नई दिल्ली: ओडिशा में कभी सिविल सेवा के अभ्यर्थियों के लिए प्रेरणा माने जाने वाले, ओडिशा एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस परीक्षा 2019 के टॉपर अश्विनी कुमार पांडा को शुक्रवार को 15,000 रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया.
जाजपुर जिले के रहने वाले पांडा ने 2021 में सुर्खियां बटोरी थीं जब उन्होंने 2019 की परीक्षा में टॉप किया था. लेकिन राज्य की सतर्कता विभाग द्वारा गिरफ्तारी के बाद उनकी शोहरत बदनामी में बदल गई.
संबलपुर जिले के बामड़ा ब्लॉक में तहसीलदार के तौर पर तैनात पांडा ने कथित तौर पर शिकायतकर्ता से 15,000 रुपये रिश्वत मांगी थी. शिकायतकर्ता ने जमीन को कृषि से आबादी भूमि में बदलने और नामांतरण (रिकॉर्ड में मालिकाना हक अपडेट करने) के लिए आवेदन दिया था.
सतर्कता विभाग के बयान के मुताबिक शिकायतकर्ता एक महीने से पांडा से मंजूरी की मांग कर रहा था. पांडा ने शुरुआत में 20,000 रुपये मांगे थे, जिसे बाद में घटाकर 15,000 रुपये कर दिया.
“जब शिकायतकर्ता ने इतनी बड़ी रिश्वत राशि देने में असमर्थता जताई तो श्री पांडा, तहसीलदार ने रिश्वत घटाकर 15,000 रुपये कर दी और धमकी दी कि अन्यथा नामांतरण और भूमि उपयोग परिवर्तन की अनुमति नहीं देंगे. मजबूर होकर शिकायतकर्ता सतर्कता अधिकारियों के पास गया,” विभाग ने कहा.
“12.09.2025 को जाल बिछाया गया, जिसमें आरोपी अश्विनी कुमार पांडा, ओएएस, तहसीलदार को उनके कार्यालय में सतर्कता टीम ने 15,000 रुपये रिश्वत लेते हुए पकड़ा. यह रिश्वत शिकायतकर्ता से उनके कार्यालय ड्राइवर पी. प्रवीण कुमार के जरिए ली गई थी,” विभाग ने शुक्रवार को एक बयान में कहा.
उनके कार्यालय से रिश्वत की रकम मिलने के बाद विभाग ने उनके कार्यालय, बामड़ा स्थित आवास और भुवनेश्वर में पैतृक घर की तलाशी ली, जहां से 4.73 लाख रुपये मिले.
पांडा जुलाई से बामड़ा में तहसीलदार के रूप में तैनात थे. इससे पहले वे मयूरभंज जिले में इसी पद पर तैनात थे. 2019 में राज्य सिविल सेवा परीक्षा टॉप करने और सुर्खियों में आने के बाद पांडा ने बालासोर कलेक्टर कार्यालय में ट्रेनिंग रिजर्व ऑफिसर (टीआरओ) के रूप में राज्य सिविल सेवा में जॉइन किया था.
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