नई दिल्ली: भारत के कुछ हिस्सों में इस त्योहारी मौसम में लोग कोरोना महामारी की हकीकत को समझते हुए गिफ्ट हैंपर्स में हैंड सैनिटाइजर्स भी दे रहे हैं. ऐसे मौके पर मिलने जुलने की कवायद से भी लोग दूरी बना रहे हैं और गिफ्ट देने के भी विकल्पों की तरफ मुड़ रहे हैं.
बहुत सारे व्यापारियों के लिए इस बार की दिवाली बड़ा मुश्किल समय है क्योंकि त्योहारों के मौसम में ग्राहकों की काफी संख्या खरीददारी के लिए आती है.
महामारी के बीच इस बार की दिवाली पूरे भारत में लोगों के लिए अलग तरह की होगी.
दिल्ली-एनसीआर के लोग पटाखों पर लगने वाले बैन से परिचित हैं लेकिन इस बार कोविड मरीजों की सुविधा को देखते हुए कई राज्यों ने पटाखों पर बैन लगाया है. इस कदम ने पटाखे बेचने वालों के लिए एक नई मुसीबत खड़ी कर दी है.
बहुत सारे लोगों ने दिप्रिंट को बताया कि वो इस बार दिवाली में बड़े जमावट से दूर रहेंगे और अपने दोस्तों-परिवार के साथ दिवाली वीडियो कॉल्स के जरिए मनाएंगे. वहीं बहुत सारे लोग खरीददारी के पुराने तरीकों को छोड़कर ऑनलाइन शॉपिंग की तरफ बढ़ने के लिए कह रहे हैं.
दिप्रिंट ने भारत के कई शहरों जिसमें गुवाहाटी, बेंगलुरू, हैदराबाद, दिल्ली, चंडीगढ़ में लोगों से बात की और उनसे 2020 में दिवाली मनाने के तरीकों के बारे में पूछा.
एक ऐसे साल में जिसने पूरी दुनिया में अव्यवस्था पैदा कर दी है, कई कहानियां निकल कर सामने आईं जो हृदय विदारक भी है.
यह भी पढ़ें: रेलवे का मर्जर प्लान- नए अधिकारियों के लिए कॉमन एग्जाम होगा, पुराने विभागीय व्यवस्था में काम करते रहेंगे
सिर्फ और सिर्फ नुकसान
हरियाणा में पटाखों के व्यापारी अजीत मोहन ने कहा कि पिछले कुछ सालों के मुकाबले बिक्री में कमी आई है. बहुत सारे लोग दिवाली में पटाखे नहीं जलाना चाहते ताकि प्रदूषण न हो क्योंकि इसकी वजह से उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में काफी परेशानी आती है.
हालांकि ये साल काफी मुश्किल बीता है. उन्होंने कहा कि महामारी के कारण लगे लॉकडाउन ने काफी प्रभावित किया है. हरियाणा सरकार ने इसी हफ्ते पटाखों पर बैन लगाया लेकिन बाद में सिर्फ दो घंटों के लिए पटाखे जलाने की छूट दे दी.
उन्होंने कहा, ‘मेरे कर्मचारी और मैं खुद काफी प्रभावित हुए हैं और हम अब पटाखे बेचकर इसकी पूर्ति नहीं कर सकते. भले ही सरकार ने दो घंटों के लिए पटाखे जलाने की छूट दे दी हो लेकिन लोग बाहर इसे खरीदने नहीं निकल रहे हैं.’ ‘हमने उम्मीद लगा रखी थी कि प्रकाश का ये त्योहार कुछ राहत लेकर आएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ.’
दिवाली की चीजों के लिए दिल्ली की सबसे बड़ी थोक मार्केट सरोजनी नगर के एक दुकान के मालिक शंकर पाल ने कहा कि इस साल व्यापार में 60 प्रतिशत की कमी आई है.
पाल ने कहा, ‘लोग दीया और लैंप्स भी खरीदना नहीं चाहते हैं, शायद पिछले सालों की तरह जश्न न मने.’ उन्होंने कहा, ‘बीते सालों में शाम तक स्टाक खत्म हो जाता था लेकिन इस बार हमें इसे अगले दिन फिर से लाना पड़ता है.’
हैदराबाद के सबसे बड़े थोक बाजारों में से एक बेगम बाज़ार के दुकानदार श्रीराम व्यास ने कहा कि इस बार दिवाली के व्यापार में 20-30 प्रतिशत की कमी आई है जिसमें ड्राई फ्रूट्स और मिठाइयों की बिक्री भी शामिल है.
बीते सालों में चंडीगढ़ के सेक्टर 18 में बिजली की दुकान के मालिक स्वर्ण सिंह को शहर में लोगों के घरों में लाइट्स लगाने के लिए काफी लोग लगते थे लेकिन इस बार इलेक्ट्रीशियन की कमी साफ संकेत देते हैं कि इस बार की दिवाली बीते सालों की तरह नहीं है.
सिंह ने कहा, ‘लोगों के घर लाइट्स लगाने के लिए जाने वाले इलेक्ट्रीशियन ज्यादा नहीं कमा पा रहे हैं. कोरोनावायरस के डर के कारण वो लोगों के घरों में नहीं जा पा रहे हैं.’
फिजिकल स्टोर्स को एक और कारक प्रभावित कर रहा है वो ये है कि बहुत सारे लोग दिवाली की शॉपिंग ऑनलाइन कर रहे हैं. मुंबई की रहने वाली राशना चौधरी के लिए भीड़भाड़ वाले बाजार की जगह वेब की दुनिया ने ले ली है. उन्होंने कहा, ‘बाजारों में बहुत भीड़ रहती है, इसलिए मैं इस बार ऑनलाइन ही सामान खरीद रही हूं.’
यह भी पढ़ें: प्रदूषण, त्योहार, सर्दियों की शुरुआत- कोरोना की ‘तीसरी लहर’ क्यों झेल रही है दिल्ली
‘आत्मनिर्भर भारत’ का असर
कई बाजारों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत की अपील का असर होता दिखा जिससे घरेलू बाजार में सप्लाई और डिमांड बढ़ी है.
दिल्ली, कोलकाता और बेंगलुरू के व्यापारियों ने दिप्रिंट को बताया कि ये भारतीय बाजारों में चीनी सामानों को कम करने के लिए है खासकर लद्दाख सीमा पर चीन के कदम के बाद.
हालांकि कई व्यापारियों ने कहा कि वो इस बार चीनी लाइट्स बेचने को मजबूर हैं क्योंकि उन्हें पुराने स्टॉक खत्म करने हैं. उन्होंने कहा कि कई बार भारतीय लाइट्स की तुलना में चीन की लाइट्स सस्ते में मिलने के कारण ग्राहक उसे खरीद लेता है.
दिल्ली के मालवीय नगर बाजार में लाइट बेचने वाले रमन श्रीवास्तव ने कहा कि वो इस दिवाली पर भारतीय लाइट्स बेचने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन ग्राहक केवल ‘सस्ते चीनी प्रोडक्ट्स’ को चुन रहे हैं.
बेंगलुरू के इंदिरा नगर में सजावट का सामान बेचने वाले वेंकटेश्वर ने कहा, ‘ग्राहक हमारे पास चमकने वाली लाइट्स, टी लाइट्स, आर्टिफिशियल दिया के लिए आते हैं जो कि चीन में बने होते हैं. लेकिन विकल्प उपलब्ध कराते हुए हम भारतीय सामग्री को बेचेंगे.’
दिल्ली की चांदनी चौक बाजार में दिप्रिंट को एक ग्राहक तरुण पाल सिंह ने बताया कि लोकल (स्थानीय) सामानों की तरफ जाने की अपील तभी काम करेगी जब मार्केट में कम दाम वाले चीनी सामान नहीं होंगे.
उन्होंने कहा, ‘पिछले हफ्ते मैंने भारत में निर्मित लाइट खरीदी जिसकी कीमत 180 रुपए थी. चीनी लाइट्स 60-80 रुपए में मिल जाती है. लेकिन लोग भले ही ये जानते हों कि भारती में बनी लाइट्स ज्यादा टिकाउ है लेकिन लोग सस्ते की तरफ जाते ही हैं.’
हालांकि इसी बीच कई लोग ऐसे भी मिले जो मिट्टी के दिए खरीदते दिखे जो कि दिवाली की असल खूबसूरती है. इससे दिए बनाने वाले को सीधा फायदा मिलता है.
लखनऊ के राजाजीपुरम क्षेत्र के निवासी रोहित सिंह ने कहा, ‘दिवाली का प्रतीक है दिया. मैंने अपने घर के लिए 20 दर्जन दिये खरीदे हैं. इस बार कोई चीनी लाइट्स नहीं ली है.’
बेंगलुरू के सोशल मीडिया इंफ्ल्युंशर हरीश थोटा ने भी इसी तरह का काम किया है.
उन्होंने कहा, ‘मैंने स्थानीय कुम्हार से 30 रुपए प्रत्येक दिये के हिसाब से खरीदा है. कोविड ने इन लोगों को काफी प्रभावित किया है और ये उन्हें मदद करने का एक रास्ता हो सकता है.’
असम के बिस्वनाथ जिले के गोहपुर के कई निवासियों ने कहा कि उन्होंने इस दिवाली पर फैंसी लाइट्स से घर को नहीं सजाने का फैसला किया है.
गोवाहाटी से करीब 300 किमीं दूर गोहपुर के गामिलीघाट-मेलबाजार क्षेत्र के करीब 15 परिवारों ने दिवाली मार्केट के लिए 50,000 दिये बनाए हैं.
गामिलीघाट-मेलबाजार क्षेत्र के निवासी सुनील पॉल ने कहा, ‘ये प्रत्येक लैंप्स 15-20 रुपए में बिक रहे हैं. इस बार बिक्री अच्छी हो रही है. लोग चीन की लाइट्स के मुकाबले हमारे हाथों के बने लैंप्स को पसंद कर रहे हैं. अगर कोविड नहीं होता तो उत्पादन और बिक्री अच्छी होती.’
यह भी पढ़ें: NGT ने दिल्ली में 9 से 30 नवंबर तक पटाखों पर बैन लगाया, देश के बाकी हिस्सों के लिए भी दिए निर्देश
वर्चुअल पार्टियां
महामारी से अर्थव्यवस्था पर पड़े असर के इतर कोविड के समय में दिवाली अलग-अलग घरों में भिन्न होगी. हालांकि त्योहार दोस्तों और परिवार के बिना अधूरी होती है लेकिन बहुत से लोग डिस्टेंसिंग के नियमों को नहीं तोड़ना चाहते इसलिए वो ऑनलाइन पार्टियों का विकल्प चुन रहे हैं.
दिल्ली की उद्यमी अक्सिता मदान कहती हैं, ‘पहले हमारी दिवाली पार्टी बड़ी होती थी, गिफ्ट दिए जाते थे और डांस होता था. हालांकि इस साल हम कोविड-19 का रिस्क नहीं ले सकते. इसलिए हमारे सभी दोस्तों ने शनिवार रात को वर्चुअल पार्टी का प्लान किया है.’
मुंबई में फोटोग्राफर रेहान छिल्लर कहते हैं, ‘दिवाली पार्टी इस बार जूम पार्टी होगी.’
छिल्लर कहते हैं, ‘हम सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का उल्लंघन नहीं कर सकते इसलिए हम इस बार दिवाली पार्टी जूम कॉल्स पर मनाएंगे.’
बेंगलुरू की मिनहाज अली ऑनलाइन ड्रिंकिंग पार्टी के जरिए दिवाली पार्टी मनाना चाहती हैं. अली ने कहा, ‘हम कार्ड्स खेलेंगे, बाद में हमारा साथ में कोई पुरानी बॉलीवुड फिल्म देखने का भी प्लान है.’
दिल्ली के नीरज कुमार कुछ सतर्क नज़र आते हैं और उन्होंने कहा कि वो बस कुछ दोस्तों से मिलकर दिवाली गिफ्ट देंगे. कुमार ने कहा, ‘मैं गिफ्ट लेकर उनके यहां जाउंगा, सब कुछ सैनिटाइज करुंगा और फिर गिफ्ट दूंगा.’
जहां तक दिवाली गिफ्ट की बात है, दुकानदारों का कहना है कि उन्हें अभी भी मिठाइयों और ड्राई फ्रूट्स के ऑर्डर मिल रहे हैं. कुछ का दावा है कि पिछले साल की ही तरह इस बार बिक्री है.
दिल्ली के मालवीय नगर बाजार में ड्राई फ्रूट्स और मिठाई की दुकान चलाने वाले मोहन प्रकाश ने कहा, ‘बहुत सारे लोग डनज़ो, बिग बास्केट से ऑर्डर कर रहे हैं….पैकेज भले ही छोटे हो लेकिन लोग ऑर्डर कर रहे हैं. इसके अलावा वो इस दिवाली करे भी तो क्या?’
चांदनी चौक में मिठाई की दुकान चलाने वाले ओम शर्मा ने कहा, ‘मुश्किल समय है, कोविड ने लोगों को घरों में रहने को मजबूर कर दिया है जिससे वो ज्यादा जगहों पर नहीं जा रहे हैं….मिठाई के ऑर्डर आ रहे हैं लेकिन इसकी संख्या कम है.’
ड्राई फ्रूट्स और मिठाईयां दिवाली के त्योहार में गिफ्ट दिए जाते हैं लेकिन 2020 में इसमें थोड़ा बदलाव दिखा है.
बेंगलुरू के रसल मार्केट ट्रेडर्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी मोहम्मद इदरिस चौधरी ने कहा कि इस बार के दिवाली गिफ्ट पैक्स में हैंड सैनिटाइजर्स को भी शामिल किया जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘ये हैंपर्स एंटी-कोविड इम्युनिटी बूस्टर हैंपर्स के तौर पर बेचा जा रहा है जिसमें ड्राई फ्रूट्स विटामिन्स की तरह शामिल है.’
आखिरकार महामारी के बीच अच्छे स्वास्थ्य की कामना से बेहतर क्या गिफ्ट हो सकता है?
(करिश्मा हसनत, मधुपर्णा दास, रोहिनी स्वामी, चितलीन सेठी, रिशिका सदम और प्रशांत श्रीवास्तव के इनपुट्स के साथ)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: दिवाली पटाख़ों पर पाबंदी स्वास्थ्य, धर्म, राजनीति, और अर्थव्यवस्था का धमाकेदार मिश्रण क्यों है