scorecardresearch
Thursday, 6 November, 2025
होमदेशहिंदू संगठन ने धर्मांतरण से संबंधित याचिकाओं में हस्तक्षेप के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया

हिंदू संगठन ने धर्मांतरण से संबंधित याचिकाओं में हस्तक्षेप के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया

Text Size:

नयी दिल्ली, छह नवंबर (भाषा) हिंदू संगठन अखिल भारतीय संत समिति ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय का रुख कर गैरकानूनी और जबरन धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए कई राज्यों में बनाए गए कानूनों के खिलाफ दायर याचिकाओं में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया।

अधिवक्ता अतुलेश कुमार के माध्यम से दायर याचिका में उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2018, उत्तर प्रदेश विधि विरूद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2021, हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम 2019 और मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2021 सहित कई राज्यों में बनाये गए कानूनों के खिलाफ दायर याचिकाओं को चुनौती दी गई है।

सितंबर में, शीर्ष अदालत ने विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित याचिकाओं को अपने पास स्थानांतरित कर लिया था, जिनमें अंतर-धार्मिक विवाहों पर धर्म परिवर्तन को विनियमित करने वाले विवादास्पद कानूनों को चुनौती दी गई थी, जिनमें जमानत और लंबी सजा के लिए कड़े प्रावधान भी शामिल हैं।

अखिल भारतीय संत समिति की याचिका में याचिकाकर्ता को मामले में एक पक्षकार के रूप में शामिल करने और अदालत में लिखित रूप से अपनी बात रखने की अनुमति देने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

संगठन ने दलील दी है कि किसी धर्म का ‘‘प्रचार’’ करने की स्वतंत्रता किसी व्यक्ति को धर्मांतरण कराने का अधिकार नहीं देती है और कानून स्वतंत्र आधार पर स्वैच्छिक धर्म परिवर्तन पर रोक नहीं लगाते हैं।

याचिका में कहा गया है कि ये कानून केवल उन धर्मांतरण कृत्यों को नियंत्रित करते हैं जो जबरन, धोखाधड़ी, प्रलोभन, अनुचित प्रभाव या दिखावटी विवाह द्वारा किये जाते हैं।

याचिका में कहा गया है कि ये अधिनियम सद्भावनापूर्ण धर्मांतरण पर कोई पूर्व प्रतिबंध नहीं लगाते हैं।

उच्चतम न्यायालय ने 2023 में राज्यों के धर्मांतरण विरोधी कानूनों को चुनौती देने वाले पक्षों से कहा था कि वे उच्च न्यायालयों से मामलों को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने के लिए एक साझा याचिका दायर करें।

इसने उल्लेख किया था कि ‘‘इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कम से कम पांच, मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में सात, गुजरात और झारखंड उच्च न्यायालयों में दो-दो, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में तीन तथा कर्नाटक और उत्तराखंड उच्च न्यायालयों में एक-एक ऐसी याचिकाएं हैं।’’

गुजरात और मध्यप्रदेश राज्यों द्वारा भी दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की गईं, जिनमें धर्मांतरण पर उनके कानूनों के कुछ प्रावधानों पर रोक लगाने वाले संबंधित उच्च न्यायालयों के अंतरिम आदेशों को चुनौती दी गई थी।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के धर्मांतरण विरोधी कानूनों के खिलाफ भी उच्चतम न्यायालय का रुख किया था और दलील दी थी कि ये अंतर-धार्मिक जोड़ों को ‘‘परेशान’’ करने और उन्हें आपराधिक मामलों में फंसाने के लिए बनाए गए हैं।

भाषा सुभाष माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments