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Friday, 19 September, 2025
होमदेशपूर्वी और पछुआ हवाओं के बीच टकराव से हिमाचल और उत्तराखंड में भारी बारिश

पूर्वी और पछुआ हवाओं के बीच टकराव से हिमाचल और उत्तराखंड में भारी बारिश

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नयी दिल्ली, 16 सितंबर (भाषा) हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में रात भर हुई भारी बारिश, शुष्क पछुआ हवाओं और नमी से भरी पूर्वी हवाओं के बीच ‘तीव्र टकराव’ का परिणाम थी। मौसम विज्ञानियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

रात भर हुई मूसलाधार बारिश में कम से कम पांच लोग बह गए और देहरादून और आसपास के इलाकों में 500 से अधिक लोग फंस गए।

हिमाचल प्रदेश के मंडी में भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ के कारण एक बस स्टैंड जलमग्न हो गया, जिससे एक ही परिवार के तीन सदस्यों की मौत हो गई।

देहरादून स्थित भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के क्षेत्रीय केंद्र के प्रमुख सी.एस. तोमर ने कहा कि उत्तराखंड और हिमाचल में लगातार बारिश, शुष्क पश्चिमी हवाओं और नम पूर्वी हवाओं के संगम के कारण हुई है और अगले 24 घंटों तक यह पारस्परिक प्रभाव जारी रहने की उम्मीद है।

निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी ‘स्काईमेट’ के उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान) महेश पलावत ने कहा कि इस क्षेत्र में कोई बड़ी मौसम प्रणाली मौजूद नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह बारिश राजस्थान के पास बने एक प्रति-चक्रवात और आर्द्र पूर्वी हवाओं के कारण गर्म और शुष्क हवाओं के बीच प्रचण्ड पारस्परिक प्रभाव का परिणाम थी।’’

अधिकारियों ने बताया कि इस मानसून में हिमाचल प्रदेश में बारिश से संबंधित घटनाओं में 232 लोगों की मौत हो चुकी है, जहां बादल फटने की 46, अचानक बाढ़ की 97 और भूस्खलन की 140 घटनाओं के कारण 4,504 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने बादल फटने के आंकड़ों की पुष्टि नहीं की है। पूरे उत्तर भारत में असामान्य रूप से अधिक बारिश हुई है। उत्तराखंड में अब तक 1,343.2 मिमी बारिश हुई है, जो सामान्य से 22 प्रतिशत अधिक है, जबकि हिमाचल में 1,010.9 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो सामान्य से 46 प्रतिशत अधिक है।

आईएमडी ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून निर्धारित समय से तीन दिन पहले 14 सितंबर को उत्तर-पश्चिम भारत से वापस लौटना शुरू हुआ था एवं अब यह राजस्थान, हरियाणा और पंजाब के अधिकांश हिस्सों से लौट चुका है।

इस मौसम में कई क्षेत्रों में चरम घटनाएं देखी गई हैं। पंजाब में दशकों की सबसे भीषण बाढ़ आई, जबकि हिमालयी राज्यों में बादल फटने और अचानक आई बाढ़ ने बार-बार तबाही मचाई।

आईएमडी ने इस अतिरिक्त बारिश का श्रेय सक्रिय मानसून को दिया, जिसे लगातार पश्चिमी विक्षोभों का समर्थन प्राप्त था और इससे क्षेत्र में बारिश में वृद्धि हुई।

मध्य भारत में अब तक 1002 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो सामान्य (906.8 मिमी) से 10 प्रतिशत अधिक है, जबकि दक्षिणी प्रायद्वीप में सामान्य (631.5 मिमी) से सात प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई है।

पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में 998.8 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो सामान्य बारिश (1233.9 मिमी) से 19 प्रतिशत कम है।

देश में 50 साल के औसत के सापेक्ष 96 से 104 प्रतिशत के बीच की वर्षा को ‘सामान्य’ माना जाता है।

भाषा संतोष सुरेश

सुरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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