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Monday, 18 November, 2024
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सरकार गंगा नदी की सेहत का पता लगाने के लिए डॉल्फिन, हिल्सा के जीवन चक्र का अध्ययन करेगी

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(उज्मी अतहर)

नयी दिल्ली, 11 जून (भाषा) सरकार अब गंगा में डॉल्फिन और हिल्सा मछलियों के जीवन चक्र का अध्ययन करेगी ताकि विभिन्न क्षेत्रों में पवित्र नदी की सेहत का पता लगाया जा सके।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक जी अशोक कुमार ने कहा कि एनएमसीजी, सीएसआईआर-राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान के साथ मिलकर अध्ययन कराएगा।

इसके तहत डॉल्फिन और हिल्सा मछली की आबादी जैसे जैव संकेतकों तथा सूक्ष्म जीवों का अध्ययन किया जाएगा, ताकि यह पता लगाया जा सके कि नदी की सेहत में कितना सुधार हुआ है।

विस्तार से जानकारी देते हुए कुमार ने कहा कि ये जैव-संकेतक नदी की सेहत का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमने पानी की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए एनएमसीजी के तहत कई पहल की है और अध्ययन के जरिए हम यह जांच करना चाहते हैं कि कितना सुधार हुआ है।’’

कुमार ने कहा कि सूक्ष्मजीवी विविधता पर मानवीय हस्तक्षेप का असर और गंगा नदी में मौजूद ई.कोलाई के उद्भव का भी अध्ययन किया जाएगा।

वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह गंगा नदी पर एनएमसीजी द्वारा किए जा रहे विभिन्न अध्ययनों और अनुसंधान का हिस्सा है।

उन्होंने कहा, ‘‘6,00,000 से अधिक हिल्सा वयस्क मछलियों का पालन किया गया है। इससे गंगा नदी में हिल्सा मछली जननद्रव्य संरक्षण और उसके प्रसार में मदद मिलेगी।’’

उन्होंने कहा कि पिछले चार वर्षों में मछलियों की करीब 190 प्रजातियां दर्ज की गयी हैं, जो नदी के किनारे रह रहे मछुआरों को आजीविका मुहैया कराती है।

भाषा गोला दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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