नई दिल्ली: कांग्रेस द्वारा 22 जनवरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के निमंत्रण को अस्वीकार करने का “असली” कारण पार्टी का डर है कि उसके नेता राहुल गांधी अपना “सुरक्षित” निर्वाचन क्षेत्र वायनाड खो देंगे, जहां मुसलमानों का वर्चस्व है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व राज्यसभा सांसद बलबीर पुंज ने शुक्रवार को दिप्रिंट को दिए एक विशेष इंटरव्यू में यह दावा किया.
पुंज, जिन्होंने शनिवार को लॉन्च “ट्रिस्ट विद अयोध्या: डिकोलोनाइजेशन ऑफ इंडिया” किताब लिखी है, ने यह भी दावा किया है कि 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद ढांचे का विध्वंस, सदियों पुराने राम जन्मभूमि मुद्दे का एक “गांधीवादी” समाधान था.
अपनी किताब में पुंज ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि कैसे राम और भरत कई मायनों में एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. उन्होंने किताब में आगे दावा किया है कि हिंदुओं के लिए ‘बाबरी ढांचा’ कभी मस्जिद था ही नहीं.
पुंज ने अपनी किताब में राम जन्मभूमि मुद्दे के समाधान में देरी के लिए जवाहरलाल नेहरू को भी जिम्मेदार ठहराया है. दिप्रिंट से बातचीत में उन्होंने आरोप लगाया कि न केवल नेहरू राम मंदिर के विरोधी थे, जिसके लिए उनका दावा है कि पर्याप्त सबूत हैं, बल्कि “उन्हें मंदिरों से नफरत थी”.
कांग्रेस द्वारा अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लेने के निमंत्रण को अस्वीकार करने और इसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की राजनीतिक परियोजना बताने पर, पुंज ने कहा, “मैं आपको असली कारण बताऊंगा” उन्हें उत्तर या पश्चिम या मध्य भारत में राहुल गांधी के लिए कोई सुरक्षित निर्वाचन क्षेत्र नहीं मिला, इसलिए उन्हें केरल, वायनाड में बसना पड़ा”.
उन्होंने कहा, “वायनाड निर्वाचन क्षेत्र एक ऐसा निर्वाचन क्षेत्र है जहां 55 प्रतिशत से अधिक मतदाता गैर-हिंदू हैं, मैं हिंदू-विरोधी…गैर-हिंदू नहीं कहूंगा. हिन्दू लगभग 40-41 प्रतिशत हैं. अब, कांग्रेस के लिए विकल्प यह है कि अगर आप अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के लिए जाते हैं, तो आप वायनाड में ‘प्राण’ और ‘प्रतिष्ठा’ दोनों खो सकते हैं. इसलिए मूलतः, उन्हें राम और राहुल के बीच चयन करना था और उनकी पसंद ज़ाहिर तौर पर राहुल थे.”
पुंज ने आरोप लगाया कि कांग्रेस द्वारा समारोह में शामिल होने का निमंत्रण ठुकराने के पीछे यह एक मुख्य कारण था.
उन्होंने दावा किया, “अगर वह निर्वाचन क्षेत्र राहुल के लिए सुरक्षित नहीं रहेगा तो वे उन्हें कहां से मैदान में उतारेंगे? और अगर वे उन्हें वायनाड से मैदान में उतारते हैं और कांग्रेस भी राम जन्मभूमि और मंदिर से जुड़ी हुई है, तो अगर वामपंथी वायनाड में राहुल गांधी के खिलाफ एक मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा करने का फैसला करते हैं, तो इस बात की पूरी संभावना है कि वह हार जाएंगे. इसलिए इसमें कोई उच्च सिद्धांत शामिल नहीं हैं.”
पूर्व राज्यसभा सांसद ने 2022 में पैगंबर मोहम्मद पर विवादास्पद टिप्पणियों के लिए पूर्व भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा को निशाना बनाए जाने पर भी सवाल उठाया.
कांग्रेस की दुविधा
अयोध्या समारोह में शामिल होने को लेकर कांग्रेस की दुविधा पर टिप्पणी करते हुए पुंज ने कहा, “कांग्रेस हमेशा दुविधा में रही है.”
पुंज ने कहा, “यह केवल नेहरू तक ही सीमित नहीं है. आप 1989 में चले जाइए. कांग्रेस आज भी 1986 में रामजन्मभूमि का ताला खोलने का श्रेय लेती है. इस सिद्धांत का क्या हुआ कि धर्म व्यक्तिगत पसंद का मामला है?”
उन्होंने आगे कहा कि 1989 में जब राजीव गांधी को अगले लोकसभा चुनाव के लिए अपना अभियान शुरू करना था, तो उन्होंने इसे अयोध्या से शुरू किया था.
पुंज ने सवाल किया, “और उन्होंने (राजीव गांधी) राम राज्य का वादा करते हुए इसे अयोध्या से लॉन्च किया. तो कांग्रेस दो भाषा में बात करती है और कांग्रेस 50 वर्षों से अधिक समय से ऐसी सरकार का नेतृत्व कर रही है जिसने हज यात्रा पर सब्सिडी देने का फैसला लिया, वे टोपी पहने हुए इफ्तार पार्टियों की मेज़बानी में व्यस्त थे. तो आप वह सब कर सकते हैं, लेकिन जब बात अयोध्या जाने की आती है, तो आप इन सभी चीज़ो के बारे में सोचते हैं.”
विपक्ष के इस दावे के बारे में पूछे जाने पर कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा “बीजेपी, विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी), राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस )” शो में तब्दील हो रहा है, पुंज ने कहा: “और इस शो को बीजेपी बनने से रोकने का सबसे अच्छा तरीका है, विहिप, आरएसएस का प्रदर्शन यह सुनिश्चित करके था कि (मल्लिकार्जुन) खरगे जी, सोनिया (गांधी) जी, राहुल गांधी वहां जाएं. अगर 10 अन्य कांग्रेसियों ने कहा होता कि हम भी वहां मौजूद रहना चाहते हैं, तो यह बिल्कुल भी बीजेपी, वीएचपी का शो नहीं होता.”
उन्होंने कहा, “यह केवल अनुपस्थिति और बहिष्कार है जो इस पूरे काम को छोटा कर रहा है. यह एक राष्ट्रीय समारोह होना चाहिए था.”
नूपुर शर्मा विवाद
पुंज ने यह भी सवाल उठाया कि जिस तरह से भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा को “मुस्लिम मौलवी हर समय कुछ कहते हैं” कहने के लिए समाज के एक वर्ग द्वारा निशाना बनाया गया था.
शर्मा पर मई 2022 में एक टीवी बहस के दौरान पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी करने का आरोप लगाया गया था, जिससे पूरे देश में आक्रोश फैल गया था.
पुंज ने कहा, “नेहरू ने कहा था कि जब मैं हिंदू मंदिरों में जाता हूं तो मुझे उत्पीड़ित महसूस होता है.” अवसाद मुझ पर हावी हो जाता है. मुझे निराशा महसूस हो रही है. मुझे इसका कारण नहीं पता, लेकिन मैं खुद को नीचा और उत्पीड़ित महसूस करता हूं. में उदास हूं, वह क्या है? ये नफरत फैलाने वाला बयान है. अगर कल कोई भाजपा नेता कहे कि मैं ऐसा महसूस करता हूं, अगर मुझे नेहरू के शब्दों को उद्धृत करना पड़े कि जब मैं किसी चर्च को देखता हूं तो मुझे ऐसा ही महसूस होता है, तो आप लोग उस व्यक्ति पर निशाना साध रहे होंगे.”
पुंज ने कहा, “नूपुर शर्मा ने क्या कहा? उनका बयान क्या था? उसकी स्थिति क्या है? वह भाजपा की एक निम्न पदाधिकारी हैं और उन्होंने केवल कुछ सेकंड में दोहराया, वह प्रधानमंत्री नहीं हैं, वह सांसद या विधायक नहीं हैं, उन्होंने बस वही कहा जो मुस्लिम मौलवी हर समय कहते हैं.”
उनके अनुसार, शर्मा के पास (सरकार में) कोई आधिकारिक पद नहीं था. पुंज ने कहा, “यह पार्टी में एक पद था और पूरी भीड़ ने इसे तर्कसंगत ठहराया और वह अभी भी छिपी हुई हैं और आप देश के प्रधानमंत्री के रूप में हिंदू मंदिरों (नेहरू का ज़िक्र करते हुए) के लिए ऐसा बयान देते हैं.”
(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
(इस इंटरव्यू को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)