scorecardresearch
Sunday, 28 April, 2024
होमदेशउच्च न्यायालय ने तमिलनाडु को नये सचिवालय मामले में अपील वापस लेने की अनुमति दी

उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु को नये सचिवालय मामले में अपील वापस लेने की अनुमति दी

Text Size:

चेन्नई, 28 मार्च (भाषा) मद्रास उच्च न्यायालय ने नये सचिवालय भवन के निर्माण में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ तमिलनाडु सरकार की अपील बृहस्पतिवार को खारिज कर दी।

एकल पीठ ने यहां नये सचिवालय भवन के निर्माण में कथित अनियमितताओं से संबंधित पूर्व अन्नाद्रमुक सरकार द्वारा जारी शासनादेश खारिज कर दिया था।

तत्कालीन अन्नाद्रमुक सरकार की ओर से जारी शासनादेश(जीओ) में नये सचिवालय परिसर के निर्माण में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए गठित न्यायमूर्ति रघुपति जांच आयोग की फाइल एवं रिकॉर्ड सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (डीवीएसी) को सौंपने का निर्देश दिया गया था। यह निर्माण कार्य 2006-11 के बीच द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के कार्यकाल में हुआ था।

न्यायमूर्ति आर सुरेश कुमार और के कुमारेश बाबू की खंडपीठ ने राज्य सरकार के अनुरोध को रिकॉर्ड पर लेते हुए अपील को वापस लिया हुआ मानकर खारिज कर दिया।

पीठ ने कहा कि इन अंतर-अदालती अपीलों को वापस लेने के अपीलकर्ता (राज्य सरकार) के अधिकारों की जहां तक बात है, विभिन्न निर्णयों के आधार पर मामले के पक्षकार एवं अन्नाद्रमुक के पूर्व सांसद जे. जयवर्धन द्वारा अपील का विरोध किये जाने की दलीलों को कायम नहीं रखा जा सकता।

खंडपीठ ने आगे कहा कि जिन निर्णयों पर उन्होंने (हस्तक्षेपकर्ता ने) भरोसा जताया, वे वैसे निर्णय थे, जो आपराधिक मुकदमे से संबंधित मामलों से उत्पन्न हुए थे।

खंडपीठ ने कहा कि जब किसी व्यक्ति ने अदालत में कार्यवाही शुरू की है तो उसके लिए अपना दावा वापस लेने या त्यागने का अधिकार हमेशा खुला रहता है, जैसा कि ‘‘अनुराग मित्तल बनाम शैली मिश्रा मित्तल’’ के मामले में व्यवस्था दी गयी है।

पीठ ने कहा कि ऐसी स्थिति में, अदालत किसी पक्ष पर मामला चलाने के लिए दबाव नहीं डाल सकती, खासकर तब, जब कोई पक्ष बिना कोई अधिकार सुरक्षित रखे अपना दावा छोड़ना चाहता हो।

भाषा सुरेश नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments