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Friday, 15 November, 2024
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मानसिक दिव्यांग बच्चों के लिए स्कूल से लेकर ‘सुपर 50’ कोचिंग तक-कश्मीर में सेना का शिक्षा पर जोर

कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों पर अपना ध्यान केंद्रित करने के अलावा सेना इस केंद्र शासित प्रदेश में अपनी सद्भावना परियोजना के तहत शिक्षा, कौशल निर्माण, खेल और संस्कृति को भी बढ़ावा दे रही है.

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श्रीनगर/बारामूला: उत्तरी कश्मीर के बारामूला में मानसिक रूप से दिव्यांग लगभग 75 बच्चे और उनके माता-पिता शहर के मध्य में खुले एक नए स्कूल, जिसमें उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सभी सुविधाएं मौजूद हैं,  को लेकर बहुत उत्साहित हैं.

उधर, उत्तरी कश्मीर के एक अन्य क्षेत्र में, इस केंद्र शासित प्रदेश के -और साथ-ही-साथ लद्दाख के भी – विभिन्न क्षेत्रों से आने वालीं 21 छात्राएं – 30 लड़कों के साथ – डॉक्टर बनने के अपने सपने को पूरा करने और एक सुरक्षित परिसर में उनके लिए विशेष रूप से चलाईं जा रहीं आगामी नीट प्रवेश परीक्षा की कोचिंग क्लासेस में पढ़ाईं कर रहीं हैं.

जम्मू और कश्मीर के दक्षिणी हिस्सों में छात्रों का एक और समूह इंजीनियरिंग कक्षाओं की प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहा है.

कोविड की वजह से लगाए प्रतिबंधों के हटाए जाने के साथ ही बहुत सारे छात्र भी धीरे-धीरे छोटे शहरों के स्कूलों में डिजिटल टैबलेट पर अपनी पढ़ाई करने के स्कूलों में लौट रहे हैं जबकि कई अन्य छात्र कढ़ाई, हॉस्पिटैलिटी आदि पर केंद्रित स्कील डेवलपमेंट कोर्स में भाग ले रहें हैं.

इन सभी पहलों के बीच की कड़ी सेना और उसकी सद्भावना परियोजना (प्रोजेकट गुडविल) है, जो 1990 के दशक के अंत में नागरिक आबादी के साथ एक तरह का जुड़ाव स्थापित करने के लिए शुरू हुई थी.

हालांकि, सेना अपने रोजाना चलने वाले आतंकवाद विरोधी अभियानों में बदस्तूर शामिल है, पर वह जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के छात्रों को शिक्षा के और अधिक अवसर प्रदान करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है.

श्रीनगर स्थित 15 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डी.पी. पांडे ने दिप्रिंट को बताया, ‘शिक्षा एक प्रमुख फोकस वाला क्षेत्र रहा है. हम छोटे बच्चों के लिए अधिक-से-अधिक अवसर प्रदान करना चाहते हैं. जम्मू और कश्मीर में ही कई तरह की पहल के अलावा हम छात्रों को बाहर जाने और देश के अन्य हिस्सों में अध्ययन करने में भी मदद कर रहे हैं.‘

Parivaar School in Baramulla. | Photo: Urjita Bhardwaj/ThePrint
बारामूला में परिवार स्कूल | फोटो: उर्जिता भारद्वाज/दिप्रिंट

उत्तरी कमान वर्तमान में लगभग 47 आर्मी गुडविल स्कूल चलाती है जिनमें से 27 कश्मीर क्षेत्र में हैं. ये सारे स्कूल 12वीं तक पढ़ाई वाले हैं और यहां हजारों छात्र नाम मात्र की फीस पर पढ़ते हैं. हालांकि इनके सभी शिक्षक स्वतंत्र असैन्य नागरिक हैं, मगर इनके प्रशासनिक मामलों की देखभाल सेना स्वयं करती है.

बिहार के प्रख्यात शिक्षक आनंद कुमार द्वारा चलाए जाने वाले प्रसिद्ध ‘सुपर 30’ पहल से प्रेरित होकर, सेना इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षा के अभ्यर्थियों के लिए क्रमशः ‘सुपर 50’ और ‘सुपर 30’ नाम के कोचिंग क्लासेस भी चलाती है. इस साल से छात्राओं को भी मेडिकल की कोचिंग के लिए नामांकित किया गया है, जो सभी के लिए रहने और खाने के खर्च सहित फ्री में सेवा देती है.

इसके अलावा, बारामूला के नए स्कूल में 150 दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने की क्षमता है, जिनमें से फ़िलहाल 75 यहां नामांकित हैं. हालांकि उनकी कक्षाएं पहले एक सेना परिसर में ही आयोजित की जा रही थीं, पर जैसे-जैसे अधिक बच्चे इसमें शामिल हुए, सेना ने गैर सरकारी संगठनों के समर्थन से एक पूरा स्कूल स्थापित करने का निर्णय लिया.

A classroom at Parivaar School in Baramulla. | Photo: Urjita Bhardwaj/ThePrint
बारामूला में परिवार स्कूल में एक कक्षा | फोटो: उर्जिता भारद्वाज/दिप्रिंट

बारामूला में ‘परिवार स्कूल’ की प्रिंसिपल सबिया फारूक ने कहा, ‘सेना वास्तव में मददगार रही है. मैं यहां किसी ऐसे स्कूल के होने का ख्वाब भी नहीं देख सकती थी. यह स्कुल उन सभी दिव्यांग बच्चों के लिए वरदान साबित होगा, जिन्हें अकसर समाज द्वारा एक तरह से बोझ के रूप में देखा जाता है.‘


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परियोजना सद्भावना में हुए परिवर्तन

गैर-सरकारी संगठनों और सेना के बीच यह बढ़ा हुआ सहयोग 15 कोर के पूर्व कमांडर और वर्तमान डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री इंटेलेजन्स (डीजीएमओ) लेफ्टिनेंट जनरल बी.एस.राजू के कार्यकाल के दौरान हुआ.

ये सारी पहलें सद्भावना परियोजना के तहत ही की गई हैं.

सेना की वेबसाइट पर इस परियोजना के बारे में दिए गए विवरण में कहा गया है, ‘ऑपरेशन गुडविल (सद्भावना) जम्मू और कश्मीर में भारतीय सेना द्वारा की गई एक अनूठी मानवीय पहल है, जो पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित और उकसाए गए आतंकवाद के दंश से प्रभावित लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए है.’

इस बारे में समझाते हुए सेना के अधिकारियों ने बताया कि इस मिशन की आवश्यकता दूर-दराज के इलाकों में आतंकवादी खतरे, जिसने विकास की परियोजनाओं को पूरा करना एक चुनौती बना दिया था, की वजह से पड़ी और इसलिए आम व्यक्ति की आवश्यकता के आधार पर कुछ बुनियादी ढांचें संबंधी परियोजनाओं को क्रियान्वित किया गया था.

A women empowerment centre in Kashmir. | Photo: Urjita Bhardwaj/ThePrint
कश्मीर में एक महिला सशक्तिकरण केंद्र | फोटो: उर्जिता भारद्वाज/दिप्रिंट

उन्होंने कहा कि आतंकी आकाओं द्वारा स्कूलों को जलाने और उन्हें जबरन बंद करवाए जाने से पैदा हुए पढ़ाई के अंतराल को भरने के लिए आर्मी गुडविल स्कूल उस समय चलाया गया एक प्रमुख प्रयास था.

परियोजना के प्रभारी एक वरिष्ठ सैन्यअधिकारी ने कहा, ‘अब, सामान्य स्थिति की बहाली, सुस्थापित और मजबूत नागरिक प्रशासन के साथ, इन कार्यों को नागरिक प्रशासन के द्वारा किया जा रहा है. सेना की गतिविधियां शिक्षा, कौशल निर्माण, खेल और संस्कृति पर अधिक केंद्रित होती हैं.’

इन प्रयासों के प्रति कट्टरपंथियों और आतंकवाद के परोक्ष समर्थकों की प्रतिक्रिया उन्हें कट्टरपंथ के खिलाफ प्रभावी साधन के रूप में मान्यता देती है.

इस अधिकारी ने कहा, ‘दिलचस्प बात तो यह है कि इन्हीं आतंकी संगठनों ने भारतीय सेना पर उनका मुकाबला करने के लिए ‘सॉफ्ट पावर’ का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है. यह दुनिया में एक अकेला ऐसा मामला होना चाहिए जहां किसी आतंकी संगठन ने राज्य के सुरक्षा बलों पर ‘सॉफ्ट पावर’ का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है. हम इसे एक तारीफ के रूप में लेते हैं.’


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शिक्षा पर है खास ध्यान

शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किए जाने के बारे में बोलते हुए, इस अधिकारी ने कहा कि सेना फ़िलहाल कश्मीर में 27 स्कूल चलाती है, और इसके अलावा, सुपर 50 और सुपर 30 कोचिंग प्रोग्राम जैसी सीएसआर-आधारित पहलें भी चलाईं जा रहीं हैं.

इन कार्यक्रमों ने घाटी के युवाओं और उनके परिवारों को आईआईटी और नीट की प्रवेश परीक्षाओं में देश भर के प्रतिभाशाली छात्रों के साथ प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता प्रदान की है.

लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने कहा कि सेना का ध्यान कश्मीरी समाज के सभी वर्गों के युवाओं और महिलाओं को सशक्त बनाने पर है. उन्होंने कहा, ‘मैं कामयाबी वाली भावना के साथ कह सकता हूं कि इसने कश्मीर के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में बहुत अधिक योगदान दिया है.‘

उन्होंने बताया, ‘कश्मीर के आर्मी गुडविल स्कूलों में लगभग 10,000 से अधिक छात्र गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और इन स्कूलों में 600 से अधिक शिक्षक और कर्मचारी कार्यरत हैं. इस साल आर्मी गुडविल स्कूल (एजीएस वजूर के एक छात्र ने पूरे केंद्र शासित प्रदेश में बारहवां स्थान हासिल किया है.‘

कमांडर पांडे ने कहा, ‘एजीएस के हमारे लड़कों और लड़कियों ने खेलों में भी राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते हैं और केंद्र शासित प्रदेश और सारे देश को गौरवान्वित किया है. इसके अलावा, हमने विभिन्न स्तरों पर कौशल विकास को बढ़ावा देने वाले 50 युवा केंद्रों और महिला सशक्तिकरण केंद्रों की सफलतापूर्वक स्थापना की है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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