भोपाल, 23 नवंबर (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मध्य भारत प्रांत संघचालक और सेवानिवृत न्यायाधीश अशोक पांडे ने कहा है कि गीता को मृत्यु के समय पढ़ने की गलत धारणा बना दी गयी है, जबकि यह ग्रंथ जीवन को सार्थक बनाने की शिक्षा देता है।
लक्ष्मी नारायण कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी (एलएनसीटी) के भारतीय ज्ञान परंपरा विभाग की ओर से शनिवार को ‘डिस्कवर द अर्जुन इन यू’ विषय पर आयोजित एक गोष्ठी को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही।
एलएनसीटी की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, पांडे ने कहा, ‘गीता को मृत्यु के समय पढ़ने का भ्रम बना दिया गया है, जबकि यह ग्रंथ जीवन को सार्थक बनाने की शिक्षा देता है।’
उन्होंने सभी से स्वदेशी अपनाने और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में भारतीय ज्ञान परंपरा का योगदान सुनिश्चित करने की अपील की।
समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद मुंबई स्थित सोमैया विद्याविहार यूनिवर्सिटी के उप कुलपति प्रो. सतीश मोध ने गीता के अर्थों से जीवन जीने की प्रेरणा पर प्रकाश डाला।
उन्होंने गीता के अनेक श्लोकों की व्याख्या करते हुए बताया कि कैसे श्रीकृष्ण की प्रेरणा से अर्जुन भ्रम व निराशा से निकलकर कर्तव्यपथ पर अग्रसर हुए।
उन्होंने कहा, ‘हमें निर्णय करना है कि हम संजय, धृतराष्ट्र, दुर्योधन या अर्जुन में से कौन बनना चाहते हैं।’
उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा में नारी को ‘शक्ति’ का स्वरूप बताते हुए कहा कि जिस घर में नारी का सम्मान होता है, वहां स्वतः ही सुख और समृद्धि का वास होता है।
एलएनसीटी समूह के अध्यक्ष जे. एन. चौकसे ने छात्रों, शिक्षकों एवं कर्मचारियों से कहा कि वे इस प्रेरक सत्र से प्राप्त ज्ञान को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएं।
भाषा ब्रजेन्द्र प्रशांत
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