नई दिल्ली: बाजार में फैली आर्थिक मंदी, जीएसटी और कई फ्रंट पर घिरी मोदी सरकार के बजट 2020 पर सबकी निगाहें थीं. एक फरवरी को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में कई कविताओं के साथ ये बजट पेश किया. इसे अब तक का सबसे लंबा बजट भाषण कहा जा रहा है. आखिरी दो पन्ने पर आकर निर्मला सीतारमण की तबियत थोड़ी खराब सी हुई. इसके बाद उन्होंने कहा कि इन पन्नों को भी पढ़ा हुआ माना जाए. शनिवार को पेश आम बजट पर उद्योग-व्यापार जगत की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आयी है.
बजट स्पीच खत्म होते ही राजनीति के गलियारों में बयानबाजी शुरू हो चुकी है. इसके साथ ही व्यापारी वर्ग और स्टार्ट-अप की दुनिया से भी प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं. क्योंकि आम लोगों के साथ-साथ नोटबंदी के बाद व्यापारी वर्ग को भी इस बजट से उम्मीदें थीं.
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ग्रांट थोरंटॉन इंडिया के सीइओ विशेष चांदियोक ने एनडीटीवी से हुई बातचीत में कहा, ‘बजट में वित्त मंत्री ने भारत की भविष्य में आने वाली कंपनियों की जरूरतों को लेकर सभी पहलुओं को ध्यान में रखा. स्टार्ट अप्स की तीन मांगों को भी पूरा किया कि कैसे चीजों को सरल किया जाए. मुझे लगता है कि आने वाले भारत को इससे बहुत खुश होना चाहिए.’
डेलॉयट हस्किंस एंड सेल्स की नीरूआहुजा ने कहा, ‘ये एक बोल्ड बजट है. राजकोषीय घाटे, इकोनॉमी की खस्ता हालत के चलते माहौल नकारात्मक बना हुआ था लेकिन सीतारमण ने एक सकारत्मक मैसेज देने की कोशिश की है. बैंक में जमा बचत को लेकर आश्वस्त किया है. इंडस्ट्री के कई स्वतंत्र लोगों की मांगों को माना गया है. टैक्स को सरल किया है. कॉर्पोरेट के लिए भी डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स को भी खत्म कर दिया है.’
हीरानंदानी ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्ट व को-फाउंजर निंरजन हीरानंदानी ने इंडिया टुडे से बात की. एक उदाहरण देते हुए वो कहते हैं, ‘कीमोथैरेपी को सही तरीके से संबोधित किया गया है लेकिन कीमोथैरेपी की खुराक अपर्याप्त है. सरकार को सही दवा का पता है. मुझे लगता है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर में 33 प्रतिशत लगाना चाहिए था. ये बजट इकोनॉमी के मिडियम या लॉन्ग टर्म इंप्रूवमेंट के लिए ठीक है. लेकिन हमें एक बुलेट शॉट की जरूरत थी जो इकोनॉमी को सही किक दे सकता. मैं कृषि और एजुकेशन को लेकर कही गई बातो को लेकर खुश हूं.’
इसके अलावा बिजनेस एक्सपर्ट निखिल अरोड़ा ने इसे ‘रिटेल फोकस्ड’ बजट कहा है. नैसकॉम की अध्यक्ष देबजनी घोष ने बजट को स्टार्ट अप इकोसिस्टम के लिए एक जीत बताया है. साथ ही उन्होंने महिलाओं को लेकर शादी की उम्र को लेकर बनाए जाने वाले टास्कफोर्स कदम की तारीफ भी की है.
वहीं, अर्थशास्त्री बरिंदा जागिरदार कहते हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीडीपी के मुद्दे को बिलुकल सही तरीके से एड्रेस किया है.
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के औद्योगिक संगठन एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज मध्यप्रदेश (एआईएमपी) के अध्यक्ष प्रमोद डफरिया ने कहा, एमएसएमई क्षेत्र हालांकि बजट से पूरी तरह संतुष्ट नहीं है. लेकिन बजट प्रावधानों से आम उपभोक्ता की खरीद क्षमता और अलग-अलग परियोजनाओं पर सरकारी खर्च बढ़ने की उम्मीद है जिसका फायदा हमारे क्षेत्र को भी होगा.
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द ग्लोबल एलायंस फॉर मास एंटरप्रेन्योरशिप के संस्थापक और अध्यक्ष, रवि वेंकटेशन ने बजट का स्वागत करते हुए कहा, आर्थिक सर्वेक्षण और बजट में जमीनी स्तर पर उद्यमिता को बढ़ावा देने पर जोर देने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है. यह आर्थिक विकास और रोजगार सृजन के लिए महत्वपूर्ण है. घोषित किए गए कई उपाय सकारात्मक हैं, लेकिन हमें स्कूलों और कॉलेजों में उद्यमिता प्रशिक्षण को शामिल करने के लिए वोकेशन स्किलिंग पर भी जोर देना चाहिए. वहीं उन्होंने यह भी कहा कि छोटे व्यवसाई और बड़े पैमाने पर जमीन पर व्यापार कर रहे व्यापारियों में आसानी (बेहतर निरीक्षण, पंजीकरण, श्रम मानदंड) से सुधार और बहुत कम 5 कर्मचारियों के साथ विशेष रूप से छोटे व्यवसायों के लिए उपयोग को बढ़ाता है.
खाद्य प्रसंस्करणक से जुड़े उद्योगों के संगठन सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के चेयरमैन डेविश जैन ने कहा, ‘आम बजट में कृषि और ग्रामीण विकास पर सबसे ज्यादा ध्यान देते हुए इन क्षेत्रों के लिये बड़ी रकम का प्रावधान किया गया है. इससे सोयाबीन प्रसंस्करण जैसे कृषि आधारित उद्योगों को मदद मिलेगी.’
उन्होंने कहा कि पोषण के क्षेत्र में सरकार का बड़ा बजट आवंटन सोयाबीन प्रसंस्करण क्षेत्र के लिये शुभ संकेत है क्योंकि सोयाबीन के अलग-अलग उत्पाद प्रोटीन के महत्वपूर्ण स्त्रोत हैं.
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गौरतलब है कि पोषण संबंधी कार्यक्रमों के लिये वर्ष 2020-21 के बजट में 35,600 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं.
कारोबारियों के संगठन अहिल्या चैम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल ने कहा, ‘केंद्र सरकार के बजट से कारोबारी निराश हैं. हमें नहीं लगता कि बजट के प्रावधानों से पारम्परिक बाजारों में सुस्ती का दौर समाप्त होगा.’
उन्होंने जोर देकर कहा कि मौजूदा आर्थिक सुस्ती के मद्देनजर सरकार को बाजार में नकदी और पूंजी की उपलब्धता बढ़ाने के लिये बजट में ज्यादा उपाय करने चाहिये थे.