नयी दिल्ली, 19 मार्च (भाषा) गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत दर्ज मामलों की समीक्षा के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीशों वाले एक सलाहकार बोर्ड का गठन किया है। इस बेहद कड़े कानून के तहत बिना किसी आरोप के किसी व्यक्ति को एक वर्ष तक हिरासत में रखने की अनुमति है।
इस तरह के एक सलाहकार बोर्ड का गठन 1980 के कानून की धारा नौ के तहत किया गया है। एक आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, न्यायमूर्ति योगेश खन्ना सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष होंगे, जबकि न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर उच्चाधिकार प्राप्त बोर्ड के सदस्य होंगे।
एनएसए सरकार को किसी व्यक्ति को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानने या लोक व्यवस्था को बाधित करने से रोकने के लिए उसे हिरासत में लेने का अधिकार देता है। एनएसए के तहत किसी व्यक्ति को बिना किसी आरोप के 12 महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है। व्यक्ति को उसके खिलाफ आरोप बताए बिना 10 दिनों तक हिरासत में रखा जा सकता है।
हिरासत में लिया गया व्यक्ति केवल सलाहकार बोर्ड के समक्ष अपील कर सकता है, लेकिन मुकदमे के दौरान वकील रखने की अनुमति नहीं दी जाती है। एनएसए के प्रत्येक मामले में, संबंधित सरकार हिरासत की तारीख से तीन सप्ताह के भीतर सलाहकार बोर्ड के समक्ष उन आधार को प्रस्तुत करती है, जिन पर आदेश दिया गया है।
कानून के प्रावधान के मुताबिक, सलाहकार बोर्ड अपने समक्ष रखी गई सामग्री पर विचार करने और बंदी की बात सुनने के बाद, संबंधित व्यक्ति की हिरासत की तारीख से सात सप्ताह के भीतर सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। बोर्ड की रिपोर्ट में यह बताना होता है कि हिरासत के लिए पर्याप्त कारण हैं या नहीं।
ऐसे मामलों में जहां बोर्ड कहता है कि हिरासत का कोई पर्याप्त कारण नहीं है तो सरकार हिरासत आदेश को रद्द कर देगी और बंदी को तुरंत रिहा कर दिया जाएगा।
एनएसए 1980 में बनाया गया था, जब इंदिरा गांधी नीत सरकार सत्ता में थी। सरकार द्वारा 2020 में संसद में उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 2017 और 2018 में देश भर में लगभग 1,200 लोगों को एनएसए के तहत हिरासत में लिया गया था।
मध्य प्रदेश ने एनएसए के तहत सभी राज्यों में सबसे अधिक लोगों को हिरासत में लिया, उसके बाद उत्तर प्रदेश का स्थान आता है। मध्य प्रदेश में, 2017 और 2018 में एनएसए के तहत 795 लोगों को हिरासत में लिया गया, जबकि समीक्षा बोर्ड द्वारा 466 को रिहा किया गया था और 329 लोगों को हिरासत में रखा गया। वर्ष 2019 से एनएसए के तहत हिरासत में लिए गए लोगों के बारे में कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।
भाषा आशीष दिलीप
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