scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमदेश‘पहलू खान से नासिर-जुनैद तक’- भिवानी हत्याकांड के विरोध में नूंह में हज़ारों लोग सड़कों पर उतरे

‘पहलू खान से नासिर-जुनैद तक’- भिवानी हत्याकांड के विरोध में नूंह में हज़ारों लोग सड़कों पर उतरे

फिरोजपुर झिरका के प्रदर्शनकारियों ने गुरुग्राम-अलवर राजमार्ग को बाधित किया और SDM के जरिए राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपकर हरियाणा के विशेष गौ संरक्षण कार्य बल पर प्रतिबंध लगाने की मांग की.

Text Size:

गुरुग्राम: जुनैद और नासिर के परिवारों के लिए न्याय की मांग को लेकर हरियाणा के नूंह जिले के फिरोजपुर झिरका में शुक्रवार को मुख्य रूप से मुस्लिम समुदाय के लोगों समेत हज़ारों लोग सड़कों पर उतर आए.

राजस्थान के रहने वाले इन लोगों का कथित तौर पर गौरक्षकों ने अपहरण करने के बाद हत्या कर दी. उनके जले हुए शव 16 फरवरी को भिवानी के लोहारू के पास से बरामद हुए थे, लेकिन राजस्थान में दर्ज एफआईआर में नामज़द पांचों आरोपियों में से अभी तक केवल एक की ही गिरफ्तारी हुई है.राजस्थान पुलिस ने इस सप्ताह की शुरुआत में इस मामले में वांछित आठ लोगों की सूची भी जारी की थी. हालांकि, मामले के आरोपी मोनू मानेसर का नाम सूची में नहीं था.

जुमे की नमाज़ के बाद जमा हुए प्रदर्शनकारियों ने जुनैद और नासिर की हत्या में शामिल लोगों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की, जिसमें बजरंग दल के नेता और हरियाणा के विशेष गौ संरक्षण कार्य बल का सदस्य आरोपी मानेसर भी शामिल है.

पत्रकार मीर फैज़ल, सुमेधा पाल और ज़ाकिर अली त्यागी ने अपने ट्विटर हैंडल से इस विरोध प्रदर्शन के वीडियो और तस्वीरें साझा कीं.

इस बीच, प्रदर्शनकारियों ने गुरुग्राम-अलवर राजमार्ग को कुछ देर के लिए जाम कर दिया. बाद में, उन्होंने स्थानीय सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट (SDM) के जरिए भारत के राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा.

दिप्रिंट ने नूंह के पुलिस अधीक्षक वरुण सिंगला से कॉल, व्हाट्सएप मैसेज़ और एसएमएस के जरिए प्रतिक्रिया मांगी, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका. हालांकि, उनके जवाब आने के बाद खबर को अपडेट कर दिया जाएगा.


यह भी पढ़ेंः हरियाणा के गौरक्षक केवल वालंटियर नहीं, बल्कि मोनू मानेसर जैसे लोग ‘आधिकारिक’ जिम्मेदारी भी संभालते हैं


ज्ञापन में क्या है मांग

दिप्रिंट के पास ‘जुनैद और नासिर के परिवारों के लिए विशेष गाय संरक्षण कार्य बल पर प्रतिबंध और न्याय की मांग’ शीर्षक वाले ज्ञापन की एक प्रति मौजूद है.

इसमें कहा गया है, “हरियाणा सरकार ने एक विशेष गौ रक्षा टास्क फोर्स का गठन किया है, जिसमें उन्होंने कुछ ऐसे गुंडों को शामिल किया है जो गौ रक्षा के नाम पर डेयरी किसानों को डराते हैं और लोगों को मारने से भी नहीं हिचकिचाते हैं.”

इसमें ये भी कहा गया है, “अभी तक हरियाणा से लेकर राजस्थान तक पहलू खान, उमर खान, रकबर खान, वारिस खान जैसे लोगों को मारा जा चुका है और अब जुनैद और नासिर को भी गौ रक्षा के नाम पर इन असामाजिक तत्वों ने मार डाला है. नासिर और जुनैद को भरतपुर से अगवा करके भिवानी जिले में एक बोलेरो कार में जिंदा जला दिया गया.”

प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि हत्यारों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए और मेवात क्षेत्र में अब तक हुई ऐसी सभी हत्याओं की न्यायिक जांच की जाए. उन्होंने प्रभावित परिवारों को जल्द से जल्द न्याय, आर्थिक मदद, सत्कार और पीड़ितों के परिवारों में किसी व्यक्ति को एक-एक सरकारी नौकरी दिलाने और आरोपियों को फास्ट-ट्रैक अदालत में पेश करने का भी आह्वान किया.

ज्ञापन में दावा किया गया है कि नासिर और जुनैद के कथित अपहरण में इस्तेमाल किया गया वाहन हरियाणा पंचायत विभाग में रजिस्टर्ड है.

ज्ञापन में ये भी कहा गया है, “शेखपुर, रावा, बघोला और रावली के गांवों में इस तरह की विभिन्न घटनाओं में एक ही वाहन का इस्तेमाल किया गया है. इस संबंध में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और एफआईआर भी दर्ज की जानी चाहिए.”

इसने इन मामलों में स्थानीय पुलिस की भूमिका की जांच की भी मांग की.

निशाने पर विधायक

इस बीच, फिरोजपुर झिरका के कांग्रेस विधायक मम्मन खान ने एक ज्ञापन ट्वीट किया, जिसे कथित तौर पर एक ‘गौरक्षा समूह’ द्वारा स्थानीय एसडीएम को दिया गया था, जिसमें विधानसभा में उन्हें असामाजिक तत्व कहने के लिए उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज करने की मांग की गई थी. अपने ट्वीट में खान ने कहा, ‘‘कुछ असामाजिक तत्वों ने गौ रक्षा के नाम पर मेवात में तीन युवकों की हत्या कर दी है.मैंने इस मुद्दे को विधानसभा में उठाया था, इसलिए वे मुझे एक राष्ट्र-विरोधी के रूप में लक्षित कर रहे हैं.’’

विधानसभा में खान और उनके पार्टी सहयोगी मोहम्मद इलियास ने विधानसभा के बजट सत्र के दौरान जनवरी में जुनैद और नासिर की हत्या और वारिस की कथित हत्या का मुद्दा उठाया था.

मेवात के रहने वाले 22-वर्षीय वारिस की 28 जनवरी को मौत हो गई थी, जब उनका वाहन कथित रूप से गौरक्षकों द्वारा पीछा किए जाने के बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया था.

परिवार का आरोप है कि वारिस की हत्या गौरक्षकों ने की है, जबकि पुलिस का कहना है कि दुर्घटना में लगी चोटों के कारण उसकी मौत हुई है.

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ेंः ‘क्लीन चिट नहीं’: मोनू मानेसर के भिवानी संदिग्धों की लिस्ट में न होने के बाद राजस्थान पुलिस बैकफुट पर


 

share & View comments