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Friday, 27 December, 2024
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गूगल डूडल ने 77वें स्वतंत्रता दिवस पर भारत की कपड़ा विरासत को अनोखे अंदाज़ में किया याद

डूडल में गुजरात की कच्छ कढ़ाई से लेकर ओडिशा की बारीक ‘इकत’ कलाकारी और जम्मू-कश्मीर की ‘पश्मीना कानी’ से लेकर केरल की ‘कसावु’ कलाकारी तक देश के विभिन्न हिस्सों की विविध बुनाइयों के ‘नमूनों’ को दर्शाया गया है.

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नई दिल्ली: सर्च इंजन गूगल ने मंगलवार को भारत के 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर एक विशेष डूडल के जरिए भारत की समृद्ध और विविध कपड़ा विरासत को याद किया.

नई दिल्ली की कलाकार नम्रता कुमार द्वारा चित्रित इस कलाकृति को भारत की विविध वस्त्र श्रृंखला से प्रेरणा लेकर बनाया गया है. डूडल में देश के विभिन्न हिस्सों में प्रसिद्ध कपड़ों के नमूनों को एक साथ बुनकर भारत की जीवंत कहानी को दर्शाया गया है.

गूगल डूडल पोर्टल पर एक पोस्ट में इंटरनेट दिग्गज कंपनी ने इस कलाकृति के लिए नम्रता कुमार की सोच एवं प्रेरणा साझा की है.

डूडल में गुजरात की कच्छ कढ़ाई से लेकर ओडिशा की बारीक ‘इकत’ कलाकारी और जम्मू-कश्मीर की ‘पश्मीना कानी’ से लेकर केरल की ‘कसावु’ कलाकारी तक देश के विभिन्न हिस्सों की विविध बुनाइयों के ‘नमूनों’ को दर्शाया गया है. इन विभिन्न नमूनों को एक साथ पेश किया गया है और बीच में कढ़ाई वाले अक्षरों के साथ गूगल लिखा गया है.

नम्रता कुमार ने गूगल के पोर्टल पर कहा कि उन्होंने ‘‘भारत में मौजूद विविध वस्त्र कलाकारियों पर अनुसंधान किया और उन्हें चिह्नित किया.’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने तकनीकों के एक व्यापक आयामों को शामिल करने की कोशिश की, जिसमें कढ़ाई, विभिन्न बुनाई शैलियां, मुद्रण तकनीक, रंगाई तकनीक और हाथ से पेंट किए गए वस्त्र समेत बहुत कुछ शामिल हैं. इसके अलावा मैं यह सुनिश्चित करना चाहती थी कि मैं देश के विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों का संतुलित तरीके से प्रतिनिधित्व कर सकूं.’’

गूगल ने कहा कि डूडल आज भारत का स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. वर्ष 1947 में आज ही के दिन भारत के ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र होते ही एक नए युग की शुरुआत हुई थी.

उसने कहा कि स्वतंत्रता के इस पहले दिन के प्रतीक के रूप में दिल्ली के लाल किले में वार्षिक ध्वजारोहण कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, जिसमें प्रधानमंत्री शामिल होते हैं.

गूगल ने कहा कि इस अवसर पर नागरिक राष्ट्रगान गाते हैं और स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं को याद करते हैं.

नम्रता कुमार ने कहा कि डूडल तैयार करने की पूरी रचनात्मक प्रक्रिया के दौरान उनका ‘‘सबसे बड़ा लक्ष्य भारत के वस्त्रों और देश की पहचान के साथ उनके गहरे संबंध को याद करना और उसे सम्मानित करना था.’’

उन्होंने कहा, ‘‘मेरी चाहत थी कि इस कलाकृति के जरिए मैं भारत की कपड़ा परंपराओं की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और कलात्मक प्रतिभा को दिखा सकूं और गूगल डूडल के माध्यम से कुछ ऐसा बना सकूं जो लोगों की भावनाओं को दर्शाए.’’

गूगल ने कहा कि इस कलाकृति में प्रदर्शित कपड़े का हरेक नमूना ‘‘कुशल कारीगरों, कृषकों, बुनकरों, रंगरेजों और कढ़ाई करने वालों के सामूहिक शिल्प कौशल का प्रमाण’’ है.

उसने कहा कि ये सभी भारत की रचनात्मकता का सार पेश करने वाले इन असाधारण वस्त्रों का निर्माण करते हैं.


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