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Saturday, 28 September, 2024
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गोवा, त्रिपुरा चुनावों की असफलता, बीरभूम घटना को लेकर घिरी टीएमसी को करना पड़ा कांग्रेस से संपर्क

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(प्रदीप्त तापदार)

कोलकाता, 30 मार्च (भाषा) गोवा और त्रिपुरा के चुनावों में अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रहने और बीरभूम हत्याकांड को लेकर घिरी पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को अपनी राष्ट्रीय विस्तार रणनीति पर पुनर्विचार करने और अखिल भारतीय भाजपा विरोधी गठबंधन के लिए कांग्रेस से संपर्क करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पहले कांग्रेस के खिलाफ हमलावर थी और वह सबसे पुरानी पार्टी को ‘‘हताश’’ और ‘‘अक्षम’’ बता रही थी और इसे भाजपा के खिलाफ किसी भी संभावित गठबंधन से बाहर रखने के पक्ष में थी। लेकिन अब ऐसा लगता है कि पश्चिम बंगाल के बाहर हाल में हुए चुनाव में मिली असफलता के बाद उसने अपना रुख नरम कर लिया है।

तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने हाल में कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों को पत्र लिखकर सभी से एक साथ आने और भगवा ताकतों के खिलाफ एकजुट लड़ाई लड़ने का आह्वान किया है।

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि गोवा और त्रिपुरा में चुनावी हार की वजह से तृणमूल कांग्रेस की खुद को ‘‘असल कांग्रेस’’ के रूप में प्रायोजित करने की रणनीति को ठेस पहुंची है और अब उसके रुख में बदलाव देखा जा रहा है।

टीएमसी के मुख्य प्रवक्ता सुखेंदु शेखर रे ने कहा, ‘‘हमारी पार्टी का नेतृत्व ईमानदारी से इस बात को मानता है कि जब तक देश से जुड़े मुद्दों पर विपक्षी एकता नहीं होगी, मोदी शासन (केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार) को नहीं हराया जा सकता है।’’

टीएमसी के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी काफी समय से कांग्रेस से संपर्क कर रही है, लेकिन उसकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। उन्होंने कहा, ‘‘हम गोवा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठजोड़ करना चाहते थे लेकिन वे इससे सहमत नहीं थे।’’

उन्होंने कहा कि 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के बाद टीएमसी की रणनीति खुद को ‘‘असली कांग्रेस’’ के रूप में पेश करने में विफल रही क्योंकि अन्य विपक्षी दल अभी भी सबसे पुरानी पार्टी को सबसे विश्वसनीय अखिल भारतीय भाजपा विरोधी ताकत मानते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘टीएमसी ने शुरू में कांग्रेस पर हमला करने के लिए अपनी पूरी मशीनरी को लगा दिया, लेकिन गोवा चुनाव में हार के बाद, यह महसूस किया गया कि कोई भी राष्ट्रीय भाजपा विरोधी गठबंधन कांग्रेस के बिना संभव नहीं होगा।’’

गोवा में गठबंधन के लिए ममता बनर्जी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास पहुंची थीं, लेकिन बात नहीं बनी।

लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि गठबंधन इसलिए नहीं हुआ क्योंकि टीएमसी ‘‘भाजपा के खिलाफ वोटों को विभाजित करके उसकी (भाजपा) मदद करने के लिए गोवा गई थी।’’

उन्होंने दावा किया कि टीएमसी बीरभूम की घटना के कारण आये राजनीतिक तूफान से ‘‘डर गई’’ है, और वह विपक्षी एकता की बात करके जनता का ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘कभी वे कांग्रेस पर हमला करते हैं, और कभी वे हमारे साथ गठबंधन करना चाहते हैं। टीएमसी में भाजपा विरोधी ताकत के रूप में विश्वसनीयता की कमी है।’’

टीएमसी का गोवा विधानसभा चुनाव में अभियान असफल रहा क्योंकि उसे कोई सीट नहीं मिली और उसे केवल 5.2 प्रतिशत वोट मिले। उसने महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के साथ गठबंधन किया था।

त्रिपुरा निकाय चुनावों में, टीएमसी ने नगरपालिका में केवल एक सीट जीती।

‘सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंसेज’, कोलकाता के राजनीतिक विश्लेषक प्रो. मैदुल इस्लाम ने कहा कि कांग्रेस के खिलाफ टीएमसी के हमले स्वाभाविक थे क्योंकि दोनों त्रिपुरा और गोवा चुनावों में प्रतिद्वंद्वी थे।

उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस के बिना गैर-भाजपा विकल्प नहीं हो सकता। टीएमसी के लिए, सबसे पुरानी पार्टी के साथ गठबंधन करना फायदेमंद होगा। भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष के बंटवारे का फायदा उठाया था।’’

भाषा

देवेंद्र नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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