नई दिल्ली: वो न्यूयॉर्क शेयर बाज़ार का ‘सातवां सबसे बड़ा व्यापारी’ होने का दावा करता था, जिसके पास ख़ूब पैसा था और जिसे ‘स्वदेशी एप्स’ विकसित करने में विशेष रुचि थी, और उसका वादा था कि इनसे भारतीय निवेशक ढेर सारा पैसा बना सकते हैं.
41 वर्षीय नील पटेल- गुजरात का बेटा और ज़ाहिरी तौर पर अमेरिकी सफलता की एक कहानी- एक ठोस बाज़ी लगता था जब 2020 में, भारत के ट्विटर सीन पर उसे शोहरत हासिल हुई.
वो बड़ी शान से सोशल मीडिया पर महल जैसे अपने अमेरिकी आवास का दिखावा करता था, उसका हज़ारों फॉलोअर्स के साथ एक सत्यापित खाता था, जिनमें पुलिस अधिकारी, मंत्री व पत्रकार शामिल थे, और साथ ही कुछ प्रमुख ‘दक्षिण-पंथी हैण्डल्स’ थे, जो आत्म-निर्भर भारत के उसके समर्थन की सराहना करते थे, ऐसे समय में जब चीन के साथ तनाव और चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का आंदोलन अपने चरम पर था. भावी निवेशकों के पास उसकी साख पर शक करने का कोई कारण नहीं था.
और उन्होंने ख़ूब ख़र्च किया: नारदपे कहा जाने वाला एक भुगतान गेटवे, स्क्वीक्स नाम का एक ट्विटर सोशल मीडिया ऐप, सस्ते आईफोन्स और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स की स्कीम, छात्रों के लिए एक छात्रवृत्ति कार्यक्रम, शेयर्स पर एक ई-ज्ञान कोर्स, इथेरियम और बिटकॉइन में डील करने वाला एक विदेशी मुद्रा व्यापार प्लेटफॉर्म, और कई दूसरी कथित निवेश स्कीमें. पटेल ने निवेश पर भारी वापसी और नौकरियों तक का वादा किया, और सैकड़ों लोगों ने उस पर यक़ीन भी कर लिया.
लेकिन, फिर अचानक उसने अपनी दुकान बंद कर ली, और लोगों का पैसा लौटाने से इनकार कर दिया.
कुछ निवेशकों का दावा था कि बड़ा मुनाफा कमाने की उम्मीद में, उसकी स्कीमों में पैसा लगाने के लिए, उन्होंने अपनी संपत्ति और गहने तक गिरवी रख दिए थे, लेकिन अंत में उनके लाखों रुपए डूब गए. जब उन्होंने अपना पैसा वापस मांगा, तो पटेल ने कथित तौर पर उन्हें धमकाया, और ब्लैकमेल तक किया. नुक़सान भारी था लेकिन आघात उससे भी बड़ा था.
‘उसके ट्विटर पर एक नीला टिक था. वो सेना के अधिकारियों के साथ अपनी तस्वीरें साझा करता था. आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अधिकारी स्वदेशी एप्स शुरू करने की उसकी पहल का समर्थन करते थे, इतने सारे दक्षिण-पंथी नेता उसके बारे में ट्वीट करते थे,’ ये कहना था एक हैदराबाद-स्थित आईटी प्रोफेशनल का, जिसने बताया कि पटेल की स्कीमों में 65 लाख रुपए निवेश करने के लिए, उसने अपना घर गिरवी रख दिया था. उसने दिप्रिंट से कहा, ‘एक आम आदमी को कैसे पता चलेगा कि वो एक धोखेबाज़ है?’
पिछले साल आरोप सामने आने के बाद से, देशभर में पटेल के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गईं हैं, जिनमें बिहार, ओडिशा, गुजरात, कर्नाटक, हरियाणा और तेलंगाना शामिल हैं. और पुलिस का मानना है कि ये कथित घोटाला करोड़ों के हो सकते हैं.
पिछले महीने, हैदराबाद की साइबर क्राइम यूनिट ने, पटेल के पिता गोर्धनभाई पटेल को अहमदाबाद में उस समय गिरफ्तार कर लिया, जब वो कथित तौर पर युगांडा भागने की कोशिश कर रहा था.
Thanks to @TSPCybercrime and @DCPSouthBCP for arresting the father of Scammer Neel Patel and for working in the case proactively pic.twitter.com/BibRYW7zfQ
— Anish (@Aniiiiish) February 20, 2022
हैदराबाद पुलिस के एक सूत्र ने बताया, ‘देशभर में पटेल के खिलाफ 20 से अधिक शिकायतें दर्ज की गईं हैं. ऐसे 200 से अधिक पीड़ित हैं जिन्होंने शायद (कुल मिलाकर) 15-20 करोड़ रुपए गंवा दिए हैं. हमें जो तीन शिकायतें प्राप्त हुई हैं, उनमें एक व्यक्ति ने 65 लाख रुपए गंवा दिए, दूसरे ने 38 लाख गंवाए और एक के 5 लाख डूब गए. दूसरे राज्यों में भी ऐसे बहुत से मामले हैं’.
लेकिन नील पटेल आख़िर है कौन, और उसके खिलाफ वास्तव में क्या आरोप हैं?
दिप्रिंट ने कई राज्यों में दर्ज एफआईआर देखीं, एक दर्जन शिकायतकर्ताओं का पता लगाया, जिनमें कालेज के छात्र, आईटी प्रोफेशनल्स, सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स और शेयर दलाल तक शामिल हैं, जिनमें से कुछ ने एक से अधिक स्कीमों में पैसा गंवाया है, और जांचकर्ताओं से बात की, ताकि करोड़ों के घोटालों के इस जाल की गुत्थियां सुलझ सकें.
दूसरी ओर नील पटेल ने दिप्रिंट से कहा कि वो आरोपों को लेकर ‘चिंतित नहीं’ है. उसने कहा, ‘मैंने कुछ भी ग़ैर-क़ानूनी नहीं किया. अभियुक्त होने का मतलब ये नहीं है कि आप अपराधी हैं, जब तक कि क़ानून की अदालत में ये साबित न हो जाए’.
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सस्ते आईफोन्स, बिटकॉइन, प्रलोभन युक्ति
पुलिस सूत्रों के अनुसार, नील पटेल जो हितेश कुमार गोर्धनभाई पटेल के नाम से भी जाना जाता है, गुजरात में पैदा हुआ था और फिलहाल अमेरिका में लुईविल, केंटकी में रह रहा है.
1980 में जन्मे पटेल ने एक फोन कॉल पर दिप्रिंट को बताया कि उसने 12वीं क्लास तक अपनी पढ़ाई गांधीनगर में की, और फिर फार्मेसी की डिग्री के लिए कर्नाटक की राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंसेज़ चला गया. उसके बाद वो गांधीनगर वापस आ गया, और 2004 में उसने ‘108 कर्मचारियों के साथ एक कॉल सेंटर’ स्थापित किया. पटेल के अनुसार दो साल के भीतर ही वो व्यवसाय बंद हो गया, क्योंकि एक बड़ा क्लायंट क़रीब 4 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं कर पाया.
उसने बताया, ‘2006 में, मैं मलेशिया चला गया. क़रीब 2009-2010 तक मैंने मलेशिया और सिंगापुर के बीच समय बिताया’. उसने आगे कहा कि उसने फीनिक्स ग्लोबल सर्विसेज़ के नाम से एक व्यवसाय शुरू किया, जो इंटरनेट पर दूरसंचार और कॉल सेवाएं उपलब्ध करता था.
2010 में पटेल ने पश्चिम की ओर देखना शुरू किया, और कनाडा का एक बिज़नेस वीज़ा हासिल कर लिया, जहां उसने एक कंपनी शुरू की और वो भी फीनिक्स ग्लोबल सर्विसेज़ ही कहलाती थी.
उसने कहा, ‘कंपनी का इस्तेमाल करते हुए, कंपनी का वेतनभोगी डायरेक्टर होने के नाते मैंने कनाडा से अमेरिका तबादले के लिए आवेदन दिया’.
यहां से चीज़ें थोड़ा धुंधली हो जाती हैं, लेकिन 2020 के आसपास पटेल ने भारत में अवसर तलाशने शुरू किए.
ये निश्चित है कि भारतीय ट्विटर वर्स में उसका प्रभाव, कोविड-19 महामारी की शुरुआत के साथ बढ़ना शुरू हुआ. इसमें उसके सत्यापित ट्विटर अकाउंट से सुविधा मिली, जिसे कथित रूप से किसी हैकर से ख़रीदा गया था.
He has bought his @verified Twitter handle from the band “night terrors of 1927” that is why it’s handle is @nto1927.
He is so lousy that he hasn’t even deleted the old tweets ?? pic.twitter.com/WfdjlAIKti— Nishant (@nishant_india) February 15, 2021
अब हटा दिए गए पटेल के ट्विटर अकाउंट में बहुत से हार्डवेयर, एप्स, बिटकॉइन स्कीम और बहुत सारे दूसरे ऑफर्स और अवसरों का प्रचार किया गया है, जिनमें अक्सर राष्ट्रवादी भावनाओं का तड़का होता है.
अक्टूबर 2020 तक, पटेल का नारदपे और स्क्वीक्स को बढ़ावा- जो उसके तथाकथित स्वदेशी एप्स और उनकी वेबसाइट्स थीं- सोशल मीडिया पर लोगों का ध्यान खींच रहे थे, ख़ासकर इसलिए कि उनके साथ बिटकॉइन और एथीरियम जैसी, दूसरी बहुत सारी स्कीमें भी शामिल थीं.
पटेल ने कथित रूप से अपने स्क्वीक्स मीडिया एप के ज़रिए, 50 प्रतिशत डिस्काउंट पर आईफोन्स बेचने की भी पेशकश की. ये दावे विश्वसनीय लगे क्योंकि कई ट्विटर यूज़र्स ने ऐलान किया कि उन्हें वादा की हुई चीज़ें मिल गईं थीं.
@nto1927 bhai thank so much for the offer @SqueaksMedia phone delivered today !!! Love to have the same offer again !!
By the way phone is Assembled in India ?? @nto1927 ?Trust.
& Waiting for the Squeaks App!!! pic.twitter.com/oBNvnmujfK— Venkatesh Amidal (@AmidalVenkatesh) February 12, 2021
हैदराबाद से एक शिकायतकर्ता ने कहा, ‘लोग इस स्कीम के झांसे में आ गए, क्योंकि बहुत से दूसरे लोगों को, जिनमें कुछ प्रभावशाली लोग भी शामिल थे, फोन मिल गए और उन्होंने इस बारे में ऑनलाइन पोस्ट करना शुरू कर दिया. लेकिन ये सिर्फ लोगों का भरोसा जीतने, और अधिक निवेश आकर्षित करने के लिए एक चारा था. इसी तरह मैं इसके झांसे में आया’.
एफआईआर के अनुसार, जिसे दिप्रिंट ने देखा है, पटेल ने फिर वित्तीय स्वतंत्रता और शेयर बाज़ार ट्रेडिंग के लिए ई-ज्ञान के नाम से एक कोर्स शुरू कर दिया, जिसके लिए वो 45,000 रुपए लेता था. इसके बदले में वो दो साल की नौकरी का वादा करता था, जिसमें पहले तीन महीने में 50,000 रुपए, और बाक़ी के 21 महीनों में 1 लाख रुपए मिलने थे. इसके अलावा, पटेल ने सैंमसंग की एक मुफ्त टैबलेट, एक सिम पर पांच साल का मुफ्त रीचार्ज और किसी थर्ड पार्टी से एक सत्यापित ट्रेडर लाइसेंस का भी वादा किया.
एक शिकायतकर्ता, जिसने इस स्कीम में 12 लाख रुपए, और दूसरी स्कीमों में भी पैसा गंवाया, ने दिप्रिंट को बताया, ‘मेरी पत्नी ने ये ऑफर ले लिया, क्योंकि हमें लगा कि महामारी के दौरान, हमें इससे कुछ पैसा बनाने में मदद मिलेगी’.
ये ऑनलाइन कोर्स कथित रूप से प्रलोभन युक्ति का एक क्लासिक उद्यम साबित हुआ.
शिकायतकर्ता ने कहा, ‘पहले तीन महीनों में उसने कुछ ऑनलाइन ट्रेनिंग कराई, जिसमें मेरी पत्नी शरीक हुईं. इन कक्षाओं में उसने छात्रों को बताया कि क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने के लिए ये एक अच्छा समय है. उसने सलाह दी कि उन्हें उसकी स्क्वीक्स वेबसाइट के ज़रिए एथीरियम में निवेश करना चाहिए’.
शिकायतकर्ता ने आगे कहा कि पटेल ने अपने छात्रों से ये भी वादा किया कि उसके ऑटो-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म क्वॉयंसजीनियस के ज़रिए उन्हें अपने निवेश पर आसानी से तीन से चार गुना वापस मिल जाएगा.
पटेल ने कथित रूप से 46,000 रुपए से 80,000 रुपए के बीच 1 क्वॉयन बेचा, और ज़्यादातर छात्रों ने ख़ुशी-ख़ुशी निवेश कर दिया. लेकिन, कुछ महीनों के बाद जब छात्रों ने वापसी के बारे में पूछना शुरू किया, तो पटेल का सुर कथित तौर से बदल गया.
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया, ‘जब लोगों ने अपने निवेश की वापसी के लिए पूछना शुरू किया, तो उसने सवालों से बचना शुरू कर दिया. एक बार उसने ये भी कहा कि उसके 500,000 डॉलर (क़रीब 3.79 करोड़ रुपए) आरबीआई में अटके हैं, जो उसके पैसे को स्वीकृति नहीं दे रहा है. जब लोगों ने उससे सवाल पूछने शुरू किए, तो उसने सभी रिश्ते तोड़ लिए और ऑफलाइन चला गया’.
कर्नाटक के एक शिकायतकर्ता ने दिप्रिंट को बताया कि कैसे पटेल शुरू में अपनी स्कीमों के बारे में सवालों के जवाब में, अपनी दौलत की शेख़ी बघारता था.
कर्नाटक के शिकायतकर्ता ने कहा, ‘जब हम उससे पूछते थे कि वो हमें रक़म का दोगुना कैसे भुगतान करेगा, तो वो कहता था कि वो यहां अपनी कंपनी की साथ बनाने के लिए है, और ये उसके प्रचार का हिस्सा है. उसने ये भी कहा कि वो इतनी रक़म अमेरिकी शेयर बाज़ार में एक दिन में कमा लेता है, और वो बहुत कम क़ीमत चुका रहा है’.
ओडिशा के एक डाटा साइंटिस्ट, जिसने तीन गुना वापसी की उम्मीद में इस स्कीम में निवेश किया, ने कहा कि पटेल ने ‘लेन-देन के लिए एक डेमो-अकाउंट’ बनाया, लेकिन वादा किया हुआ मुनाफा कभी नज़र नहीं आया.
यूपी के गाज़ियाबाद से एक शिकायतकर्ता के अनुसार, जनवरी 2021 में पटेल बिटकॉइन व्यवसाय के लिए एक नई स्कीम लेकर आया. उसने कथित तौर पर लोगों से अपनी कंपनी से बिटकॉइंस ख़रीदने के लिए कहा, जिसके लिए स्क्वीक्स टेक्नॉलजी के बैंक खातों में पैसा जमा करना था. बहुत से लोग इसके प्रलोभन में भी आ गए.
कई शिकायतकर्ताओं ने कहा कि पटेल ने लोगों से अनुरोध किया, कि वो कम से कम 10 लाख रुपए निवेश करें, ताकि उन्हें करोड़ों में रिटर्न्स मिल सके, क्योंकि बिटकॉइन ब्लॉक ट्रेडिंग ज़्यादा बड़े पैमाने पर होती है, और ‘पैसे को कई गुना करने का ये एक आसान रास्ता है’.
एक और तरकीब जो पटेल ने कथित रूप से अपनाई, वो थी लोगों को प्रलोभन देकर अपने सोशल मीडिया एप में निवेश कराना.
हैदराबाद के एक शिकायतकर्ता ने बताया, ‘उसने हमसे स्क्वीक्स के बैंक ऑफ बड़ोदा खाते में एक राशि जमा करने के लिए कहा, और कहा कि इसे एक सोशल मीडिया एप विकसित करने में निवेश के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा’.
‘उसने कहा कि कुछ महीनों के अंदर ही हमें बहुत अच्छे रिटर्न्स मिल जाएंगे, क्योंकि इस राशि को वो ‘फॉरेक्स जीनियस’ में निवेश करेगा, और तीन महीने के बाद हमें 15 प्रतिशत मासिक रिटर्न्स मिलेंगे. मैंने इसमें 12 लाख रुपए जमा करा दिए’.
पटेल ने कथित तौर पर अपने छात्रों से ये भी कहा कि अगर वो 100 डॉलर (लगभग 7,600) या उससे अधिक का भुगतान करते हैं, तो उन्हें ‘बुलरन’ में 10 गुना क्रेडिट मिलेगा- जो उसके अनुसार एक डमी फॉरेक्स ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म था.
एक ऑटोमोबाइल कंपनी की सेल्स टीम में काम करने वाले, ओडिशा के एक शिकायतकर्ता ने कहा, ‘उसने दावा किया कि अगर कोई 100 डॉलर देता है, तो उसे बुलरन में ट्रेडिंग के लिए 1,000 डॉलर का क्रेडिट मिलेगा. बाद में पता चला कि ये भी एक धोखाधड़ी की स्कीम थी’.
स्कीम में शामिल होने के लिए भुगतान, पावरप्वॉइंट प्रेज़ेंटेशंस, छात्रवृत्तियां
एक और ‘व्यवसाय’ जिसे पटेल ने बढ़ावा दिया वो था उसका नारदपे एप, जिसके लिए वो दावा करता था कि ये फोनपे तथा पेटीएम जैसे भुगतान गेटवे का स्वदेशी विकल्प है.
कई शिकायतकर्ताओं के अनुसार, उसने लोगों से कहा कि एप को डाउनलोड करें, और रिटर्न्स पाने के लिए 30,000 रुपए अग्रिम राशि के तौर पर जमा करें. इस स्कीम में उसने कथित रूप से लोगों से वादा किया कि 12 महीने तक उनके वॉलेट में 5,000 रुपए हर महीने आएगा, और इस पैसे का इस्तेमाल वो ख़रीदारी, और बिलों के भुगतान के लिए कर सकते हैं.
हैदराबाद स्थित शिकायतकर्ता, जिसने एप में 20 लाख रुपए निवेश किए, कहा, ‘लोगों को लगा कि 30,000 रुपए अदा करके, उन्हें 60,000 रुपए मिल जाएंगे, इसलिए इसमें बहुत सारे ग्राहक मिल गए. कुछ लोगों ने निवेशकों के तौर पर भी इसमें पैसा लगाया, ये सोचते हुए कि ये एक मेक इन इंडिया पहल है’.
उसने आगे कहा, ‘वो पावर प्वॉइंट प्रेज़ेंटेशंस और विस्तृत योजनाएं लेकर आया, ये दिखाने के लिए कि किस तरह निवेशकों को सिर्फ तीन वर्षों में, अपने निवेश का तीन गुना वापस मिल जाएगा’.
शिकायतकर्ता के अनुसार, कथित वॉलेट सुगमता से काम करता दिख रहा था, और सितंबर 2020 में निवेश की गई सारी रक़म पांच महीने के अंदर वापस आ गई. इसने ग्राहकों का भरोसा जीत लिया, जिन्होंने अपने ‘दोस्तों और परिवार को स्कीम के बारे में बताया’, लेकिन वो उतने भाग्यशाली साबित नहीं हुए.
इसी तरह की एक और स्कीम में पटेल ने लोगों से कहा कि 15,000 रुपए जमा कराकर उन्हें एक मुफ्त सैंमसंग एम51 मिलेगा, और बिल भुगतानों के लिए उन्हें हर महीने, 3,333 महीने का डिपॉज़िट मिलेगा.
हैदराबाद के उसी शिकायतकर्ता ने कहा, ‘मैंने अपने दोस्तों और परिवार के लिए क़रीब 15 वॉलेट लिए, जिन पर 2.25 लाख रुपए ख़र्च हुए. वॉलेट्स के इस्तेमाल से ये रक़म वापस मिल गई. लेकिन सैमसंग एम51 मोबाइल फोन कभी नहीं मिला’.
पटेल ने ‘छात्रवृत्ति योजनाओं’ के रूप में छात्रों के लिए भी विशेष स्कीमें शुरू कीं.
गुजरात के एक छात्र ने, जिसने पैसा उधार लेकर स्कीम में निवेश किया, कहा, ‘उसने हमसे 49,999 रुपए में स्क्वीक्स से एक छात्रवृत्ति योजना ख़रीदने के लिए कहा. उसने कहा कि मुझे एक लैपटॉप मिलेगा, और तीन साल तक स्क्वीक्स से 5,000 रुपए प्रतिमाह का एक वज़ीफा मिलेगा’.
‘उसकी हमारी तमाम निजी जानकारी तक पहुंच थी’
कुछ शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि जब उन्होंने अपने पैसे की वापसी के लिए कहना शुरू किया, तो पटेल ने उन्हें ‘धमकाना और गालियां देना’ शुरू कर दिया.
हैदराबाद से एक शिकायतकर्ता ने कहा, ‘उसने हमसे नारदपे एप डाउनलोड कराया, और उसके ज़रिए हमारे फोन्स तक पहुंच गया- जिनमें हमारी गैलरीज़ भी थीं जहां निजी तस्वीरें और वीडियोज़ होते हैं’.
उसने कहा, ‘हमारा एक टेलीग्राम ग्रुप है जिसमें सभी निवेशक मौजूद होते हैं. जब हमने अपना पैसा मांगना शुरू किया, और पुलिस में शिकायत करने की धमकी दी, तो उसने हमें गालियां देनी शुरू कर दीं. उसने हमसे कहा कि वो हमें जादू दिखाएगा…और हम देखकर भौंचक्के रह गए कि कैसे उसकी पहुंच, ग्रुप के सभी लोगों की निजी जानकारियों तक हो गई थी’.
इस शिकायतकर्ता ने आगे आरोप लगाया कि पटेल ने एक महिला को ये कहकर धमकाया कि वो उसकी तस्वीरें डार्क वेब पर डाल देगा, जिसके बाद वो पीछे हट गई. उसने आगे कहा, ‘इस आदमी ने न सिर्फ लोगों को लूटा, बल्कि उन्हें ब्लैकमेल भी किया’.
इस शिकायतकर्ता के अनुसार, कुछ लोग पुलिस के पास इसलिए नहीं आए, क्योंकि उन्हें अपनी जान का ख़तरा था.
उसने आरोप लगाया, ‘बहुत सारे लोग हैं जो उसकी धमकियों की वजह से, उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराना नहीं चाहते. एक बार उसने ये भी इशारा किया कि बिटकॉइन्सका इस्तेमाल करके वो किसी को मरवाने की सुपारी भी दे सकता है, और जो कोई भी शिकायत करेगा वो किसी नाले में मरा हुए मिलेगा’.
इस शिकायतकर्ता ने दिप्रिंट को पटेल के साथ कथित बातचीत और वॉयस नोट्स के स्क्रीनशॉट्स दिखाए. इस आवाज़ में किसी को लोगों को गालियां देते, और उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की चुनौती देते सुना जा सकता है.
लेकिन, पटेल ने कहा कि उसे कुछ लोगों को पैसा देना है, और उसने पैसा लौटाने के लिए सिर्फ कुछ समय मांगा है.
‘बह गए, टूटने की कगार पर’
पटेल के बहुत से कथित पीड़ितों ने कहा कि वो पटेल के असर के झोंके में बह गए.
मसलन, एक शिकायतकर्ता ने कहा कि पटेल अपने ऊंचे परिवार और राजनेताओं से रिश्तों की डींग मारता था, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हैं.
हैदराबाद-स्थित शिकायतकर्ता ने, जिसका कहना था कि उसकी पत्नी ने पटेल की स्कीमों में 12 लाख रुपए से अधिक निवेश किया था, कहा कि 2020 में देश के माहौल ने भी, उन्हें और ज़्यादा संवेदनशील बना दिया.
उसने कहा, ‘ये वो समय था जब भारत-चीन के बीच तनाव चल रहा था, और हर ओर आत्म-निर्भरता और आत्म-निर्भर भारत का नारा गूंज रहा था. चीनी एप्स पर पाबंदी लगा दी गई थी, और भारतीय एप के इस्तेमाल को प्रोत्साहित किया जा रहा था. इसी दौरान हमें नील पटेल मिल गया’.
सत्यापित हैंडल ने पटेल की स्कीमों पर आसानी से विश्वास करा दिया. शिकायतकर्ता ने कहा, ‘वो स्क्वीक्स एप की बात करता था, जो ट्विटर और फेसबुक का एक भारतीय विकल्प था, और जिसे सभी दक्षिण-पंथी हैंडल्स बढ़ावा कर रहे थे, जिनमें कुछ पुलिस अधिकारी भी शामिल थे’. शिकायतकर्ता ने आगे कहा कि वो अब ‘बिल्कुल टूट जाने की कगार पर है’.
हैदराबाद के एक और शिकायतकर्ता ने भी कहा, कि वो इसी से प्रभावित हो गया कि पटेल कितना प्रभावशाली लगता था. ‘हमने ट्विटर पर देखा कि वो प्रभावशाली व्यक्तियों और नीति-निर्धारकों के साथ, भारत में निर्मित एप्स की ज़रूरत पर ज़ूम मीटिंग्स में शरीक हो रहा था…एक आम आदमी को कैसे पता चलेगा कि वो एक घोटाला चला रहा है?’
ओडिशा के एक दूसरे शिकायतकर्ता, जिसने पटेल की स्कीमों में 5.6 लाख रुपए निवेश किए, ने कहा कि वो बहुत से ‘दक्षिण-पंथी अकाउंट्स’ फॉलो करता था, और वहीं उसने सस्ते आईफोन की स्कीम के बारे में ट्वीट्स देखे. उसने कहा, ‘मुझे बाद में जाकर समझ आया कि आईफोन स्कीम सिर्फ एक बड़ी धोखाधड़ी का चारा थी, जिसकी उसने तैयारी की थी’.
पिछले साल जैसे ही पटेल की काली करतूतों की पोल खुलनी शुरू हुई, तो उन सब हैंडल्स ने जो उसकी स्कीमों को बढ़ावा देते थे, अचानक उससे दूरी बना ली.
एक पूर्व विशेष बल अधिकारी और खिलाड़ी मेजर सुरेंद्र पूनिया ने लिखा कि उनका पटेल के साथ कोई संबंध नहीं था, और उन्होंने स्क्वीक्स को सिर्फ इसलिए बढ़ावा दिया कि वो एक ‘स्वदेशी प्लेटफॉर्म’ था.
Dear Friends,I don’t have any connection/link with @nto1927 . I just supported his social media platform because it was an Indian/Swadeshi platform & his donations for poor needy ill citizens who needed medical treatments.
— Major Surendra Poonia (@MajorPoonia) February 16, 2021
ऑपइंडिया की नूपुर शर्मा ने पटेल के साथ अपने लेन-देन पर एक लंबा अपडेट लिखा. उन्होंने दावा किया कि घोटाले के आरोपों के बारे में सुनने के बाद, उन्होंने पटेल से उसके बैंक खातों का विवरण मांगा था, ताकि दो आईफोन्स का पैसा उसे भेज सकें, जो उन्होंने पटेल के सोशल मीडिया वेंचर से मिले गिफ्ट कार्ड्स से लिए थे. दोनों आईफोन्स ऑपइंडिया के अधिकारिक काम के लिए थे.
शर्मा का कहना है कि पटेल का जवाब मिलने से पहले ही, उन्होंने दो आईफोन्स का पैसा उसकी कारोबारी सहयोगी सुनैना होले को ट्रांसफर कर दिया था. सुनैना एक आरएसएस कार्यकर्ता है जिसने घोटाले के आरोपों का पता चलने के बाद, उसके साथ काम करना बंद कर दिया.
Statement on the recent Mr Neel fiasco pic.twitter.com/qapUE6HomM
— Nupur J Sharma (@UnSubtleDesi) February 16, 2021
बीजेपी के तजिंदर बग्गा पहले ट्विटर पर पटेल के अकाउंट @nto1927 से जुड़े थे, जब उन्होंने उसे जन्मदिन की बधाई दी थी, और उसकी शादी पर भी मुबारकबाद दी थी.
Happy Birthday Neel bhai @nto1927
— Tajinder Pal Singh Bagga (@TajinderBagga) May 18, 2020
जब धोखाधड़ी के आरोपों की परतें खुलनी शुरू हुईं, और ट्विटर यूज़र्स ने बग्गा को ट्रोल करना शुरू किया, तो उन्होंने दावा किया कि वो पटेल को जानते ही नहीं हैं.
डॉ मोनिका लांगेह, जिन्हें पीएम मोदी ट्विटर पर फॉलो करते हैं कहा कि उन्होंने पटेल के सोशल मीडिया वेंचर को सिर्फ इसलिए बढ़ावा दिया कि वो एक भारतीय मंच था, और इसके बदले में उन्हें कोई उपहार या आईफोन नहीं मिला था.
My dear friends I have no association with @SqueaksMedia and @nto1927. I promoted only because Neel claimed its Indian SM platform. Neither I received any kind of gift nor the iphone mentioned in squeaks contest. I stopped promoting and using Squeaks when I came to know ..
— Dr.Monika Langeh (@drmonika_langeh) February 14, 2021
एक और ट्विटर यूज़र @desimojito ने, जिन्हें पटेल से एक आईफोन मिला था, बाद में कहा कि उनका पटेल या उसके वेंचर के साथ कोई वित्तीय संबंध नहीं था, और उनकी मंशा एक भारतीय व्यवसाय को बढ़ावा देने की थी.
To whomsoever it may concern ?
Cc : @nto1927 pic.twitter.com/e1xXETK5EI
— Mohit Gulati ?? (@desimojito) February 16, 2021
बीजेपी के कपिल मिश्रा के 1 लाख रुपए के दान के लिए कपिल को एक धन्यवाद ट्वीट किया था, और ट्विटर यूज़र्स को स्क्वीक्स फॉलो करने के लिए प्रोत्साहित किया था.
अब बहुत से शिकायतकर्ताओं ने प्रधानमंत्री कार्यालय का दरवाज़ा खटखटाकर पटेल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. ओडिशा के पहले शिकायतकर्ता ने कहा, ‘हमारी इच्छा है कि सरकार करोड़ों के इस घोटाले का संज्ञान ले, और पटेल को वापस (भारत) बुलवाए’.
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अभी तक की जांच
पुलिस सूत्रों के अनुसार, स्क्वीक्स टेक्नॉलजी कंपनी नील पटेल के पिता गोर्धनभाई पटेल के नाम पर पंजीकृत है. शिकायतें मिलने के बाद हैदराबाद पुलिस ने 70 वर्षीय गोर्धनभाई के खिलाफ लुक-आउट नोटिस जारी कर दिया. पुलिस का कहना है कि कि उसके खातों में बहुत सारा पैसा भेजा गया, और पिछले दो सालों में उसने अपनी कमाई से कहीं अधिक ख़र्च किया.
हैदराबाद साइबर क्राइम यूनिट के इंस्पेक्टर गंगाधर चंदा ने दिप्रिंट को बताया, ‘पिछले साल क़रीब 15-20 लाख रुपए गुजरात के एक गांव में उसके घर की मरम्मत, और निजी ख़र्चों में लगे. उसने अपने घर में एक एलिवेटर लगवाया, और शानदार ढंग से उसका नवीकरण कराया’.
चंदा ने आगे कहा, ‘सीनियर पटेल तीन महीने से भागा हुआ था. 7 फरवरी को जब वो अहमदाबाद से यूगांडा निकलने की तैयारी कर रहा था, तो उसे गिरफ्तार कर लिया गया’.
पुलिस के अनुसार, पिछले अगस्त में कई स्थानीय निवेशकों ने भी, जिन्हें कथित रूप से चूना लगा था, पटेल के गांव में उसका सामना किया था.
गंगाधर ने कहा, ‘पिछले साल 11 अगस्त को स्थानीय निवासी उसके घर के बाहर जमा हो गए. उसने उन लोगों से वादा किया कि क़रीब चार महीने में, वो उन्हें उनका पैसा लौटा देगा और फिर वो भाग गया’.
पुलिस ने कहा कि वो गोर्धनभाई पटेल से पूछताछ कर रहे हैं, और उन्होंने उसके बैंक खातों का विवरण मांगा है. कई प्रदेशों के पुलिस विभाग इस केस में एक दूसरे के साथ समन्वय भी कर रहे हैं, चूंकि सभी एफआईआर आपस में जुड़ी हैं.
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