्तीफे की मांग की जा रही है।

जमीयत ने हिमंत पर घृणा फैलाने से जुड़े कानूनों के तहत भी मामला दर्ज करने की मांग की है।

शर्मा ने कहा कि अगर उन्हें जमीयत के अध्यक्ष महमूद मदनी मिल गए, तो वह इस्लामी विद्वान को बांग्लादेश भेज देंगे।

वर्ष 1919 में स्थापित जमीयत-उलेमा-ए-हिंद को भारतीय मुसलमानों का सबसे बड़ा और सबसे प्रभावशाली संगठन माना जाता है।

शर्मा ने मोरीगांव में एक कार्यक्रम से इतर मीडिया से कहा, ‘‘मैं आधिकारिक तौर पर उन्हें अपना ‘बुरहा अंगुली’ (अंगूठा) दिखा रहा हूं। मेरे इस अंगूठे में असमिया खून, ताकत और साहस है। मुझे उनकी मांगों की परवाह नहीं है।’’

मदनी की अध्यक्षता में जमीयत की कार्यसमिति ने बुधवार को असम में जारी बेदखली अभियानों को लेकर चिंता व्यक्त की जिसके कारण 50,000 से अधिक परिवार बेघर हो गए हैं, जिनमें ज्यादातर बांग्ला भाषी मुसलमान हैं।

एक प्रस्ताव पारित करते हुए संगठन ने भारत के संवैधानिक प्राधिकारियों (विशेषकर भारत के राष्ट्रपति और भारत के प्रधान न्यायाधीश) से असम के मुख्यमंत्री को तुरंत हटाने और उनके खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण के लिए आपराधिक कार्रवाई शुरू करने का आह्वान किया।

मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि मदनी ने ही कांग्रेस सरकार में शिक्षा मंत्री रहते हुए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण करने वाले शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होने दी थी।

शर्मा ने हाल में दावा किया था कि मई 2021 में उनकी सरकार के सत्ता में आने के बाद से 160 वर्ग किलोमीटर से अधिक भूमि अतिक्रमण से मुक्त कराई गई है, जिससे 50,000 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं।

उन्होंने कहा कि वन भूमि, वीजीआर (ग्राम चरागाह रिजर्व), पीजीआर (पेशेवर चरागाह रिजर्व), वैष्णव मठ, ‘नामघर’ (प्रार्थना स्थल) और अन्य सार्वजनिक क्षेत्रों पर सभी अनधिकृत कब्जों को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा।

भाषा संतोष देवेंद्र

देवेंद्र

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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