scorecardresearch
Tuesday, 5 November, 2024
होमदेशमुसलमानों के खिलाफ ‘हेट कैंपेन’-उर्दू मीडिया में इस हफ्ते कर्नाटक हिजाब विवाद छाया रहा

मुसलमानों के खिलाफ ‘हेट कैंपेन’-उर्दू मीडिया में इस हफ्ते कर्नाटक हिजाब विवाद छाया रहा

दिप्रिंट अपने राउंड-अप में बता रहा है कि इस हफ्ते उर्दू मीडिया ने विभिन्न घटनाओं को कैसे कवर किया और कुछ खबरों पर उसका संपादकीय रुख क्या रहा.

Text Size:

नई दिल्ली: कर्नाटक के उडुपी में कुछ युवा मुस्लिम छात्राओं की तरफ से क्लास रूम में हिजाब पहनने की अनुमति की मांग को लेकर किया जा रहा विरोध-प्रदर्शन ही इस हफ्ते उर्दू मीडिया में सुर्खियों में छाया रहा. अब जब इन छात्राओं और उनकी मांगों ने राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकृष्ट किया है, मामला कर्नाटक हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है और देश में एक राजनीतिक मुद्दा भी बन गया है, इस हफ्ते हिजाब विवाद और उसका असर उर्दू मीडिया में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा रहा. यहां तक कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की खबरों को भी पहले पन्ने पर उतनी तरजीह नहीं दी गई.

दिप्रिंट अपने राउंडअप में उर्दू मीडिया में इस हफ्ते की खबरों और उन पर संपादकीय रुख के बारे में जानकारी दे रहा है.

हिजाब विवाद पहले पन्ने पर छाया रहा

उडुपी के एक शिक्षण संस्थान में कुछ छात्राओं की हिजाब पहनकर क्लास में आने की अनुमति देने की मांग की खबर वैसे तो कई हफ्तों से उर्दू अखबारों के पहले पेज पर छप रही थी, लेकिन अब यह मामला कर्नाटक में कानून-व्यवस्था का संकट बन चुका है और इसे लेकर राष्ट्रीय स्तर पर ध्रुवीकरण भी शुरू हो गया है.

यह मुद्दा पूरे सप्ताह उर्दू अखबारों के पहले पन्नों पर सुर्खियों में छाया रहा, जिसमें विरोध प्रदर्शन से लेकर मांड्या में हिजाब पहने एक लड़की को परेशान किए जाने और इस मुद्दे पर अदालती लड़ाई तक हर घटनाक्रम को प्रमुखता से छापा गया.

अपने 5 फरवरी के अंक में सियासत ने कर्नाटक के कोंडापुरा की एक तस्वीर छापी, जिसमें हिजाब पहनने की अनुमति देने की छात्राओं की मांग के समर्थन में कुछ छात्र भी सड़कों पर बैठे थे. 7 फरवरी को रोजनामा राष्ट्रीय सहारा ने पहले पन्ने पर गुलबर्गा (उत्तर) कांग्रेस विधायक कनीज फातिमा से जुड़ी खबर छापी जिन्होंने राज्य सरकार को चुनौती दी कि वह उन्हें कर्नाटक विधानसभा में हिजाब पहनकर आने से रोककर देख ले.

6 फरवरी को सियासत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के इस बयान को पहले पन्ने पर छापा कि कर्नाटक में हिजाब विवाद लड़कियों को पढ़ने से रोकने की कोशिश की तरह है और कतई स्वीकार्य नहीं है. अपने 9 फरवरी के संपादकीय में अखबार ने लिखा है कि मुसलमानों के खिलाफ ‘हेट कैंपेन’ पहले तो उनके खानपान को लेकर चलता था, लेकिन अब यह इससे आगे बढ़कर हिजाब से लेकर उन्हें क्या करना चाहिए या क्या नहीं करना चाहिए, तक पहुंच गया है. इसके साथ ही इसकी वजह से शैक्षणिक संस्थानों का माहौल खराब नहीं होने देने की जरूरत भी बताई.

11 फरवरी को अपने एक संपादकीय में इंकलाब ने लिखा कि मुस्कान खान—जिस युवती को मांड्या में भगवा पहने कुछ युवकों ने उसके कॉलेज के रास्ते में रोकने की कोशिश की और उसने ‘अल्लाहु अकबर’ के साथ इसका जवाब दिया, ने सबका दिल जीत लिया है. इसमें आगे लिखा गया कि एक छोटे-से मामले को बेवजह इतना ज्यादा तूल दिया जा रहा ताकि राजनीतिक स्तर पर विवाद खड़ा हो. यही वजह है कि ‘इस मामले को लेकर ‘बेटी पढ़ाओ’ के नारे में बाधा बन रहे असामाजिक तत्वों के खिलाफ या उन उन अधिकारियों के खिलाफ कोई ट्वीट नहीं किया जा रहा, जिन पर ‘बेटी बचाओ’ की जिम्मेदारी है.’

9 फरवरी को अपनी पेज वन लीड स्टोरी में सियासत ने लिखा, ‘भाजपा उत्तर प्रदेश का चुनाव शायद हिजाब के मुद्दे पर ही जीतना चाहती है. अखबार ने दावा किया कि करीब 1450 साल पहले अस्तित्व में आए हिजाब को पहनना कभी भी भारत या दुनिया के किसी देश में कोई मुद्दा नहीं रहा है. अब यह राजनीतिक विवाद का केंद्र बन गया है क्योंकि इस मामले को भड़काकर राजनीतिक लाभ पाने की कोशिशें की जा रही है.

10 फरवरी को रोजनामा ने हिजाब विवाद से जुड़ी खबरों के क्रम में दो बयानों को पहले पन्ने पर प्रमुखता से छापा. इसमें एक था अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का बयान, जिन्होंने आरोप लगाया कि यह पूरा विवाद सांप्रदायिक और आपराधिक तत्वों ने खड़ा किया है. वहीं, दूसरे बयान में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा था कि किसी महिला की ओर से किसी अन्य को यह तय करने का अधिकार नहीं है कि वह क्या पहन सकती है या क्या नहीं.


यह भी पढ़ें : ‘नए राष्ट्रवाद’ पर हामिद अंसारी का भाषण, UP में नेताओं का दलबदल और गणतंत्र दिवस परेड- उर्दू प्रेस की झलकियां


पीएम मोदी और ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’

10 फरवरी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश (जहां एक बड़ी आबादी मुस्लिमों की है) के एक बड़े हिस्से में नई विधानसभा के लिए जारी मतदान के बीच मुस्लिम महिलाओं को लेकर दिए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान को सियासत और रोजनामा दोनों ने प्रमुखता से पहले पन्ने पर छापा और हिजाब विवाद भी इसके साथ सुर्खियों में रहा.

7 फरवरी को रोजनामा ने प्रधानमंत्री मोदी की ओर से अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी द्वारा अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर चढ़ाने की खबर को छापा. लोकसभा में मोदी का भाषण, जिसमें उन्होंने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ का मुखिया करार देते हुए उस पर तीखा हमला बोला, भी एक दिन बाद इंकलाब के मुखपृष्ठ पर प्रमुखता से छपा.

रोजनामा ने अपने 10 फरवरी के संपादकीय में इस बात पर हैरानी जताई कि ‘सत्ता में बैठे लोग’ केंद्र की सत्ता से बाहर होने के इतने सालों बाद भी कांग्रेस से इतने डरे हुए क्यों हैं कि विपक्ष की तरफ से उठाए गए सवालों के जवाब देने के बजाये, उन्होंने संसद को कांग्रेस के प्रति अपनी ‘नफरत’ जताने का एक मंच बना दिया है. अखबार ने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री को भूख, महंगाई और बेरोजगारी को लेकर उतनी चिंता क्यों नहीं है जितनी कांग्रेस पार्टी को लेकर है.

लता मंगेशकर का निधन और शाहरुख को लेकर विवाद

बॉलीवुड की सुर कोकिला लता मंगेशकर के निधन और उनके अंतिम संस्कार में मौजूद रहे अभिनेता शाहरुख खान से जुड़े एक अनावश्यक विवाद ने अधिकांश उर्दू अखबारों के पहले पन्ने पर जगह बनाई.

7 फरवरी को सियासत ने अपने पहले पन्ने पर ‘मेरी आवाज ही पहचान है, गर याद रहे’ को हेडलाइन बनाया, जो इस ख्यात गायिका के असंख्य हिट गानों में से एक है. ‘मेलोडी क्वीन’ के निधन की खबर के साथ इंकलाब ने अपने पहले पन्ने पर उनके लिए दुनियाभर के नेताओं की तरफ से जताई गई श्रद्धांजलि को भी जगह दी.

लता मंगेशकर के अंतिम संस्कार के दौरान शाहरुख खान के दुआ पढ़ने वाली तस्वीरों को लेकर कुछ भाजपा नेताओं की अभद्र टिप्पणियों का जिक्र करते हुए रोजनामा ने ‘थूकना और फूंकना दो अलग-अलग चीजें हैं’ शीर्षक से एक संपादकीय छापा. इसमें सवाल उठाया गया, जब भारतीयों को ही अपने देश के रीति-रिवाजों और परंपराओं का पता नहीं होगा तो इसे और कोई कैसे समझेगा? अखबार ने तर्क दिया कि थूकने और फूंकने में अंतर न कर पाने वाले केवल वही लोग हो सकते हैं जो इस देश की ‘गंगा जमुनी तहजीब’ में भरोसा नहीं करते. क्योंकि शाहरुख खान ही क्या कोई भी समझदार इंसान किसी और पर थूक नहीं सकता है.


यह भी पढ़ें : बजट, चुनाव अभियान, पेगासस पर न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट- इस हफ्ते उर्दू प्रेस में क्या सुर्खियों में रहा


विधानसभा चुनाव की खबरों का राउंड-अप

आगामी चुनावों में पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को ही मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाने की कांग्रेस की घोषणा 7 फरवरी को इंकलाब और सियासत दोनों के पहले पन्ने पर छपी.

उसी दिन सियासत ने समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव का एक बयान भी छापा, जिसमें आरोप लगाया गया था कि बढ़ते जनसमर्थन के कारण उनकी पार्टी को निशाना बनाया जा रहा है. 6 फरवरी को इंकलाब की लीड उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर भाजपा के घोषणापत्र पर केंद्रित थी. सियासत ने 7 फरवरी के अपने संपादकीय इस बात पर निराशा जताई कि मीडिया ने सत्ता में बैठे लोगों से सवाल करना बंद कर दिया है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments