(कोमल पंचमाटिया)
मुंबई, 18 मार्च (भाषा) अभिनेत्री शबाना आजमी ने कहा है कि कलाकार अपनी नस्ली पहचान के दायरे में सिमटकर नहीं रहना चाहते हैं और वे विश्व सिनेमा के प्रत्येक क्षेत्र में काम करना चाहते हैं।
शबाना ने कहा कि नस्ली पहचान और त्वचा के रंग को दरकिनार कर कलाकारों को फिल्मों में मौका देना एक स्वागत योग्य पहल है और इससे किसी भी नस्ल के कलाकार दुनिया में बनने वाली किसी भी फिल्म में काम कर सकते हैं।
वह हॉलीवुड फिल्मकार स्टीवन स्पीलबर्ग की वेब सीरीज ‘हेलो’ में नजर आएंगी।
पांच बार राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजी गई शबाना आजमी, जॉन स्लेसिंगर की ‘मैडम सौसत्ज़का’, रोलैंड जोफ़ की ‘सिटी ऑफ़ जॉय’ और ‘सन ऑफ़ द पिंक पैंथर’ जैसी कई अंतरराष्ट्रीय स्तर की फिल्मों में अभिनय कर चुकी हैं।
शबाना ने पीटीआई-भाषा से एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि पश्चिमी सिनेमा जगत में एशियाई कलाकारों को मौका आसानी से नहीं मिलता है और इसके लिए उन्हें बहुत ही संघर्ष करना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि उन्हें एक ऐसा किरदार निभाने का मौका मिलने में करीब 34 वर्ष लग गए, जिसका उनकी नस्ली पहचान से कोई लेना-देना नहीं है।
अभिनेता-निर्देशक लॉरेंस ओलिवियर का उदाहरण देते हुए शबाना आजमी ने कहा कि अगर वह 1965 की फिल्म ‘ओथेलो’ में मुख्य भूमिका निभा सकते हैं, तो अन्य नस्लों के कलाकारों के लिए परिस्थितियां अलग क्यों होनी चाहिए।
अभिनेत्री ने कहा, ‘एशियाई कलाकार पिछले 13 वर्षों से अधिक समय से यह कह रहे हैं और इसलिए यह क्यों मानते हैं कि मुख्यधारा हमेशा कॉकेशियन (यूरोपीय मूल के लोगों की) है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ जब हम नस्ली पहचान को दरकिनार कर कलाकारों को फिल्मों में मौका दे सकते हैं, तो यही ठीक है और सही है। अगर लॉरेंस, ओथेलो का किरदार निभा सकते हैं, तो कोई भारतीय या चीनी कलाकार ऐसा क्यों नहीं कर सकता?”
भाषा रवि कांत सुभाष
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