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Sunday, 6 October, 2024
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महाराष्ट्र में पहली बार हरे समुद्री कछुओं के घरौंदों की जगह का पता चला : विशेषज्ञ

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मुंबई, छह मार्च (भाषा) महाराष्ट्र के वन विभाग ने राज्य में पहली बार हरे समुद्री कछुओं के घरौंदों के स्थान की पहचान की है। एक समुद्री जीवविज्ञानी ने रविवार को यह जानकारी दी।

राज्य के वन विभाग के तहत एक स्वायत्त निकाय, मैंग्रोव फाउंडेशन के साथ काम करने वाले समुद्री जीवविज्ञानी हर्षद करवे ने कहा कि पांच मार्च को सिंधुदुर्ग जिले के देवबाग-तरकरली में कछुए के घोंसले से 74 बच्चे निकले। उन्होंने कहा कि 11 जनवरी को स्वयंसेवकों ने एक कछुआ देखा जो ओलिव रिडले कछुओं से बड़ा था। आमतौर पर देवबाग-तरकरली में समुद्र तट पर कछुओं के घरौंदों के स्थल होते हैं।

करवे ने कहा, ‘‘स्वयंसेवक कछुए की पहचान नहीं कर पाए, इसलिए उन्होंने हमें तस्वीरें भेजीं। हमें देखकर हैरत हुई कि यह एक हरा समुद्री कछुआ है। यह पहली बार है कि महाराष्ट्र में एक हरे समुद्री कछुए के घरौंदे के स्थान का पता चला है।’’

उन्होंने कहा कि हरे समुद्री कछुए का घरौंदा चार से छह मीटर लंबा होता है और हरे समुद्री कछुओं के घरौंदों से इन क्षेत्रों के साथ-साथ राज्य में समुद्री कछुओं के संरक्षण को बढ़ावा मिलता है। विशेषज्ञ ने कहा कि महाराष्ट्र में कछुए की पांच प्रजातियां हैं और ये सभी वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षित हैं, जिनमें ओलिव रिडले सबसे आम है।

उन्होंने कहा कि रायगढ़, रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग के तटीय जिले कछुओं के घरौंदों के लिए जाने जाते हैं।

भाषा सुरभि अविनाश नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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