हिसार: मौक़ा-ए-वारदात की तस्वीरें ख़ौफनाक हैं: एक मां और उसके तीन बच्चे- दो किशोर बेटियां और एक 11 साल का बेटा- ख़ून से लथपथ बेडरूम में पड़े हुए थे, जिससे साफ ज़ाहिर था कि उनके आख़िरी लम्हे बेतहाशा हिंसा के बीच गुज़रे थे. फोटोग्राफ्स में पीड़ितों के पूरे शरीर पर गंभीर घाव नज़र आ रहे थे, और पुलिस सूत्रों का कहना है कि उन्हें एक रूंबा (लोहे की बड़ी रॉड) से पीट-पीटकर मार डाला गया था.
कुछ संकेत हैं, जिनकी अभी पुष्टि होनी है कि हमले से पहले हत्यारे ने उन्हें खीर में बेहोशी की दवा मिलाकर खिलाई थी.
पुलिस के अनुसार हत्यारा महिला का पति और तीन बच्चों का पिता, 45 वर्षीय रमेश वर्मा है. उसकी भी रविवार और सोमवार के बीच की रात मौत हो गई लेकिन घर से कुछ किलोमीटर दूर, जो हरियाणा के हिसार में नांगथला गांव में स्थित है. किसी गाड़ी ने उसे उस समय टक्कर मार दी, जब वो अग्रोहा रोड के बीच में खड़ा था और सोमवार सुबह उसे अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया. एक सुसाइड नोट में वर्मा ने कथित रूप से हत्याओं को स्वीकार किया.
हिसार के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि अधिकारियों को पहले रमेश वर्मा की मौत का पता चला, और उसके बाद ही परिवार के घर में भयानक मौतों का पता चला. अधिकारी ने कहा, ‘सुबह 5 बजे हमें एक कॉल आई कि वर्मा मुख्य अग्रोहा मार्ग पर पड़ा हुआ था. उसे अस्पताल लाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया. जब पुलिस उसके परिवार को मौत की ख़बर देने गई, तो घर में उनकी लाशें मिलीं’.
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पुलिस अधिकारी ने आगे कहा कि पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर लिया है और मौत के कारणों का पता लगाने के लिए फॉरेंसिक रिपोर्ट्स का इंतज़ार है. अधिकारी ने कहा, ‘उनके शरीर पर बहुत सारे घातक घाव थे. उनके सिरों पर सिर्फ एक वार नहीं था, बल्कि गले और सीने पर भी चोटें थीं. रिपोर्ट्स आने के बाद ही पता चल पाएगा कि उन्हें नींद की गोलियां दी गईं या कुछ और रसायनिक पदार्थ’.
लेकिन, पुलिस सूत्रों के अनुसार इसमें कोई शक नहीं है कि बाहर से ख़ुश दिखने वाले परिवार का सफाया किसने किया है. वो आगे कहते हैं कि मौक़ा-ए-वारदात से मिले सुसाइड नोट्स से, जिन्हें ज़ाहिरी तौर पर रमेश वर्मा ने लिखा है, उसकी मानसिक स्थिति का पता चलता है’.
वर्मा परिवार के परिजनों और पड़ोसियों ने भी दिप्रिंट से कहा- शायद पीछे मुड़कर देखते हुए कि सामान्य दिखने के सभी ताम-झाम के बावजूद परिवार में कहीं न कहीं कोई ‘गड़बड़’ लगती थी.
दिप्रिंट ने कई कॉल्स और संदेशों के ज़रिए हिसार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) बलवंत सिंह राणा से संपर्क साधने की कोशिश की, लेकिन इस ख़बर के छपने तक उनका कोई जवाब नहीं आया था. पांचों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का अभी भी इंतज़ार है.
फूलों और पक्षियों के बीच में घर
वर्मा आवास हिसार के इस इलाक़े में सबसे आकर्षक घरों में एक माना जाता है.
सामने के आंगन में एक ऊंचा नीम का पेड़ है, जबकि पिछले अहाते के बग़ीचे में गुलाब और गेंदे के फूल भरे हैं. सबसे असामान्य बात ये है कि यहां पक्षियों के लिए 70 से अधिक आशियाने हैं, जिनमें घोंसले, पिंजरे और पक्षी घर शामिल हैं.
वर्मा के चाचा सीतामन ने दिप्रिंट से कहा, ‘वो एक असली पशु-प्रेमी था. उसने तो कभी किसी चींटी की भी हत्या नहीं की’. कई दूसरे पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने भी वर्मा के बारे में इसी तरह की बातें कहीं.’
रमेश वर्मा शादी के कार्ड्स छापने की एक प्रेस चलाकर अपनी जीविका चलाता था, लेकिन उसके जानने वालों ने बताया कि उसका असली शौक़ प्रकृति के लिए था. उन्होंने आगे कहा कि उसके फोटोग्राफ ब्लॉग्स और फीचर लेखों में भी नज़र आए हैं.
अपने फेसबुक पेज पर वर्मा ने सांपों, छिपकलियों और गिरगिटों के साथ अपनी तस्वीरें साझा की हैं. इनमें कुछ वीडियोज़ में पृष्ठभूमि में धार्मिक गीत चल रहे हैं, जानवरों के बारे में लिखित जानकारी दी गई है.
उसके तीनों बच्चों- अनुष्का (15), दीपिका (13) और केशव (11)- की बग़ीचे में खड़े हुए तस्वीरें हैं, जिसमें सबसे छोटा बच्चा बड़े आत्म-विश्वास के साथ सांपों के साथ खेल रहा है. व्यवस्थित की गई इन तस्वीरों और वीडियोज़ में परिवार ख़ुश नज़र आता है. वर्मा की मां ओमवती, जो अपने दूसरे बेटे के साथ घर से महज़ 200 मीटर की दूरी पर रहती हैं, और उसके चाचा सीतामन रमेश को ‘तमीज़दार’ और ‘धार्मिक’ बताते हैं.
घर में, जिसके दरवाज़े पर एक पोस्टर लगा है, जिस पर ‘जय श्रीराम स्वागतम’ लिखा है, और भगवान गणेश की एक तस्वीर है- बच्चों के कुछ फोटो हैं, और कुछ फोटो वर्मा के कालेज के समय के दोस्तों के साथ हैं. हॉल के अंदर अनुष्का का एक बड़ा फोटो लगा है.
गांव के पुरुष और महिलाएं जब ओमवती के घर के बाहर शोक मनाने के लिए जमा हुए, तो सारी बातचीत अविश्वास के इर्द-गिर्द ही थी- कि सब कुछ ‘सही लगता था’.
ये पूछने पर कि क्या रमेश वर्मा धार्मिक था, या किसी ख़ास देवता को मानता था, उसके परिवार के सदस्यों ने कहा कि वो इससे अवगत नहीं हैं. वर्मा के चचेरे भाई संजय ने कहा, ‘वो सिर्फ शिव की पूजा करते थे, वो भी जब वो सांप को पकड़े होते थे’.
जब उनसे वर्मा के अपने परिवार के साथ किसी फोटो के लिए पूछा गया, तो वर्मा के भाई सुनील और परिवार के अन्य सदस्यों ने कहा कि उनके पास ऐसा कोई फोटो नहीं है. ओमवती ने कहा, ‘जब वो यहां से गए, तो शादी की तमाम एलबम्स और फोटो ले गए थे’.
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वर्मा क़रीब डेढ़ साल से ‘अजीब सा बर्ताव’ करने लगा था
हालांकि, बहुत से लोगों ने ज़ोर देकर कहा कि वर्मा परिवार हर तरह से ‘सामान्य’ नज़र आता था, लेकिन समुदाय के दूसरे लोगों ने इस ओर इशारा किया कि कुछ समय से संकेत मिल रहे थे कि सब कुछ सही नहीं था.
वर्मा के घर के पास एक किराना स्टोर चलाने वाले एक व्यक्ति सुभाष ने कहा, ‘वो किसी से बात नहीं करते थे. उनकी पत्नी और बच्चे भी बहुत कम बाहर निकलते थे’.
केशव के एक पड़ोसी दोस्त का भी परिवार के बारे में इसी तरह का विचार था. उसने कहा, ‘जब भी मैं केशव को बाहर खेलने के लिए बुलाने जाता था, तो उसके बहाने तैयार रहते थे. वो स्कूल जाते थे, सांपों और पक्षियों को खिलाते थे, और फिर सो जाते थे’.
सुनील और संजय ने और गहरी बात बताई. संजय ने कहा कि वर्मा ‘मानसिक रूप से परेशान थे’, जबकि सुनील ने कहा कि क़रीब डेढ़ साल पहले एक बाइक हादसे के बाद, उसके व्यक्तित्व में बदलाव आ गया था. सुनील ने कहा, ‘अपने उस हादसे के बाद से रमेश का व्यवहार बदल सा गया था. उसके गले में चोट लगी थी जिसके बाद वो कई दिनों तक बोल नहीं पाया था और उसी के बाद वो हमेशा के लिए बदल गया’.
कथित सुसाइड नोट में ‘मोक्ष’ प्राप्ति की इच्छा
पुलिस सूत्रों का कहना है कि उन्हें वर्मा की जेबों, और घर के अंदर से सुसाइड नोट्स मिले हैं. इनमें 11 पन्नों का एक पत्र भी है, जिसे दिप्रिंट ने देखा है, जिसमें वर्मा ने कथित तौर पर अपनी मानसिक स्थिति के बारे में विस्तार से लिखा है.
इस तथाकथित नोट में वर्मा ने दावा किया कि उसे ‘मानसिक बीमारी’ नहीं थी, लेकिन वो ख़ुद को ख़त्म करना चाहता था, ताकि झूठे जीवन को पीछे छोड़कर ‘मोक्ष’ हासिल कर सके.
उसने लिखा कि वो अपने ‘मासूम बच्चों’ को अपने पीछे नहीं छोड़ सकता. जहां तक उसकी पत्नी, 38 वर्षीय सविता का सवाल है, उसने कहा कि वो उसकी इच्छा के अनुसार ही काम कर रहा है कि हमेशा साथ रहेंगे, ‘ज़िंदा या मुर्दा’.
माफी मांगते हुए उसने अपने पत्र में स्वीकार किया कि उसने अपने परिवार को नींद की गोलियां खिलाकर उनकी जान ले ली है.
उसने लिखा, ‘मुझे मोक्ष शांति चाहिए थी. मैंने अपने जीवन के सभी सपने पूरे कर लिए हैं. आज मेरी लिखाई अलग है. मेरे ऊपर कोई कर्ज़ नहीं है’. उसने एक आदमी का नाम लिखा जिस पर उसके 2 लाख रुपए उधार हैं, और ये भी लिखा कि वो पैसा किसे दिया जाना चाहिए.
इस असंबद्ध से पत्र में वर्मा ने अपने शुरू के वर्षों पर चिंतन किया- अपने जीवन के रहस्यों का बोध, 2006 में पिता की मृत्यु और कैसे वो मजबूरन इस सांसारिक जीवन में दाख़िल हुआ और कैसे उसे अक्सर ग़लत समझा गया. उसने लिखा कि उसके भाई और परिवार के दूसरे सदस्य ‘लालची’ थे, और जब वो बड़ा हुआ तो उसने अपने ग़ुस्से पर से नियंत्रण खो दिया.
पत्र से हिसार केस और 2018 में दिल्ली के बुराड़ी में मौतों के बीच कुछ समानताएं भी नज़र आईं. जिस तरह ललित भाटिया को 2018 में अपने परिवार की मौत का ज़िम्मेदार माना जाता है, उसी तरह वर्मा पर भी अपने पिता की मौत का भूत सवार था.
वर्मा ने लिखा कि हालांकि वो ‘बचपन से ही बाक़ी लोगों से अलग’ था, लेकिन उसका ‘विनाश’ उसके पिता की मौत के साथ शुरू हुआ. उसने लिखा:
‘हम इस धरती पर क्यों हैं, क्या रहस्य है, लोग किस चीज़ से भाग रहे हैं? कालेज जाने के बाद हर चीज़ फर्ज़ी लगने लगी, मुझे किसी चीज़ से ख़ुशी नहीं मिली. जब मैं इस दुविधा में था तो मेरे पिता गुज़र गए और यही मेरे विनाश की शुरुआत थी. मुझे शादी के लिए मजबूर किया गया, जिससे कि मैं अपनी मां और भाई की देखभाल कर सकूं…
…पिछले 15 वर्षों से मेरा दिमाग़ किसी योगी की तरह रहा है, मैं मोक्ष प्राप्त करना चाहता था, लेकिन घर को नहीं छोड़ सकता था. मुझे हमेशा ग़लत समझा जाता है, इसलिए मैं अपने अंदर ही सिमटकर रहने लगा. फिर मैंने एक नया घर बनाया और अलग रहने लगा, लेकिन कुछ भी सही नहीं था और हर किसी ने मुझसे दूरी बना ली क्योंकि वो लालची थे. उम्र बढ़ने के साथ मैं अपने ग़ुस्से पर क़ाबू नहीं रख पाता था’.
वर्मा ने अपने भाई पर पैतृक संपत्ति हथियाने का आरोप लगाया, लेकिन सुनील और उनकी मां ओमवती ने इससे इनकार किया. बेक़ाबू होकर रोते हुए ओमवती ने कहा, ‘उसने किसी चीज़ पर ऐतराज़ नहीं किया. वो एक अच्छा बेटा था, और उसकी पत्नी भी बहुत अच्छी थी’.
45 वर्षीय रमेश ने पहले भी खुदकुशी की तीन कोशिशों का ज़िक्र किया, जिनमें से एक में उसने बिजली का एक नंगा तार मुंह में रखकर ख़ुद को मारने की कोशिश की. उसने लिखा, ‘ओह, मुझे अभी समझ में आया कि मुझे करंट नहीं लग सकता’.
वर्मा के नोट की कुछ आख़िरी पंक्तियां उसकी ख़ुदकुशी से कुछ पहले की ही लिखी हुई लगती हैं. उसने लिखा, ‘अपने शरीर की हत्या के लिए मैं सड़क पर जा रहा हूं. सुबह के 4 बजे हैं और मैंने अपना घर छोड़ दिया है. अग्रोहा (पुलिस स्टेशन) को सूचित कर दीजिए’.
अंत में वर्मा ने कुछ निर्देश लिखे: ‘मेरे घर को हमेशा बंद रखिए, मेरी आत्मा वहां निवास करेगी. मेरी अस्थियां हरिद्वार मत ले जाइए, इसकी बजाय उन्हें श्मशान घाट के पेड़ों और पौधों में डाल दीजिए’.
ये पूछने पर कि क्या परिवार ने इन इच्छाओं का पालन किया था, वर्मा के भाई सुनील ने कहा कि पूरे परिवार की अस्थियों को हरिद्वार ले जाया गया था. उसने कहा, ‘वहां पर वो श्मशान भूमि में पौधों की सिंचाई, और पक्षियों को भोजन देने का काम करता रहेगा’.
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