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Friday, 19 April, 2024
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‘फर्ज़ी बिल, एफडी, पैसे का ग़बन’ – पत्रकार राणा अय्यूब के खिलाफ क्या है ED का केस

ED का आरोप है कि राणा अय्यूब ने परोपकार के लिए जुटाया गया पैसा, अपनी बहन और पिता के खातों में ट्रांसफर किया. उन्होंने आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि उनके पास पूरे पैसे का हिसाब है.

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नई दिल्ली: प्रवर्त्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग जांच के एक मामले में गुरुवार को पत्रकार राणा अय्यूब के फंड्स को अटैच कर लिया क्योंकि एजेंसी के सूत्रों का कहना है कि उन पर आरोप है कि उन्होंने ‘परोपकार के नाम पर’ जुटाए गए पैसे को कथित रूप से ‘निजी इस्तेमाल’ के लिए ट्रांसफर कर लिया.

ईडी सूत्रों के अनुसार, जांच से पता चला है कि 1.77 करोड़ रुपए के फंड को राहत कार्यों में इस्तेमाल करने की बजाय, अय्यूब ने ‘एक अलग बैंक खाता खोलकर कुछ पैसे को उसमें रख दिया’. उन्होंने राहत कार्यों के लिए जुटाई गई रक़म को अपनी बहन और पिता के खातों में ट्रांसफर कर दिया और राहत कार्यों पर ख़र्च की गई रक़म के ‘फर्ज़ी बिल’ दिखा दिए.

इसके अलावा, एक सूत्र ने कहा कि पत्रकार ने ‘केटो पर जुटाई गई 50 लाख की राशि को एक फिक्स्ड डिपॉज़िट में रख दिया और बाद में इस रक़म का राहत कार्यों के लिए इस्तेमाल नहीं किया’. केटो एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जिससे ऑनलाइन फंड्स जुटाए जाते हैं.

सूत्र ने कहा, ‘उसी हिसाब से जांच के स्तर पर अपराध की रक़म का अनुमान 1,77,27,704 रुपए लगाया गया है जिसके साथ 50 लाख रुपए की एफडी पर मिलने वाला ब्याज अलग है’.

अय्यूब ने अतीत में इन आरोपों के इनकार किया है. पत्रकार ने पिछले साल दिप्रिंट से कहा था कि उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर ‘दुर्भावनापूर्ण और निराधार’ है और ‘केटो के ज़रिए हासिल ही पूरी दान राशि का पूरा हिसाब है’. उन्होंने ये भी कहा था कि ‘एक पैसे का भी दुरुपयोग नहीं हुआ है’. उन्होंने आगे कहा था कि सेंट्रल डायरेक्ट टैक्स बोर्ड के निर्देशों के अनुसार उन्होंने उस दान राशि पर भारी टैक्स चुकाया था.

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सूत्रों ने ये भी कहा कि उन्होंने पीएम-केयर्स फंड और सीएम रिलीफ फंड में कुल 74.50 लाख रुपए जमा कराए थे.

हम एक नज़र डालते हैं कि कथित मनी लॉन्ड्रिंग केस क्या है और ईडी जांच में भी तक क्या पता चल पाया है.


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क्या है मामला

7 सितंबर को गाज़ियाबाद पुलिस ने अय्यूब के खिलाफ एक केस दर्ज किया था जो एक हिंदू आईटी सेल के सह-संस्थापक की शिकायत पर आधारित था. इस में आरोप लगाया था कि केटो पर अभियान चलाकर अय्यूब ने ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से लोगों से पैसा जुटाया था. शिकायतकर्त्ता विकास सांकृत्यायन ने अय्यूब पर परोपकार के नाम पर अवैध ढंग से पैसा एकत्र करने का आरोप लगाया था.

एफआईआर में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 403 (संपत्ति का ग़बन), 406 (विश्वास का आपराधिक हनन), 418 (छल करना), 420 (छल करना और बेईमानी से बहुमूल्य वस्तु / संपत्ति देने के लिए प्रेरित करना), आईटी एक्ट की धारा 66डी (कंप्यूटर संसाधन का इस्तेमाल करके व्यक्तित्व द्वारा धोखा) और धन-शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की धारा 4 के तहत मुक़दमा क़ायम किया गया है.

इस एफआईआर के आधार पर जिसकी एक प्रति दिप्रिंट के पास है. जांच एजेंसी ने मनी लॉन्ड्रिंग जांच को अपने हाथ में ले लिया.

एफआईआर में कहा गया है कि पैसा तीन अभियानों से जुटाया गया था- ‘झुग्गीवासियों और किसानों के लिए फंड्स’, ‘असम, बिहार और महाराष्ट्र के लिए राहत कार्य’ और ‘भारत में कोविड-19 प्रभावित लोगों के लिए सहायता’, जो क्रमश: अप्रैल और मई 2020, जून और सितंबर 2020 तथा मई और जून 2021 के बीच- किसी तरह के ‘अनुमोदन प्रमाण पत्र या सरकार से पंजीकरण के बिना एकत्र किया गया, जिसकी विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम के अंतर्गत ज़रूरत होती है’.

सांकृत्यायन ने पहले दिप्रिंट से कहा था कि उन्होंने सोशल मीडिया पर एक ईमेल देखने के बाद केस दायर किया था जिसे केटो ने अपने दानदाताओं को लिखा था. कथित ईमेल में दावा किया गया था कि केटो को ‘क़ानून प्रवर्त्तन एजेंसियों’ ने सूचित किया था कि अय्यूब के अभियान से जुटाई गई रक़म, ‘उस उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं हुई, जिसके लिए वो एकत्र की गई थी’.

सांकृत्यायन ने दावा किया था कि उस ईमेल को कई दानदाताओं ने ट्वीट किया था.

सांकृत्यायन ने दिप्रिंट से कहा था, ‘जब मैंने उस ईमेल को सोशल मीडिया पर चलते देखा तो मैंने अय्यूब के खिलाफ औपचारिक रूप से शिकायत दर्द करने का फैसला किया. केटो ने वो ईमेल अपने सभी दानदाताओं को भेजा था और उसमें साफ कहा गया है कि पैसे का उस उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं हुआ जिसके लिए वो जमा किया गया था.

इसके अलावा उन्होंने ये सारा पैसा अपनी निजी खाते में ले लिया जो एक उल्लंघन है’. सांकृत्यायन ने आगे कहा कि उन्होंने सोशल मीडिया से लिए गए स्क्रीनशॉट्स ‘सुबूत’ के तौर अपनी शिकायत के साथ अटैच कर दिए हैं.


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2 करोड़ रुपए से अधिक एकत्र हुए

एजेंसी ने आरोप लगाया कि राणा अय्यूब ने केटो पर कुल 2,69,44,680 रुपए की रक़म जमा की और फिर वो रक़म निकालकर उनकी बहन और पिता के बैंक खातों में जमा कर दी.

सूत्र ने कहा, ‘जुटाए गए 2,69,44,680 रुपए में से 72,01,786  रुपए निकालकर उनके खुद के खाते में भेज दिए गए. 37,15,072  रुपए निकालकर उनकी बहन इफ्फत शेख के खाते में जमा हुए और 1,60,27,822 रुपए निकालकर उनके पिता मोहम्मद अय्यूब वाक़िफ के बैंक खाते में जमा कर दिए गए’.

सूत्र ने बताया, ‘बाद में उनकी बहन और पिता के बैंक खातों की सारी रकम उनके अपने खाते में ट्रांसफर कर दी गई’.

ईडी ने ये भी आरोप लगाया कि जुटाई गई कुल रक़म में 80 लाख रुपए से अधिक विदेशी मुद्रा की शक्ल में हासिल हुई. लेकिन उसे वापस कर दिया गया क्योंकि आयकर विभाग ने विदेशी अभिदाय (विनियमन) अधिनियम के नियमों के कथित उल्लंघन को लेकर जांच शुरू कर दी.

दिप्रिंट ने संदेशों और फोन कॉल्स के ज़रिए इन आरोपों पर टिप्पणी के लिए अय्यूब तक पहुंचने की कोशिश की लेकिन उनका फोन उपलब्ध नहीं था. उनकी प्रतिक्रिया मिलने पर इस ख़बर को अपडेट कर दिया जाएगा.

फर्ज़ी बिल

ईडी के अनुसार अय्यूब ने सिर्फ 31.16 लाख रुपए के ख़र्च की जानकारी और कागज़ात पेश किए और दावा किए गए ख़र्चों के सत्यापन के बाद पता चला कि ‘वास्तविक ख़र्च केवल 17,66,970 रुपए था’.

सूत्र ने कहा, ‘ऐसे फर्ज़ी बिल पाए गए जो अय्यूब ने राहत कार्यों पर हुआ ख़र्च दिखाने के लिए कुछ इकाइयों के नाम पर तैयार किए थे. निजी हवाई यात्राओं पर किए गए ख़र्च को, राहत कार्यों पर ख़र्च राशि के तौर पर दिखाया गया था’.

सूत्र ने कहा, ‘ये राशि पूरी तरह पूर्व-नियोजित और व्यवस्थित ढंग से परोपकार के नाम पर जुटाई गई थी और पैसा उस उद्देश्य के लिए पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं किया गया जिसके लिए वो हासिल किया गया था’.

एजेंसी के सूत्रों ने बताया कि अटैच की गई राशि में, नवी मुंबई के एक बचत खाते में 50 लाख रुपए का फिक्स्ड डिपॉज़िट, एचडीएफसी के एक चालू खाते में 57.19 लाख रुपए का उपलब्ध बैलेंस और उसी एचडीएफसी बचत खाते में जिसमें एफडी कराई गई थी 70.08 लाख रुपए की एक और राशि शामिल हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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