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Sunday, 5 May, 2024
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पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में हिंसा के बाद TMC और विपक्षी पार्टियों ने शुरू किया आरोप-प्रत्यारोप का खेल

टीएमसी का कहना है कि हिंसा में 60% उनके कार्यकर्ताओं की मौत हुई है. उसका अनौपचारिक आंकड़ा 8 है. बीजेपी, सीपीआईएम, कांग्रेस और आईएसएफ का दावा है कि उनके एक-एक पार्टी कार्यकर्ताओं की मृत्यु हुई. एसईसी ने कहा कि उन्हें उनके 3 कार्यकर्ताओं के मौतों की सूचना मिली है.

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कोलकाता: पश्चिम बंगाल में शनिवार को हुए पंचायत चुनाव के मतदान के दौरान जमकर हिंसा हुई. राज्य में राजनीतिक दलों ने दावा किया कि उनके कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया गया और उनकी हत्या कर दी गई. 

तृणमूल कांग्रेस ने मतदान के दिन हुई हिंसा में मरे लोगों में 60 प्रतिशत लोगों को टीएमसी कार्यकर्ता बताया. हालांकि, पार्टी ने पूरी संख्या नहीं बताई है. टीएमसी हताहतों का अनौपचारिक आंकड़ा 8 है.

दूसरी ओर भाजपा, सीपीआईएम, कांग्रेस और आईएसएफ ने आधिकारिक तौर पर दावा किया कि उनकी पार्टी के एक-एक कार्यकर्ता की मौत हुई. 

राज्य चुनाव आयोग ने रविवार सुबह तक मौत का आधिकारिक डेटा शेयर नहीं किया था, लेकिन राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा ने कहा कि तीन मौतों की सूचना राज्य चुनाव आयोग को दी गई थी.

इससे पहले, चुनाव के दिन मीडिया को संबोधित करते हुए, सिन्हा ने कहा था, “हत्या करना राज्य के खिलाफ अपराध है, एसईसी के खिलाफ नहीं.” राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा ने शनिवार को चुनाव निकाय के कार्यालय ये बातें कही थी.

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उन्होंने कहा, “हमें मतपत्रों और बक्सों को तोड़े जाने, पीठासीन अधिकारियों को धमकाने की 1,200-1,300 शिकायतें मिलीं और उनमें से 600 शिकायतों का तुरंत समाधान कर दिया गया.”

सिन्हा ने कहा, “हमारी व्यवस्था अच्छी थी. सुबह 6-7 बजे से मैं लगातार जिले के जिलाधिकारियों के संपर्क में हूं. कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है. पुलिस ग्राउंड पर कार्रवाई कर रही है. हम इसकी गारंटी नहीं दे सकते कि कौन किस पर हमला करेगा.”

राज्य के त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के दौरान 3,317 ग्राम पंचायत सीटों, 22 जिला परिषदों की 928 सीटों, 9,730 पंचायत समिति सीटों और 63,239 वार्ड सदस्य सीटों पर मतदान हुआ.

इस बीच, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और विपक्ष हिंसा के लिए एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहे.

शनिवार को एक संवाददाता सम्मेलन में मंत्री शशि पांजा ने कहा, “विपक्षी दल टीएमसी को बदनाम कर रहे हैं और हिंसा के बारे में झूठी कहानी बनाने की कोशिश कर रहे हैं. 13-14 जिलों में सुचारू मतदान हुआ. लेकिन केंद्रीय बलों की भूमिका संदिग्ध है. मारे गए लोगों में 60 फीसदी टीएमसी कार्यकर्ता थे.”


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हिंसा, तोड़फोड़

पश्चिम बंगाल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) प्रमुख डॉ. सुकांत मजूमदार ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा से बात की. उन्होंने राजनीतिक हिंसा के संबंध में गृह मंत्री अमित शाह के कार्यालय से भी बात की और कहा कि वह उनको एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपेंगे. विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग की है.

कांग्रेस नेता और वकील कौस्तव बागची ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को एक विशेष पीठ गठित करने और स्वत: कार्रवाई करने तथा पंचायत चुनाव को रद्द करने की मांग को लेकर एक ईमेल भेजा है. उन्होंने राजनीतिक हत्याओं के लिए राज्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ एफआईआर की भी मांग की है.

कूचबिहार के सीताई में कथित तौर पर मतपेटियों में आग लगा दी गई. कई जगहों पर मतपेटियों को लूट ली गईं, फर्जी वोट डाले गए और पेटियां तालाबों में फेंक दी गईं. पीठासीन अधिकारियों को डराने-धमकाने के बाद रोते-बिलखते देखा गया. कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने मीडिया से कहा, “यह लूट का चुनाव है, जो टीएमसी अगले पांच साल तक करती रहेगी.”

इस बीच, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ. सी.वी. आनंद बोस ने स्थिति का जायजा लेने के लिए उत्तर 24 परगना और नादिया का दौरा किया. उन्होंने कहा, “चुनाव गोलियों से नहीं बल्कि मतपत्रों से लड़ा जाना चाहिए. मुझे शांतिपूर्ण चुनाव की उम्मीद थी. मेरे काफिले को रोक दिया गया और मतदाताओं ने मुझसे कहा कि मतदान केंद्र पर लोगों की हत्याएं की जा रही हैं. मैं लोगों से आग्रह करता हूं कि वे बाहर जाएं और मतदान करें. मतदाता ही स्थिति का समाधान कर सकते हैं. अपनी चेतना के अनुसार वोट करें.”

राज्यपाल ने मीडिया से कहा, यह हमारे लोगों की रक्षा करने और किसी को दोष देने का दिन नहीं है.

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने स्वतंत्र और निष्पक्ष ग्रामीण चुनावों के लिए राज्य भर में केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया था. पिछले सोमवार को अदालत के आदेश के मुताबिक, 11 जुलाई को नतीजे आने के 10 दिन बाद तक केंद्रीय बल राज्य में बने रहेंगे.

(अनुवाद+संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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