नैनीताल, चार अगस्त (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पंचायत चुनाव संबंधी उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें एक बूथ पर डाले गए मतों को रद्द करने तथा कथित फर्जी वोटिंग व उसमें निर्वाचन अधिकारियों की संलिप्तता के मामले की निष्पक्ष जांच कराने का अनुरोध किया गया था।
न्यायालय ने यह भी कहा कि पंचायत चुनावों में फर्जी वोटिंग के आरोपों का निर्णय केवल चुनाव याचिका के माध्यम से ही किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी देहरादून में जोशी गोथान से पंचायत सदस्य के पद पर चुनाव लड़ने वाले राजेंद्र सिंह चौहान द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें आरोप लगाया गया कि पंचायत चुनाव में तहसील और ब्लॉक कालसी में जूनियर हाई स्कूल दतानू में स्थित मतदान केंद्र-82 के बूथ संख्या-75 पर 38 फर्जी वोट डाले गए।
उन्होंने अपनी याचिका में इन मतों को रद्द करने तथा मामले की एक उच्च स्तरीय जांच कराने का अनुरोध किया।
इस मामले में राज्य निर्वाचन आयोग ने कहा कि यह मसला चुनाव विवाद से संबंधित है और संविधान के अनुच्छेद 243-ओ और उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम 2016 की धारा 131-एच के अनुसार, ऐसे आरोपों पर निर्णय एक रिट याचिका के जरिए नहीं किया जा सकता।
अदालत ने उच्च न्यायालय के एक हालिया आदेश का उल्लेख करते हुए कहा कि एक बार चुनाव प्रक्रिया शुरू हो जाने के बाद उसे बीच में बाधित नहीं किया जाना चाहिए।
न्यायालय ने कहा कि किसी चुनाव की वैधता को दी जाने वाली चुनौती का समाधान कानून के तहत चुनाव याचिका के माध्यम से ही होना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने राजेंद्र सिंह चौहान की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
भाषा सं दीप्ति खारी
खारी
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.