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Thursday, 21 November, 2024
होमदेश'मामला सुनवाई योग्य’, ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष को लगा एक और झटका, कोर्ट ने की आपत्ति खारिज

‘मामला सुनवाई योग्य’, ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष को लगा एक और झटका, कोर्ट ने की आपत्ति खारिज

कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 2 दिसंबर की तारीख तय की है. सिविल जज सीनियर डिवीजन महेंद्र पांडे मामले की सुनवाई कर रहे थे.

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नई दिल्ली: ज्ञानवापी परिसर में विश्व वैदिक सनातन संघ की ओर से पूजा का अधिकार देने के लिए दायर की गई याचिका पर कोर्ट फैसला आ गया है. कोर्ट ने माना कि मामला ‘सुनने योग्य है’ इसलिए इसपर सुनवाई होनी चाहिए.

बता दें कि मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट से आग्रह किया था कि हिंदू पक्ष की याचिका पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए, लेकिन कोर्ट ने इसे ठुकरा दिया. मामले की सुनवाई 14 नवंबर को सिविल जज सीनियर डिवीजन महेंद्र पांडे की अदालत ने की थी. उसके बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया गया था.

कोर्ट ने कहा कि पूजा के मांग पर आगे सुनवाई होगी. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 2 दिसंबर की तारीख तय की है.

पूजा अधिकार को लेकर दायर की गई थी याचिका

ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मिली शिवलिंग नुमा आकृति के बाद हिंदू पक्ष की ओर से पूजा अर्चना के लिए याचिका दायर की गई थी. कोर्ट को यह तय करना था कि इस विषय पर सुनवाई हो सकती है या नहीं.

इससे पहले 8 नवंबर को मामले की सुनवाई शुरू हुई जिसे कोर्ट ने 14 नवंबर तक स्थगित कर दिया था. 14 नवंबर को कोर्ट ने दोबारा इस मामले पर सुनवाई की और फैसला सुरक्षित रख लिया था.

क्या है मामला

कोर्ट में विश्व वैदिक सनातन संघ के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री किरण सिंह की ओर से दायर याचिका में मांग की गई थी कि हिंदू पक्ष को नियमित रूप से मस्जिद के अंदर मिले शिवलिंग नुमा आकृति की पूजा करने की इजाजत दी जाए. साथ ही मस्जिद परिसर में मुसलमानों के प्रवेश पर रोक लगाई जाए और पूरे ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंपकर विवादित ढांचे को हटाया जाए.

बता दें कि पिछले साल चार महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर स्थित श्रृंगार गौरी और दूसरी मूर्तियों की नियमित पूजा करने तथा अदालत से सर्वे कराने के लिए वाराणसी कोर्ट में एक याचिका दर्ज की थी. कोर्ट ने अप्रैल में मस्जिद परिसर में सर्वे कराने का आदेश दिया. सर्वे के दौरान मस्जिद में शिवलिंग नुमा आकृति मिली.

हिंदू पक्ष की ओर से इसे शिवलिंग बताया गया जबकि मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया. उसके बाद ही मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए कोर्ट में दूसरी याचिका दायर की गई थी.


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