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मंगलवार, 20 मई, 2025
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उच्च न्यायालय का दुष्कर्म आरोपी के मकान को ध्वस्त करने की प्रक्रिया में हस्तक्षेप से इनकार

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नैनीताल, 19 मई (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी मोहम्मद उस्मान के मकान को ध्वस्त किए जाने की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से सोमवार को इनकार कर दिया।

उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने कहा कि यह एक दीवानी मामला है और इस मामले में विकास प्राधिकरण को निर्णय करना है।

अदालत ने याचिकाकर्ता से निर्धारित तारीख पर विकास प्राधिकरण के सामने पेश होने को कहा।

उस्मान की पत्नी हुस्न बेगम द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि उनके पति के जेल में होने के कारण उस्मान का विकास प्राधिकरण के सामने उपस्थित होना और घर ढहाए जाने के लिए जारी नोटिस का जवाब दे पाना संभव नहीं है।

एक नाबालिग लड़की से कथित दुष्कर्म का आरोपी उस्मान जेल में है। पिछले माह इस मामले के सामने आने के बाद नैनीताल में सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया था।

इसके बाद, सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर बनाए गए उस्मान के मकान को ढहाए जाने के लिए नोटिस जारी किए गए। उस्मान की पत्नी हुस्न बेगम ने अदालत का रुख किया और कहा कि नोटिस जारी करने में प्रक्रिया का अनुपालन नहीं किया गया और इसलिए यह अवैध है।

इसके बाद नोटिसों को वापस ले लिया गया और नियमों के हिसाब से दोबारा नोटिस जारी हुए।

जिला प्राधिकरण के सामने मामले की सुनवाई अब 22 मई को होगी जिसके बाद उस्मान के मकान को ढहाए जाने की कार्रवाई के बारे में निर्णय लिया जाएगा।

भाषा सं दीप्ति खारी

खारी

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यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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