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Tuesday, 19 November, 2024
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उच्च न्यायालय ने दिल्ली में हिमाचल भवन को कुर्क करने का आदेश दिया

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शिमला, 19 नवंबर (भाषा) हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार पर बिजली कंपनी ‘सेली हाइड्रोपावर इलेक्ट्रिकल’ के 150 करोड़ रुपये के बकाये की वसूली के लिए दिल्ली स्थित हिमाचल भवन को कुर्क करने का आदेश दिया है।

न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की एकल पीठ ने सोमवार को पारित आदेश में कहा कि कंपनी दिल्ली के मंडी हाउस इलाके में स्थित हिमाचल भवन की नीलामी के लिए उचित कदम उठा सकती है।

महाधिवक्ता अनूप रतन ने कहा कि हिमाचल सरकार ने पहले ही उच्च न्यायालय के पिछले आदेश के खिलाफ अपील दायर की है, जिस पर इसी महीने सुनवाई होने की संभावना है।

मामला हिमाचल के लाहौल एवं स्पीति जिले में चिनाब नदी पर प्रस्तावित 340 मेगावाट की सेली जलविद्युत परियोजना से जुड़ा हुआ है।

राज्य सरकार ने यह परियोजना सेली हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कंपनी लिमिटेड/मोजर बेयर को आवंटित की थी और 28 फरवरी 2009 को एक आवंटन पत्र (एलओए) भी जारी किया था। इसके बाद कंपनी ने 64 करोड़ रुपये का अग्रिम प्रीमियम जमा किया।

हालांकि, सेली जलविद्युत परियोजना आगे नहीं बढ़ सकी। राज्य सरकार ने एलओए रद्द कर दिया और अग्रिम प्रीमियम जब्त करने का आदेश दिया।

कंपनी ने इस फैसले को पंचाट के समक्ष चुनौती दी, जिसने उसके पक्ष में फैसला सुनाया और सरकार से ब्याज सहित अग्रिम प्रीमियम जमा करने को कहा।

राज्य सरकार के आदेश पर अमल न करने के बाद कंपनी ने अनुच्छेद-226 के तहत उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर की।

अदालत ने याचिकाकर्ता की इस दलील में दम पाया कि सेली जलविद्युत परियोजना तकनीकी एवं वित्तीय रूप से अव्यवहार्य हो गई है और इससे पीछे हटने का उसका अनुरोध स्वीकार किया जाना चाहिए।

उच्च न्यायालय ने 13 जनवरी 2023 को पंचाट के फैसले को बरकरार रखा और हिमाचल सरकार को ब्याज सहित अग्रिम प्रीमियम रजिस्ट्री में जमा करने का निर्देश दिया।

अग्रिम प्रीमियम पर याचिका दायर करने की तिथि से सात प्रतिशत की दर से ब्याज लगाया गया। सरकार द्वारा भुगतान में देरी के कारण अग्रिम प्रीमियम की राशि ब्याज के साथ बढ़कर 150 करोड़ रुपये हो गई।

उच्च न्यायालय ने हिमाचल सरकार को झटका देते हुए दिल्ली स्थित हिमाचल भवन को कुर्क करने का आदेश दिया।

उसने चूक के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की पहचान के लिए प्रमुख सचिव (बिजली) को मामले की जांच करने और 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया।

उच्च न्यायालय ने मामले में अगली सुनवाई के लिए छह दिसंबर की तारीख निर्धारित की।

इस बीच, भाजपा ने कहा कि यह स्पष्ट तौर पर राज्य की कांग्रेस सरकार की विफलता है।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने कहा, ‘‘राज्य सरकार अपना बचाव करने में असमर्थ है और दिल्ली के मंडी हाउस में स्थित हिमाचल भवन जैसी हमारी प्रतिष्ठित संपत्तियों को कुर्क किया जा रहा है, जो स्पष्ट तौर पर सरकार की विफलता है।’’

भाजपा नेता ने आरोप लगाया, ‘‘कांग्रेस के शासन में हिमाचल प्रदेश नीलाम होने की कगार पर है।’’

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस मुद्दे पर आलोचना को खारिज कर दिया। उन्होंने यहां मीडियाकर्मियों से कहा, ‘‘राज्य सरकार के लिए 64 करोड़ रुपये जमा करना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन हम कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।’’

भाषा

शफीक अविनाश

अविनाश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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