रांची, 31 जुलाई (भाषा) झारखंड उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकार के अधिकारियों और रांची के प्राधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि जल निकायों के आसपास अतिक्रमण न हो।
न्यायालय ने आदेश दिया कि जल निकायों के आसपास के क्षेत्रों को ‘प्रवेश निषेध क्षेत्र’ में परिवर्तित किया जाए।
पीठ ने कहा कि अतिक्रमण रोकने के लिए उन स्थानों पर कंटीले तारों की बाड़ लगाई जाए।
यह आदेश जल संसाधन और शहरी विकास विभागों के सचिवों के अलावा उपायुक्त और रांची नगर निगम के प्रशासक को दिए गए।
अदालत के पिछले आदेश पर ये अधिकारी व्यक्तिगत रूप से उच्च न्यायालय में पेश हुए और उन्हें राजधानी तथा राज्य भर के विभिन्न जल निकायों के जलग्रहण क्षेत्र से सभी अतिक्रमण हटाने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया गया।
मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ जल निकायों के आसपास अतिक्रमण पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
अदालत ने सरकार को इस मामले में एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया, जिसमें जल निकायों के जलग्रहण क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी गई हो।
मामले की अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी।
अदालत को बताया गया कि राजधानी में कांके और धुर्वा बांध के आसपास कई एकड़ जमीन पर अतिक्रमण किया गया है। अदालत को अवगत कराया गया कि स्थानीय दलालों द्वारा जमीन बेच दी गई है और बांधों के चारों ओर बहुमंजिला इमारतें बना दी गई हैं, जिसके कारण पानी का स्रोत बंद हो गया है।
यह जनहित याचिका अधिवक्ता खुशबू कटारुका द्वारा दायर की गई, जिन्होंने शहर के मध्य स्थित रांची झील की दयनीय स्थिति के बारे में बताया।
भाषा संतोष नेत्रपाल
नेत्रपाल
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