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Sunday, 22 December, 2024
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महिला वन अधिकारियों के लिए छाती माप मानदंड पर हरियाणा की राजनीति गरमाई, HSSC ने निकाली नियम पुस्तिका

सरकार का कहना है कि महिला डॉक्टर ये परीक्षण करती हैं और केंद्रीय मंत्रालय ये मानक निर्धारित करता है. विपक्ष ने पुलिस सेवाओं में ऐसी आवश्यकता की कमी पर सवाल उठाया, अधिसूचना को 'अपमानजनक' बताया.

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चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने रेंजर्स, डिप्टी रेंजर्स और फॉरेस्टर के पदों के लिए विवादास्पद भर्ती पात्रता मानदंड पर स्थिति साफ करने के लिए कदम उठाया है. इसमें महिला उम्मीदवारों की छाती की माप भी ली जाएगी. 

विभिन्न श्रेणियों की ग्रुप सी नौकरियों के लिए शारीरिक माप परीक्षण (पीएमटी) को लेकर हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) की अधिसूचना पर हंगामे के बाद सरकार ने शनिवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की कि ये भर्तियां हरियाणा वन सेवा (कार्यकारी) के रूल C, 1998 पर आधारित है, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए हाइट और छाती के शारीरिक मानक निर्धारित करते हैं.

इसमें कहा गया है कि ऐसी सभी भर्तियां इन शारीरिक मानकों के आधार पर की गई हैं और पिछले कुछ सालों में 22 महिला वन रक्षकों और चार महिला वनपालों की भर्ती ऐसे ही की गई है.

प्रेस नोट में कहा गया है, “यहां तक ​​कि भारत सरकार का पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भी अपने मॉडल दिशानिर्देशों में भर्ती के लिए पुरुषों और महिलाओं दोनों के मामले में हाइट और छाती माप के लिए शारीरिक मानक निर्धारित करता है.”

इसमें यह भी कहा गया कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान केवल महिला डॉक्टर ही महिला उम्मीदवारों का परीक्षण करती हैं. इसमें कहा गया है, “पंजाब का पड़ोसी राज्य भी वन क्षेत्र कर्मचारियों की भर्ती के मामले में पुरुष और महिला दोनों उम्मीदवारों के मामले में हाइट और छाती के लिए शारीरिक माप रख रहा है.”

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि पहले एक सामान्य प्रवेश परीक्षा आयोजित की गई थी, जिसके बाद पदों की संख्या से आठ गुना उम्मीदवारों को पीएमटी के लिए उपस्थित होने के लिए कहा गया था. उसके बाद, पदों की संख्या से चार गुना उम्मीदवारों को शारीरिक स्क्रीनिंग टेस्ट के लिए चुना जाएगा, जो उनके फिटनेस स्तर की जांच करेगा. एचएसएससी की वेबसाइट पर 7 जुलाई को अपलोड की गई अधिसूचना के अनुसार, पीएमटी 12-23 जुलाई को ताऊ देवी लाल स्टेडियम, सेक्टर 3, पंचकुला में आयोजित की जाएगी.

इसमें कहा गया है कि महिला उम्मीदवारों के लिए छाती की माप कम से कम 74 सेंटीमीटर (बिना फुलाए) और 79 सेंटीमीटर (फुलाकर) होनी चाहिए.

अधिसूचना पर कार्यकर्ताओं और विपक्ष दोनों ने नाराज़गी व्य्क्त की है. 

रिक्रूटमेंट एक्टिविस्ट श्वेता ढुल ने सबसे पहले सोशल मीडिया पर इसका विरोध किया और उन्होंने ट्विटर पर इसे “उत्पीड़न” बताया. उन्होंने व्हाट्सएप पर प्रसारित एक प्रेस नोट में कहा, “यहां तक ​​कि महिलाओं के मामले में बिना फुले और विस्तारित छाती का उल्लेख भी अशोभनीय और अश्लील लग रहा है.”

जब दिप्रिंट ने जब उनसे बात की तो उन्होंने कहा, “जब वे पुलिस बल में भर्ती के लिए महिला उम्मीदवारों की छाती नहीं मापते हैं जिनका कर्तव्य ही कानून और व्यवस्था बनाए रखना है, तो उन्हें वन विभाग के लिए इसे मापने की आवश्यकता क्यों है? महिलाओं के मामले में, पीएमटी को ऊंचाई, वजन और शारीरिक परीक्षणों तक सीमित किया जाना चाहिए.” 

उन्होंने कहा कि किसी के फेफड़ों की ताकत मापने के लिए अन्य वैज्ञानिक तरीके होने चाहिए.

एचएसएससी के अध्यक्ष भोपाल सिंह से जब दिप्रिंट ने इसको लेकर कॉल और मैसेज के माध्यम से संपर्क किया तो उन्होंने न तो कॉल का उत्तर दिया और न ही मैसेज का कोई जवाब दिया. उनका जवाब मिलने पर रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.

दिप्रिंट द्वारा संपर्क किए जाने पर, हरियाणा के वन मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि वह इस मुद्दे को देखेंगे.

उन्होंने कहा, “मुझे एचएसएससी से जांच करनी होगी कि क्या हमारे (वन) विभाग ने भर्ती नियमों में इस शर्त का उल्लेख किया है या एचएसएससी ने इसे अपने आप शामिल किया है. अगर यह पाया जाता है कि पुलिस में ऐसी कोई शर्त नहीं है और इसकी कोई आवश्यकता नहीं है तो सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करेगी और अधिसूचना में आवश्यक संशोधन करेगी.”


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विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया

इस कदम को “शर्मनाक, अपमानजनक और असंवेदनशील” बताते हुए एआईसीसी महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि यह चौंकाने वाली बात है कि हरियाणा सरकार बेटियों का अपमान क्यों करना चाहती है, जबकि देश में कहीं भी पुलिस बल में ऐसा कोई भी नियम नहीं है.

सुरजेवाला ने ट्वीट करते हुए कहा कि सरकार को इस मानदंड को तत्काल वापस लेने और “हरियाणा की बेटियों” से माफ़ी मांगने की मांग की है.

राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा ने ट्वीट किया कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी केवल दिखावा करती है. उन्होंने अपने ट्वीट में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को टैग करते हुए इस आदेश को वापस लेने की मांग की.

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री किरण चौधरी ने ट्वीट कर इस ‘शर्मनाक फरमान’ को तत्काल वापस लेने की मांग की.

हरियाणा के पूर्व सीएम और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने भी आदेश को रद्द करने की मांग की. उन्होंने कहा, “पहले भी भी भर्तियां आयोजित की गई हैं, लेकिन इस तरह के आक्रामक पैरामीटर पहले कभी नहीं अपनाए गए हैं.”

उन्होंने कहा कि ऐसा फैसला न सिर्फ हरियाणा बल्कि पूरे देश की महिलाओं का अपमान है.

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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