कोट्टायम, एर्नाकुलम: एक नौजवान लड़की माता-पिता की मर्ज़ी के ख़िलाफ, अपने प्रेमी से शादी करने के लिए घर छोड़ देती है. उसकी ख़ुशी को कुछ मिनट ही हुए थे, कि अब उसका पति एक टोपी और कड़क सफेद कुर्ता-पाजामे में नज़र आता है. वो उसकी बिंदी हटा देता है, और उसका सर दुपट्टे से ढक देता है. फिर वो कुछ लोगों को क़ुरान जैसी दिखने वाली कोई किताब पढ़ाता है, जिसके बाद वो अपनी बीवी को, कुछ ऐसे लोगों को बेंच देता है, जो आतंकवादी लगते हैं.
ये किसी पुरानी और अपमानजनक मूवी का कोई हास्यचित्र नहीं है, बल्कि एक वीडियो है जो इन दिनों, केरल के कई व्हाट्सएप ग्रुप्स में वायरल हो रहा है.
केरल स्थित ईसाई इकाई, क्रिस्चियन एसोसिएशन एंड एलायंस फॉर सोशल एक्शन (कासा) की ओर से, फेसबुक पर शेयर की गई ये वीडियो, ऐसी बहुत सी वीडियोज़ में से एक है, जो ‘लव जिहाद को बेनक़ाब करने’ के विषय पर आधारित हैं.
वीडियो के साथ मलयालम भाषा में कैप्शन लिखा है: ‘वाम (सीपीएम की अगुवाई वाला लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट) और दक्षिण (कांग्रेस अगुवाई वाला यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट) दोनों में, लव जिहाद के नाम से जाने जा रहे आतंकवाद के एक रूप को, चुपके से और खुलकर न्यायोचित ठहराते हुए, जिहादियों को ख़ुश करने की होड़ लगी है. हमें जिहादियों को इनके (एलडीएफ और यूडीएफ) साए में बढ़ने नहीं देना चाहिए. उसके लिए हमें उन पेड़ों को काटना होगा, जो इन्हें आसरा देते हैं. सोचिए… करिए.’
‘लव जिहाद’ एक ऐसा शब्द है, जो धार्मिक कट्टरपंथी समूहों ने गढ़ा है, जिसमें मुसलमान पुरुषों पर आरोप लगाया जाता है, कि प्यार की आड़ में वो ग़ैर-मुस्लिम लड़कियों के, धर्मांतरण की साज़िश रचते हैं.
पिछले साल जनवरी में, केरल की सबसे बड़ी चर्च इकाइयों में से एक, सायरो-मालाबार चर्च ने एक बयान जारी किया, जिसमें ‘लव जिहाद’ के ज़रिए, ईसाई महिलाओं को ‘निशाना बनाए जाने’ पर चिंता जताई गई थी.
एक साल से अधिक बीत जाने के बाद भी, चर्च के पैरिशनर्स के कुछ हिस्सों में, इन आरोपों की गूंज अभी भी सुनाई दे रही है.
इस मुद्दे पर दिप्रिंट ने ईसाई संप्रदाय के कई सदस्यों, ख़ासकर सायरो-मालाबार चर्च के मानने वालों से बात की. हालांकि बहुत से सदस्य ऐसे थे जिन्होंने इसे एक ‘सांप्रदायिक हौआ’ बताते हुए ख़ारिज कर दिया, लेकिन कई लोग ऐसे भी थे जो वीडियो में पेश की गई तस्वीर से सहमत थे.
‘वो दुनिया भर में ऐसा कर रहे हैं’
एर्नाकुलम में काकानाड़ क्षेत्र के निवासी, 57 वर्षीय कैनेडी करीमबिनकलाइल का मानना है, कि इसमें ज़रा भी शक नहीं है, कि ईसाई महिलाओं पर ‘ख़तरा बढ़ रहा है’.
उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘नेटफ्लिक्स पर एक थ्रिलर ड्रामा है ख़िलाफ़त. ये लंदन में तीन महिलाओं की असली ज़िंदगी की एक कहानी पर आधारित है’. उन्होंने आगे कहा, ‘ये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रहा है. ये लव जिहाद- वो दुनिया भर में कर रहे हैं’.
करीमबिनकलाइल सेव सायरो-मालाबार फोरम नाम की एक बॉडी के प्रदेश संयोजक हैं, जिसे वो बस एक ‘सिंप्ली प्रो चर्च’ बताते हैं’.
57 वर्षीय करीमबिनकलाइल अपनी क़मीज़ की जेब में, ‘लव जिहाद’ पर बहुत सारे नोट्स रखकर चलते हैं, और यही वो ‘तथ्य और आंकड़े’ हैं, जिन्हें वो हाल ही में स्थानीय टेलीविज़न चैनलों पर, चर्चाओं में आगे बढ़ाते रहे हैं. उन्होंने कहा कि सायरो-मालाबार चर्च ने कई मौक़ों पर चिंता जताई है, कि ‘मुस्लिम कट्टरपंथी हमारी लड़कियों को सीरिया ले जा रहे हैं’ लेकिन ‘कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है’.
केनेडी करीमबिनकलाइल को विश्वास है कि ईसाई महिलाओं के लिए खतरा है । फोटो । फातिमा असलम खान । दिप्रिंट
लेकिन, उन्होंने कहा कि वो सभी अंतर-धार्मिक विवाहों के खिलाफ नहीं हैं. उन्होंने कहा, ‘केरल एक शिक्षित प्रांत है, इसलिए ज़ाहिर है यहां मिली-जुली शादियां होती हैं; ऐसे मामलों को हम लव जिहाद नहीं कह सकते’. उन्होंने आगे कहा, ‘धर्मांतरण भी एक निजी मामला है, लेकिन उसके बाद अगर किसी को सीरिया, या आईएसआईएस ले जाया जाता है, तो वो एक समस्या है’.
सायरो-मालाबार चर्च के एक अन्य सदस्य और 25 वर्षीय छात्र, जो लैटी काउंसिल का भी हिस्सा हैं, ने कहा कि कुछ दूसरे मुद्दे भी समुदाय को ‘परेशान’ कर रहे हैं- जैसे तुर्की के हागिया सोफिया का मस्जिद में बदला जाना.
छात्र ने, जो अपना नाम नहीं बताना चाहते थे, कहा कि ‘वैश्विक मुद्दे, लव जिहाद के मामलों के साथ मिलकर, बहुत परेशान करते रहे हैं, इसलिए ज़ाहिर है कि हम अपनी महिलाओं को लेकर डरे हुए हैं’.
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सद्भाव के साथ रहना चाहिए: लव जिहाद की टिप्पणियां करने वाले बिशप
2009 के आसपास की बात है, जब ‘लव जिहाद’ केरल की लोकप्रिय शब्दों की सूची में शामिल हुआ. उस साल राज्य के हाईकोर्ट ने सरकार से ‘लव जिहाद’ के ख़िलाफ क़ानून बनाने का अनुरोध किया था, चूंकि उसने दावा किया था कि ‘प्यार की आड़ में जबरन धर्मांतरण के संकेत मिल रहे थे’.
फिर 2016 में, ख़बर सामने आई कि सूबे की 20 महिलाओं को, आईएसआईएस में भर्ती कर लिया गया था, जिससे पहले उन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया था.
इनमें से एक मामला जो काफी चर्चित हुआ, वो 24 वर्षीय निमिश फातिमा का था, जो अपने पति ईसा उर्फ बेक्सिन विंसेंट के साथ, 2015 में दोनों के इस्लाम धर्म अपना लेने के बाद, ग़ायब हो गई थी.
लेकिन विश्लेषकों का कहना है, कि दरअस्ल ये चर्च ही है जिसने हाल में, इस कहानी को आगे बढ़ाया है.
पिछले साल अपने एक बयान में, सायरो-मालाबार चर्च ने, जो यूक्रेनियन चर्च के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ईस्टर्न कैथोलिक चर्च है, कहा कि ‘लव जिहाद’ के नाम पर ईसाई युवतियों को ‘निशाना बनाकर मारा जा रहा है’.
बयान में कहा गया, ‘लव जिहाद के बढ़ने से केरल के सांप्रदायिक सद्भाव और शांति को ख़तरा पैदा होता है. ये एक सच्चाई है कि राज्य में लव जिहाद के ज़रिए, ईसाई लड़कियों को निशाना बनाया जा रहा है’.
राजनीतिक विश्लेषक बिपिन सेबेस्टियन ने कहा, ‘लव जिहाद एक ऐसा मुद्दा है, जो समुदाय में अच्छे से घुस गया है. इसकी प्रतिक्रिया में चर्च ने उन पूर्वाग्रहों को लामबंद करके आगे बढ़ा दिया, जो समुदाय के भीतर पहले से मौजूद थे’.
लेकिन दिप्रिंट से बात करते हुए, सायरो-मालाबार चर्च के प्रमुख, कार्डिनल जॉर्ज एलेंचेरी ने कहा कि उनके लिए ‘सांप्रदायिक सौहार्द सबसे ज़्यादा अहमियत रखता है’.
उन्होंने कहा, ‘सभी समुदायों को पूरी शांति और सांप्रदायिक सौहार्द में रहना चाहिए’. उन्होंने आगे कहा,‘सभी धर्मों और सांस्कृतिक समूहों के बीच एक आपसी समझ होनी चाहिए. एक सहयोग की भावना होनी चाहिए’.
लेकिन, एलेंचेरी ने ‘लव जिहाद’ पर ज़ाहिर किए गए, अपने पहले के विचारों पर बात करने से मना कर दिया.
दो महीने पहले ही, एलेंचेरी समेत कई चर्च निकायों के प्रमुखों ने, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की थी, और अन्य विषयों के अलावा, कथित रूप से ‘लव जिहाद’ के मुद्दे पर भी चर्चा की थी.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘हम प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से न्योता मिलने पर वहां गए थे…हमने समाज को लेकर बहुत सी बातों पर सामान्य रूप से चर्चा की, जिनमें चर्च और सरकार के बीच रिश्ते पर भी बातचीत की गई’.
लेकिन, एलेंचेरी ने पीएम मोदी के साथ हुई अपनी मुलाक़ात को ‘सामान्य’ बताया, और इस बात से इनकार किया, कि वो बीजेपी का कोई राजनीतिक समर्थन था.
उन्होंने कहा, ‘दरअसल, हम सभी राजनीतिक दलों और गठबंधनों का समर्थन कर रहे हैं, क्योंकि वो सब हमारा और हमारे पूरे समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं’. उन्होंने ये भी कहा, ‘लगभग सभी समुदाय अब सभी राजनीतिक दलों के सदस्य हैं, इसलिए हम ये नहीं कह सकते, कि हम किसी एक पार्टी का समर्थन कर रहे हैं’.
कार्डिनल जॉर्ड एलेंचरी, सायरो-मालाबार चर्च के प्रमुख । फोटोः फातिमा असलम खान । दिप्रिंट
‘लव जिहाद’ और राजनीति
ईसाई केरल की आबादी का क़रीब 19 प्रतिशत हैं, जो इस समुदाय को सूबे का एक बड़ा अल्पसंख्यक वर्ग बनाती है.
विधान सभा चुनावों से पहले अपने चुनावी घोषणापत्र में, बीजेपी ने वादा किया है कि अगर वो सत्ता में आती है, तो ‘लव जिहाद’ के खिलाफ एक क़ानून लाएगी.
पिछले महीने, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने, राज्य में प्रचार करते हुए, एलडीएफ और यूडीएफ को इस बात के लिए निशाने पर लिया, कि उन्होंने ‘लव जिहाद के खिलाफ’ कोई क़दम नहीं उठाए हैं.
सीपीआई(एम) ने इस पर पलटवार किया, और सूबे के कार्यवाहक प्रदेश सचिव ए विजयराघवन ने कहा, कि ‘लव जिहाद’ का कोई वजूद नहीं है, और ये संघ परिवार के दिमाग़ की उपज है.
लेकिन, सीपीआई(एम) की अपनी सहयोगी केरल कांग्रेस(एम), जो एलडीएफ में नई दाख़िल हुई है, बिल्कुल अलग विचार रखती है. केरल कांग्रेस (एम) ईसाइयों के बीच बेहद लोकप्रिय है.
दिप्रिंट को पहले दिए गए एक इंटरव्यू में, इसके प्रमुख जोज़ के मणि ने कहा था, कि उन्हें लगता है कि राज्य में ‘लव जिहाद’ के मामले हुए हैं, जिन्हें देखे जाने की ज़रूरत है.
लेकिन इस मुद्दे पर सीपीआई(एम) का अपना रुख़ अस्पष्ट रहा है. पूर्व केरल मुख्यमंत्री और वरिष्ठ पार्टी नेता, वीएस अच्युतानंदन ने 2010 में दावा किया था, कि ‘लव जिहाद का ख़तरा’ मौजूद है.
अच्युतानंदन ने, जो उस समय सत्ता में थे, कहा था कि ‘20 वर्षों में भारत और केरल, एक मुस्लिम-बहुल क्षेत्र बन जाएंगे. युवाओं को पैसा दिया जा रहा है, और उन्हें इस्लाम धर्म अपनाने के लिए, लुभाया जा रहा है’.
लेकिन हर कोई इस मुद्दे का राजनीतिकरण किए जाने से सहज नहीं है- वो ईसाई भी, जो मानते हैं कि ‘लव जिहाद’ की जांच कराई जानी चाहिए.
कोच्चि निवासी और सायरो-मालाबार चर्च के सदस्य, एमए जोज़फ ने कहा, ‘ये एक गंभीर मामला है. केरल के कुछ हिस्सों में इसकी जांच कराए जाने की ज़रूरत है’.
जोज़फ ने कहा, ‘चर्च के पास बहुत सारे गंभीर मुद्दे हैं, लेकिन इसका मौजूदा रुझान सिर्फ इस पर फोकस करने का रहा है. उसके अलावा, ये मुद्दा मोदी सरकार के दूसरी बात में सत्ता में आने के बाद ही सामने आया है- इसलिए इसका अकारण ही राजनीतिकरण किया जा रहा है’.
एमए जोसेफ ने कहा कि चर्च के पास अन्य भी मुद्दे हैं जिस पर उसे फोकस करना चाहिए । फातिमा असमल खान । दिप्रिंट
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‘लव जिहाद’ के नैरेटिव के जवाब में ‘प्रगतिशील’ आंदोलन
‘लव जिहाद’ पर समुदाय के बीच, ख़ासकर चर्च प्रमुख की ओर से बढ़ती चर्चा ने, एक जवाबी आंदोलन को भी जन्म दे दिया है- जिसकी अगुवाई ऐसे समूह कर रहे हैं, जो ख़ुद को प्रगतिशील कहते हैं.
ऐसे ही एक ग्रुप ने, जिसे आर्कडायोसिसन मूवमेंट फॉर ट्रांसपेरेंसी कहा जा रहा है, खुले तौर पर चर्च के रुख़ को चुनौती दी है.
समूह के संयोजक शाइजू एंटनी ने कहा, ‘चर्च की ओर से लव जिहाद संदेश ऐसे समय पर आया, जब जबरन धर्मांतरण जैसी कोई ख़बरें नहीं थीं’. उन्होंने आगे कहा, ‘हमने हर एक आर्कबिशप से पूछा कि वो इसे किस हिसाब पर आधारित कर रहे हैं, धर्मांतरण की दर क्या है, डर के इस कारोबार के पीछे आधार क्या है. लेकिन उनके पास कोई जवाब नहीं थे’.
उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश जैसे प्रांतों के विपरीत, जहां ‘लव जिहाद’ को एक हिंदू-मुस्लिम मसले के तौर पर पेश किया जाता है, केरल में ईसाई समुदाय के कुछ हिस्सों में ये ज़्यादा चर्चा में आ रहा है.
एंटनी ने कहा, ‘ईसाई आबादी किसी और सूबे में इतनी अधिक नहीं है, जितनी केरल में है. और इसलिए अगर ज़्यादा संख्या में लोग इस थ्योरी पर यक़ीन करने लगें, तो इससे दक्षिण-पंथी प्रचार को ही राजनीतिक लाभ पहुंचेगा’.
ईसाइयों के बीच भी, काफी हद तक ये सायरो-मालाबार चर्च के सदस्य ही, इस थ्योरी पर यक़ीन करते नज़र आ रहे हैं. एंटनी ने आगे कहा, ‘इसका ताल्लुक़ सिर्फ इस बात से है, कि चर्च संप्रदाय के किसी भी प्रमुख ने, कभी इस तरह के राजनीतिक बयान नहीं दिए हैं. लेकिन जब एलेंचेरी ने ऐसा किया, तो ज़ाहिर है कि अंध भक्तों ने इसपर यक़ीन कर लिया’.
एंटनी ने आरोप लगाया कि इसका ताल्लुक़ उन भूमि घोटालों से है, जिनका पिछले कुछ सालों में एलेंचेरी पर आरोप लगाया गया है. एंटनी ने कहा, ‘हमें पूरा यक़ीन है कि एलेंचेरी बीजेपी का राग अलाप रहे हैं, ताकि वो इन मामलों में दोषी न ठहराए जाएं’.
कोच्चि स्थित एक व्यवसायी जोज़फ वर्घीज़, बचपन से ही सायरो-मालाबार चर्च के सदस्य रहे हैं. 50 की उम्र पार करने के बाद, अब वो ‘लव जिहाद’ प्रचार के एक मुखर विरोधी हैं, हालांकि वो अभी भी चर्च के मेम्बर बने हुए हैं.
उनका कहना था, ‘ये सरासर मूर्खता है. दरअस्ल, चर्च के भीतर ही, ख़ासकर सायरो-मालाबार चर्च में, संघ परिवार का एक मज़बूत गुट मौजूद है. ये उनकी उपज है. संघ परिवार राज्य में ईसाइयों और मुसलमानों को बांटना चाहता है, और सायरो-मालाबार के पादरी उसी कोशिश का हिस्सा हैं’.
ख़तरनाक और निराशाजनक: मुसलमान समुदाय
मुस्लिम समुदाय के लिए, उनके सामने हो रही ‘लव जिहाद’ पर बहस ‘बेहद निराशाजनक’ है. तिरुवनंतपुरम निवासी 30 वर्षीय मजीद ने बताया, कि उन्होंने निजी तौर पर ‘लव जिहाद’ फैलाने के आरोप का अनुभव किया है.
मजीद के तीन साल से एक हिंदू महिला के साथ संबंध रहे थे, जिसके बाद महिला के परिवार ने अचानक, दोनों के रिश्तों पर ऐतराज़ करना शुरू कर दिया.
मजीद ने कहा, ‘उन्होंने महिला से कहा कि शादी के बाद, मैं उसका धर्म बदलवा दूंगा, और उस पर अपना मज़हब थोप दूंगा. मेरे लिए वो एक बहुत बड़ा झटका था और मैं बहुत परेशान हुआ था’.
उन्होंने आगे कहा, ‘दुर्भाग्य की बात है कि अब ईसाइयों में भी, इस तरह का प्रचार फैलाया जा रहा है’.
दूसरे कुछ लोगों ने भी, इस पूरे विवाद को ‘चिंताजनक’ क़रार दिया, लेकिन उनका मानना था कि ऐसा ज़रूरी नहीं है, कि ये उनके लिए गंभीर चिंता का सबब बन जाएगा.
कोझिकोड में एक 27 वर्षीय व्यवसायी मोहम्मद शफ़ीक़ ने कहा, ‘जब आप लव जिहाद कहते हैं, तो सबसे पहली चीज़ जो दिमाग़ में आती है वो है संघ परिवार. जिस तरह केरल में सभी समुदाय जुड़े हुए हैं, मुझे नहीं लगता कि चर्च के बयानों से कोई ख़ास बदलाव आएगा’.
उन्होंने आगे कहा, ‘जी हां, पिछले कुछ सालों में केरल में अंतर-धार्मिक विवाहों में इज़ाफा हुआ है, लेकिन ये किसी लव जिहाद की वजह से नहीं है. बल्कि ये समाज में हो रही प्रगति का संकेत है’.
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