नयी दिल्ली, 13 जुलाई (भाषा) कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सरकार की ओर से लगभग 78 प्रतिशत कोयला आधारित संयंत्रों को प्रमुख प्रदूषण रोधी प्रणालियां लगाने से छूट दिए जाने पर रविवार को कहा कि पर्यावरण मंत्रालय की इस नीति के पीछे की दलील ‘गलत आधार’ पर आधारित है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (एनएएक्यूएस) में संशोधन के अभाव में सरकार की नीति बनाने की प्रक्रिया ‘त्रुटिपूर्ण” रहेगी।
केंद्र सरकार ने एक बार फिर कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों के लिए सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जन मानदंडों का अनुपालन करने की समय सीमा बढ़ा दी है और अत्यधिक प्रदूषित क्षेत्रों या दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों से दूर स्थित संयंत्रों को इससे पूरी तरह छूट दे दी है।
रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कटाक्ष करते हुए कहा, ‘मोदी सरकार ने पहले ही भारत को सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जन में वैश्विक नेता बनाने का गौरव हासिल कर लिया है। अब हमें पता चला है कि पर्यावरण मंत्रालय ने भारत के 78-89% ताप विद्युत संयंत्रों को सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कटौती करने वाले फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (एफजीडी) सिस्टम लगाने से छूट दे दी है।’
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि एफजीडी सिस्टम लगाने की समय सीमा पहले 2017 निर्धारित की गई थी, जिसे कई बार आगे बढ़ाया जा चुका है।
रमेश ने कहा कि सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ2) जन स्वास्थ्य के लिए सीधा खतरा है और यह बादलों के बनने की प्रक्रिया भी प्रभावित करती है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा कहा जाने वाला मानसून प्रभावित होता है।
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