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Sunday, 5 May, 2024
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रेलवे का मर्जर प्लान- नए अधिकारियों के लिए कॉमन एग्जाम होगा, पुराने विभागीय व्यवस्था में काम करते रहेंगे

मौजूदा अधिकारी अपने विभागों में बने रहेंगे, जबकि नए अधिकारियों को एक कॉमन आईआरएमएस के जरिये भर्ती किया जा सकेगा. रेलवे के प्रवक्ता ने बताया कि इस प्रक्रिया को लेकर फिलहाल विचार-विमर्श चल रहा है.

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नई दिल्ली : दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक आठ रेलवे सेवाओं को एक एकल भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा (आईआरएमएस) में तब्दील करने के नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले के तहत रेलवे अधिकारियों का बहुप्रतीक्षित विलय आंशिक तौर पर करने की प्रक्रिया अपनाई जा सकती है.

सरकारी सूत्रों के अनुसार, यद्यपि कैबिनेट ने रेलवे की आठ मौजूदा सेवाओं के विलय का फैसला लिया था लेकिन अब तय किया गया है कि मौजूदा अधिकारी अपने विभागों में काम करते रहेंगे. हर विभाग का अपना करियर ग्राफ होगा वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति की जा सकेगी. जबकि नए अधिकारियों की नियुक्ति एक कॉमन आईआरएमएस के जरिये की जा सकेगी.

इसके साथ ही रेलवे में सर्वोच्च प्रशासनिक पदों को एक्स-कैडर पोस्ट के तौर पर रेखांकित किया जा सकता है, जिन पर नियुक्ति के लिए एक सेलेक्शन पैनल का गठन किया जा सकता है.

सेलेक्शन पैनल जनरल मैनेजर जैसे शीर्ष पदों के लिए आवेदन करने वाले अधिकारियों के सेवा काल और वरिष्ठता के बजाये संबंधित पद के लिए उम्मीदवार की योग्यता के आधार पर चयन करेंगे.

इस पैनल के स्वरूप को लेकर अभी कुछ स्पष्ट नहीं है.

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‘मामले पर विचार किया जा रहा है’

नई योजना के बारे में पूछे जाने पर रेल मंत्रालय के प्रवक्ता डी.जे. नारायण ने दिप्रिंट को बताया कि इस मामले पर अभी विचार-विमर्श जारी है.


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उन्होंने कहा, ‘प्रबंधन से जुड़े कई पहलुओं पर अभी रूपरेखा तैयार की जा रही है और भारतीय रेलवे के हित में सबसे बेहतर निर्णय लिया जाएगा.’

दिसंबर 2019 में कैबिनेट ने रेलवे में ‘विभागवाद’ और ‘विभागीय विभाजन वाली संस्कृति’ को समाप्त करने के लिए एक आईआरएमएस स्थापित करने का फैसला किया था. इसी समय इसे बाजार-उन्मुख दृष्टिकोण प्रदान करने के लिए रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन की घोषणा की गई- यह फैसला इस साल सितंबर में लागू किया गया था.

हालांकि, सेवाओं के विलय के फैसले, जिसके इस साल नवंबर तक लागू होने के आसार हैं, ने रेलवे नौकरशाही के बीच व्यापक चिंताओं को जन्म दे दिया है. इसे अमल में लाने के लिए सरकार ने अधिकारियों के साथ कई दौर की बातचीत की है.

अपना नाम ने देने की शर्त पर रेलवे के एक अधिकारी ने कहा, ‘नए अधिकारियों को संभवतः एक ही प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा, और वे इन आठ विशिष्ट सेवाओं में से किसी एक से भी संबंधित नहीं होंगे.’

अधिकारी ने कहा, ‘ऐसा माना जा रहा है कि कुछ सालों में रेलवे में विभागवार कामकाज की संस्कृति खत्म हो जाएगी और नए अधिकारियों को समग्र रूप से रेलवे के बारे में व्यापक समझ होगी.’

‘विशेषज्ञता पर असर पड़ सकता है’

हालांकि, सभी मौजूदा अधिकारियों को ‘आईआरएमएस’ अधिकारी कहा जा सकता है लेकिन वे अपने विभागों में पूर्ववत काम करते रहेंगे, ताकि अधिकारियों की इन चिंताओं को दूर किया जा सके कि विलय से उनके कैरियर ग्राफ पर कोई असर पड़ सकता है.

आठ सेवाओं के विलय के निर्णय का रेलवे सेवाओं- यातायात, कार्मिक और लेखा- के साथ सिविल सेवाओं के स्तर पर भी विरोध किया गया. उनका तर्क है कि चूंकि वे समय के साथ ज्यादा कठिन और प्रतिस्पर्द्धी सिविल सेवा परीक्षा पास करके सरकारी सेवाओं में आते हैं इसलिए उन्हें शुरुआती चरण में तुलनात्मक रूप से आसान परीक्षाएं पास करने वाले इंजीनियरिंग सेवाओं वालों के साथ रखना अनुचित है.

सरकार की नई योजना पर टिप्पणी करते हुए यातायात सेवा के एक अधिकारी ने कहा, ‘यदि भविष्य में एक कॉमन भर्ती प्रक्रिया अपनाई जाती है तो सेवा शर्तों को लेकर कोई नाराज़गी नहीं होगी.’

लेकिन साथ ही जोड़ा, ‘इससे रेलवे जैसे विविधता वाले संगठन में विशेषज्ञता प्रभावित हो सकती है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

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