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Friday, 22 November, 2024
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सरकार ने GM सरसों की एनवायरमेंटल रिलीज को दी मंजूरी, व्यावसायिक स्तर पर खेती का खुलेगा रास्ता

भारत कुकिंग ऑयल की अपनी 70% घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पाम, सोयाबीन और सनफ्लावर समेत विभिन्न किस्म के तेलों का आयात करता है.

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नई दिल्ली: देश में बायोटेक नियामक जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी (जीईएसी) ने जेनेटिकली मॉडीफाइड (जीएम) सरसों की एनवायरमेंटल रिलीज को मंजूरी दे दी है, जिसे दिल्ली यूनिवर्सिटी की तरफ से विकसित किया गया है और डीएमएच-11 के नाम से भी जाना जाता है.

यदि सरकार इसकी व्यावसायिक खेती को मंजूरी देती है, तो यह भारत में स्वीकृत होने वाली पहली जीएम खाद्य फसल होगी. 2002 में सरकार ने ट्रांसजेनिक बीटी कपास की खेती को मंजूरी दी थी.

यह फैसला ऐसे समय आया है जब पिछले कुछ सालों में देश में खाद्य तेलों की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं. भारत को कुकिंग ऑयल की अपनी 70% घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पाम, सोयाबीन और सनफ्लावर समेत विभिन्न किस्म के तेलों का आयात करना पड़ता है.

डीएमएच-11 को एक आनुवंशिकीविद और दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति दीपक पेंटल ने विकसित किया था. उनकी इस रिसर्च को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की तरफ से आर्थिक मदद दी गई थी, जो ‘धारा’ ब्रांड नाम के तहत विभिन्न प्रकार के खाद्य तेलों की बिक्री करता है.

पेंटल ने फोन पर दिप्रिंट के साथ बातचीत में कहा, ‘जीएम सरसों के लिए एक लंबा इंतजार करना पड़ा है, लेकिन देर आय दुरुस्त आए…यह एक पॉजिटिव डेवलपमेंट है.’ साथ ही जोड़ा, ‘मैं जितना समझता हूं, उसके मुताबिक अब जीएम सरसों की व्यावसायिक खेती हो सकेगी. नए हाइब्रिड विकसित करने के लिए हम निजी कंपनियों के साथ काम करने पर विचार करेंगे.’

अब तक, भारत ने ट्रांसजेनिक खाद्य फसलों की व्यावसायिक खेती को मंजूरी नहीं दी है, लेकिन यह अर्जेंटीना, ब्राजील और अमेरिका से बड़ी मात्रा में जीएम सोयाबीन तेल आयात करता है. उदाहरण के तौर पर, 2021-22 में भारत ने 4.1 मिलियन टन जीएम सोयाबीन तेल का आयात किया, जो इसकी अनुमानित घरेलू खपत 5.8 मिलियन टन का लगभग 70 प्रतिशत है.

2020-21 में, भारत का खाद्य तेल आयात बिल एक साल पहले के 71,625 करोड़ रुपये की तुलना में बढ़कर 1,17,075 करोड़ रुपये हो गया था.

‘भारत में सरसों की पैदावार काफी कम’

जीईएसी ने यह फैसला पिछले 18 अक्टूबर को अपनी 147वीं बैठक में लिया. 25 अक्टूबर को पब्लिश बैठक के मिनट्स के मुताबिक, नियामक ने ‘कॉमर्शियल रिलीज से पहले बीज उत्पादन और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के दिशा-निर्देशों और अन्य मौजूदा नियम-कायदों के मुताबिक परीक्षण के लिए सरसों हाइब्रिड डीएमएच-11 की एनवायरमेंटल रिलीज की सिफारिश की है.’

दिल्ली स्थित साउथ एशिया बायोटेक्नोलॉजी सेंटर के संस्थापक निदेशक भगीरथ चौधरी ने कहा, ‘जीएम सरसों तकनीक से सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में सरसों के ब्रीडिंग प्रोग्राम में तेजी आएगी, जिससे अच्छी उपज और बेहतर किस्म के सरसों हाइब्रिड की शुरुआत होगी. इससे देश में सरसों की खेती और खाद्य तेल उत्पादन में क्रांति आ सकती है.’

चौधरी ने कहा कि भारत में सरसों की पैदावार—लगभग एक टन प्रति हेक्टेयर—बहुत कम है. और यह कनाडा, चीन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की तुलना में एक तिहाई है, जो कैनोला और रेपसीड उगाते हैं.

जीईएसी की सिफारिशों के साथ जोड़ी गई शर्तों के मुताबिक, ‘किसानों के खेत में इसकी खेती के लिए किसी भी स्थिति में हर्बीसाइड के किसी भी फॉर्मुलेशन का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं होगी और इस तरह के किसी उपयोग के लिए कीटनाशकों के सुरक्षा आंकने की प्रक्रियाओं और प्रोटोकॉल के मुताबिक आवश्यक अनुमति की आवश्यकता होगी.’

2017 में जीईएसी ने जीएम सरसों की कॉमर्शियल रिलीज की सिफारिश की थी लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध एक्टिविस्ट समूहों और स्वदेशी जागरण मंच के विरोध के बाद सरकार ने इसे रोक दिया था.

2010 में तत्कालीन पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने जीईएसी की तरफ से कॉमर्शियल रिलीज की अनुमति दिए जाने के बाद ट्रांसजेनिक बैगन पर अनिश्चितकालीन रोक लगा दी थी.


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