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Thursday, 25 April, 2024
होमदेश'क्लीन चिट नहीं': मोनू मानेसर के भिवानी संदिग्धों की लिस्ट में न होने के बाद राजस्थान पुलिस बैकफुट पर

‘क्लीन चिट नहीं’: मोनू मानेसर के भिवानी संदिग्धों की लिस्ट में न होने के बाद राजस्थान पुलिस बैकफुट पर

भरतपुर के आईजी गौरव श्रीवास्तव ने अपने कर्मियों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में आरोपों से इनकार किया. उन्होंने भरोसा जताया कि हरियाणा पुलिस पेशेवर तरीके से इसकी जांच करेगी.

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गुरुग्राम: बजरंग दल कार्यकर्ता के समर्थन में हिंदू महापंचायतों के आने के बाद भरतपुर के दो मुस्लिम लोगों की हत्या के मामले में वांछित आरोपियों की नई सूची से हरियाणा गौरक्षक मोनू मानेसर का नाम गायब होने पर कई लोगों की भौंहें तन गईं हैं.

राजस्थान पुलिस द्वारा बुधवार को जारी की गई दूसरी सूची में मोनू के अलावा एक अन्य आरोपी लोकेश सिंगला का नाम भी नहीं है.

पहली सूची में रिंकू सैनी, अनिल व श्रीकांत के अलावा पुलिस ने कालू, किशोर, मोनू राणा, विकास आर्य, शशिकांत व गोगी को नामजद किया है. गिरफ्तार किए गए सैनी समेत सभी लोग हरियाणा के रहने वाले हैं.

राजस्थान पुलिस ने स्पष्ट किया है कि मानेसर को क्लीन चिट नहीं दी गई है.

16 फरवरी को भिवानी में एक जली हुई एसयूवी में नासिर और जुनैद के जले हुए अवशेष मिलने के मामले में मुख्य आरोपी मोनू को गिरफ्तार करने के लिए राजस्थान और हरियाणा पुलिस ने पहले ही तलाशी अभियान शुरू कर दिया है.

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भरतपुर के गोपालगढ़ थाने में 16 फरवरी को दर्ज प्राथमिकी में राजस्थान पुलिस ने आरोप लगाया कि मोनू, लोकेश, रिंकू, अनिल और श्रीकांत ने गाय तस्कर होने के संदेह में दो लोगों का अपहरण किया, उनकी पिटाई की और फिर उन्हें जिंदा जला दिया.

इन हत्याओं की जांच कर रही राजस्थान पुलिस को न केवल हरियाणा में उनके खिलाफ एफआईआर का सामना करना पड़ता है, बल्कि गुरुग्राम और नूंह जिलों में स्थित दक्षिणपंथी संगठनों से भी धमकियां मिलती हैं.

हरियाणा पुलिस ने मंगलवार को श्रीकांत पंडित की मां की शिकायत पर एक प्राथमिकी दर्ज की कि एक छापे के दौरान राजस्थान पुलिस द्वारा कथित रूप से मारपीट किए जाने के बाद उनकी गर्भवती बहू का गर्भपात हो गया. मृत बच्चे का शव रविवार को कब्र से निकाला गया.

प्राथमिकी दर्ज होने के कुछ घंटों के भीतर, जिसकी एक प्रति दिप्रिंट के पास है, विश्व हिंदू परिषद ने अपने ट्विटर हैंडल से प्राथमिकी और एक प्रेस नोट ट्वीट किया.

प्रेस नोट का शीर्षक था- ‘राजस्थान पुलिस पर नगीना में हुई एफआईआर, मुह पर तमाचा’- इसे विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल की ओर से जारी किया गया था.

नूंह के पुलिस अधीक्षक वरुण सिंगला से फोन पर संपर्क नहीं हो सका. नूंह जिला पुलिस प्रमुख की प्रतिक्रिया मिलने पर रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.


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‘संदेह के घेरे में मोनू’

इस बीच, भरतपुर रेंज के महानिरीक्षक (आईजी) गौरव श्रीवास्तव ने कहा कि रिंकू सैनी की जांच और पूछताछ के आधार पर, पुलिस ने आठ आरोपियों के नाम जारी किए, जिनकी अपराध में मिलीभगत स्पष्ट थी.

फोन पर श्रीवास्तव ने दिप्रिंट को बताया, “हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि हमने किसी को क्लीन चिट दे दी है. कुछ अन्य लोग भी हैं जिनकी अपराध में संलिप्तता सबूतों के आधार पर स्थापित की जानी है. मोनू मानेसर और लोकेश का नाम भी शामिल है. अपराध में उनकी संलिप्तता स्थापित करने के लिए जांच की जा रही है लेकिन जब तक हमारे पास उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं होंगे, हम किसी का नाम नहीं लेंगे.”

उन्होंने बताया, “यह पूछे जाने पर कि अपराध के तुरंत बाद मानेसर और लोकेश के नाम कैसे सामने आए, श्रीवास्तव ने कहा कि प्राथमिकी प्रारंभिक बिंदु है जो आपराधिक जांच एजेंसियों को गति देती है. जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ती है, सबूत के सामने आते हैं और लोगों की संलिप्तता स्थापित होती है.”

आईजी ने कहा, “जांच के आधार पर, हमने बुधवार को मीडिया को सूचित किया कि हमारी हिरासत में रिंकू सैनी के अलावा इन आठों की संलिप्तता स्पष्ट रूप से स्थापित है. मोनू मानेसर और लोकेश समेत करीब एक दर्जन और लोग शक के घेरे में हैं. लेकिन हम किसी भी व्यक्ति का नाम तभी लेंगे जब हमारे पास अपराध में शामिल होने के स्पष्ट सबूत होंगे.”

श्रीवास्तव ने कहा कि श्रीकांत की तलाश के दौरान उनके कर्मियों ने कुछ भी अवैध या मानवाधिकारों के उल्लंघन में नहीं किया.

उन्होंने कहा, “राजस्थान पुलिस हरियाणा पुलिस के साथ आरोपी श्रीकांत के घर जरूर गई थी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ, जैसा कि एफआईआर में आरोप लगाया गया है. हम एक पेशेवर पुलिस बल हैं और हम पेशेवर तरीके से अपनी जांच कर रहे हैं.”

“प्राथमिकी दर्ज करना व्यक्ति का अधिकार है. लेकिन हम अपने आचरण को लेकर आश्वस्त हैं और हमें विश्वास है कि हरियाणा पुलिस पेशेवर तरीके से प्राथमिकी की जांच करेगी.”

मंगलवार को मानेसर में आयोजित हिंदू महापंचायत में राजस्थान पुलिस को चेतावनी दी गई कि अगर उन्होंने मोनू को गिरफ्तार करने की कोशिश की, तो पुलिस अपने जोखिम पर ऐसा करेगी.

महापंचायत के समर्थकों को जब पता चला कि राजस्थान पुलिस ने मोनू के आवास पर छापा मारा है तो उन्होंने दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया. बाद में, हरियाणा पुलिस ने 150 से 200 अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ राजमार्ग को अवरुद्ध करने और जनता को असुविधा पहुंचाने के लिए प्राथमिकी दर्ज की.

(संपादन: कृष्ण मुरारी)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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