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Wednesday, 19 June, 2024
होमदेशहीटवेव ने बड़े-बड़े लोगों को भी नहीं छोड़ा, भारत को बेहतर शहरों का निर्माण करना चाहिए

हीटवेव ने बड़े-बड़े लोगों को भी नहीं छोड़ा, भारत को बेहतर शहरों का निर्माण करना चाहिए

आईएमडी के वैज्ञानिकों ने कहा कि वीकेंड में उच्च तापमान कम होने की उम्मीद है और पश्चिमी विक्षोभ के कारण आंधी-तूफान आएगा. लेकिन यह राहत अस्थायी होगी.

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नई दिल्ली: भारत में भीषण गर्मी ने अपनी पकड़ बना ली है. पिछले कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश और बिहार में कम से कम 50 लोगों की हीटस्ट्रोक से मौत हो गई है. यहां तक ​​कि सितारे और राजनेता भी इससे अछूते नहीं हैं. बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान को गुजरात में डिहाइड्रेशन के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी महाराष्ट्र में एक चुनावी रैली के दौरान बेहोश हो गए.

उत्तर और मध्य भारत पिछले सप्ताह से भीषण गर्मी की चपेट में है, कई क्षेत्रों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया है. इस अभूतपूर्व गर्मी ने तापमान के 80 साल के रिकॉर्ड को तोड़ दिए हैं.

पिछले सप्ताह से उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में पड़ रही भीषण गर्मी सुर्खियों में रही है. इस मौसम ने अत्यधिक तापमान के प्रभावों से निपटने की हमारी तैयारियों के बारे में कुछ प्रासंगिक सवाल भी उठाए हैं, जो आने वाले वर्षों में और बढ़ने की उम्मीद है. और यही कारण है कि यह ThePrint का ‘न्यूज़मेकर ऑफ़ द वीक’ है.

29 मई को, दिल्ली के कई हिस्सों में अधिकतम तापमान 49 डिग्री सेल्सियस के आस-पास रहा. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के स्वचालित मौसम स्टेशनों (AWS), मुंगेशपुर में दर्ज किए गए 52.9 डिग्री सेल्सियस के दिन के तापमान ने निवासियों और पूर्वानुमानकर्ताओं को चौंका दिया.

मौसम विभाग ने बाद में एक बयान जारी कर कहा कि शहर में रिकॉर्डिंग “अन्य स्टेशनों की तुलना में अलग” है. वैज्ञानिकों ने कहा कि सेंसर की निगरानी विसंगतियों के लिए की जा रही है.

हालांकि, देश के कई अन्य स्टेशनों ने भी उसी दिन 50 डिग्री सेल्सियस का आंकड़ा पार किया. राजस्थान के चुरू में भारत में सबसे अधिक तापमान 50.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, उसके बाद हरियाणा के सिरसा में 50.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.

IMD के आंकड़ों के अनुसार, देश भर के लगभग 37 शहरों का अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहा है. कई हिस्सों में तापमान के ऐतिहासिक रिकॉर्ड भी टूटे, जिनमें राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब सबसे अधिक प्रभावित हुए.

राजस्थान में, फलोदी में पिछले सप्ताह लगातार दो दिनों तक 50 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया. राज्य के अन्य शहरों में भी पिछले कुछ दिनों में 48-49 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया.

यूपी और बिहार में भी लू से संबंधित मौतें हुई हैं.

अल नीनो का असर

मौसम विशेषज्ञों ने बताया कि पूरा उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत इस समय शुष्क मौसम का सामना कर रहा है. पश्चिमी विक्षोभ की कमी – मौसम प्रणाली जो बारिश लाती है – जो आमतौर पर मई और जून के चरम गर्मी के महीनों के दौरान रुक-रुक कर राहत प्रदान करती है, ने गर्मी को और बढ़ा दिया है.

इतने लंबे समय तक उच्च तापमान किसी क्षेत्र में गर्मी को काफी बढ़ा सकता है और घातक प्रभाव पैदा कर सकता है. भारत के कुछ हिस्सों में स्थिति और भी खराब हो गई है, जहां पाकिस्तान के सिंध से लगातार गर्म, शुष्क हवाएं आ रही हैं.

स्थानीय कारकों के अलावा, वैश्विक कारक भी इस साल मौसम की स्थिति को खराब करने में योगदान दे रहे हैं. इस बार, अल नीनो – एक जलवायु पैटर्न जो भूमध्य रेखा के पास प्रशांत महासागर के सतही जल के सामान्य से अधिक गर्म होने पर होता है – तटस्थ स्थितियों में परिवर्तित हो रहा है. बाहर निकलते समय, यह भीषण गर्मी का कारण बनता है.

जलवायु वैज्ञानिकों के अनुसार, चल रहे अल नीनो के कारण वैश्विक स्तर पर अत्यधिक गर्मी की रिकॉर्डिंग अगस्त-सितंबर तक कम होने की उम्मीद है.

गर्म जून से पहले थोड़ी राहत

आईएमडी के वैज्ञानिकों ने कहा कि वीकेंड में गर्मी की स्थिति कम होने की उम्मीद है, जिससे लोगों को कुछ राहत मिलेगी. शुक्रवार शाम से, पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से दिन के तापमान में कमी आएगी.

उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत के कुछ हिस्सों में बारिश और गरज के साथ छींटे पड़ने का भी पूर्वानुमान है.

लेकिन यह राहत अस्थायी होगी. आईएमडी द्वारा जारी मासिक पूर्वानुमान के अनुसार, जून में भी असामान्य अधिकतम और न्यूनतम तापमान दर्ज किए जाने की संभावना है. इस दौरान सामान्य से अधिक गर्मी वाले दिन भी देखने को मिलेंगे.

उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में एकमात्र राहत तब मिलने की संभावना है जब दक्षिण-पश्चिम मानसून इस क्षेत्र में पहुंचेगा. पूर्वानुमानकर्ताओं के अनुसार, मानसून 30 मई को केरल में पहले ही दस्तक दे चुका है और देश के अन्य हिस्सों में भी इसके सुचारू रूप से आगे बढ़ने की संभावना है.

आईएमडी के मानसून पूर्वानुमान में कहा गया है कि पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों को छोड़कर, भारत के अधिकांश हिस्सों में इस साल “सामान्य से अधिक” बारिश की गतिविधि की उम्मीद की जा सकती है.

आईएमडी के महानिदेशक एम मोहपात्रा ने दिप्रिंट को बताया, “2024 के मध्य तक ला नीना की स्थिति बनने की संभावना है. इसका मतलब है कि अगस्त और सितंबर के दौरान बारिश की गतिविधियां – मानसून का उत्तरार्ध – अधिक होने की उम्मीद है.”

अल-नीनो और ला-नीना भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में एल नीनो-दक्षिणी दोलन (ईएनएसओ) घटना के दो चरण हैं. जबकि एल नीनो गर्म महासागर के तापमान से चिह्नित है, ला-नीना एक शीतलन अवधि को संदर्भित करता है.

वैश्विक तापन प्रवृत्तियां

भारत में दर्ज की जा रही अत्यधिक गर्मी अनोखी नहीं है. दुनिया के कई हिस्सों में तापमान के रिकॉर्ड टूट रहे हैं.

अग्रणी जलवायु वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम, वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन (WWA) की एक हालिया रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि दक्षिण एशिया में, अप्रैल में अत्यधिक गर्मी की लहरें – जिसमें तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है – आने वाले वर्षों में 45 गुना अधिक होने की संभावना है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ये घटनाएं 0.85 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म हो जाएंगी.

स्काईमेट वेदर में मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने बताया कि भारत के अधिकांश हिस्सों में 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान तेज़ी से नया सामान्य होता जा रहा है. मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन एक योगदान कारक हो सकता है.

उन्होंने कहा, “हम अब देख रहे हैं कि सामान्य तापमान से विचलन हर साल बढ़ रहा है. लेकिन एक समय ऐसा आएगा जब ये तापमान नया सामान्य हो जाएगा. शहरों को और अधिक लचीला बनाना होगा और लोगों को इस भविष्य के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है.”

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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