नयी दिल्ली, छह नवंबर (भाषा) दिल्ली में फरवरी 2020 में हुए दंगों से जुड़े यूएपीए मामले में आरोपी शादाब अहमद ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि विरोध प्रदर्शन आयोजित करना और उनमें भाग लेना कोई आपराधिक कृत्य नहीं है।
अहमद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने भी न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ के समक्ष अहमद की ओर से देरी के अभियोजन पक्ष के दावे का खंडन किया।
लूथरा ने कहा, ‘‘वह 27 साल का है और 2016 से एनडीएस एंटरप्राइजेज जगतपुरी में सुपरवाइजर के रूप में काम कर रहा है। आरोप पर बहस हो रही है लेकिन मेरे लिए बहस पूरी हो चुकी है और मेरी ओर से कोई देरी नहीं हुई है।’’
उच्चतम न्यायालय ने मामले की सुनवाई 11 नवंबर के लिए निर्धारित कर दी, जब दिल्ली पुलिस अपनी दलीलें शुरू करेगी।
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी थी जिसमें 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे।
भाषा
नेत्रपाल पवनेश
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