scorecardresearch
Monday, 6 May, 2024
होमदेशफ्रांसीसी बायोटेक कंपनी वलनेवा भारत में लॉन्च करेगी दुनिया का पहला चिकनगुनिया टीका

फ्रांसीसी बायोटेक कंपनी वलनेवा भारत में लॉन्च करेगी दुनिया का पहला चिकनगुनिया टीका

VLA1553, जिसे व्यावसायिक रूप से Ixchiq के नाम से जाना जाता है, को USFDA की मंजूरी मिल गई है और अब इसे भारत में लॉन्च किया जाएगा. जहां बड़ी संख्या में चिकनगुनिया के मामले देखे गए हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: फ्रांसीसी बायोटेक कंपनी वलनेवा के चिकनगुनिया टीके को पिछले सप्ताह यूएस फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (यूएसएफडीए) द्वारा मंजूरी मिल गई. जिसके साथ ही यह वैश्विक स्तर पर मच्छरों से होने वाली वायरल बीमारी के खिलाफ पहला लाइसेंस प्राप्त टीका बन गया है. बता दें कि कंपनी जल्द ही इस टीके को भारत में लॉन्च करने की योजना भी बना रही है.

कंपनी ने ईमेल के माध्यम से दिप्रिंट द्वारा भेजे गए एक प्रश्न के जवाब में कहा कि वैक्सीन, VLA1553, जिसे व्यावसायिक रूप से Ixchiq के नाम से जाना जाता है, भारत में उपलब्ध कराया जा सकता है.

वलनेवा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जुआन कार्लोस जारामिलो ने दिप्रिंट को बताया, “मैं पुष्टि करता हूं कि हम कोएलिशन फॉर एपिडेमिक प्रिपेयर्डनेस इनोवेशन (CEPI) और ब्राजील में इंस्टीट्यूटो बुटानटन के साथ अपनी साझेदारी के माध्यम से भारत में वैक्सीन उपलब्ध कराने की योजना बना रहे हैं.”

CEPI एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा पहचाने गए उभरते संक्रामक रोगों के खिलाफ टीका विकास में अनुसंधान को वित्त पोषित करता है, जबकि इंस्टीट्यूटो बुटानटन एक जैविक अनुसंधान केंद्र है.

जारामिलो ने कहा कि देश में वैक्सीन उपलब्ध कराने की समय सीमा ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया (डीसीजीआई) के साथ नियामक बातचीत के बाद निर्धारित की जाएगी.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

जारामिलो ने यह भी कहा कि, निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिए Ixchiq को अधिक सुलभ बनाने के लिए, वलनेवा और इंस्टीट्यूटो बुटानटन ने जनवरी 2021 में चिकनगुनिया वैक्सीन के विकास, निर्माण और विपणन के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था.

उन्होंने कहा, “यह सहयोग जुलाई 2019 में CEPI और वलनेवा के बीच हस्ताक्षरित समझौते के अंतर्गत आता है.”

हालांकि, जारामिलो ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि क्या Ixchiq भारत में सरकार के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के माध्यम से उपलब्ध होगा या केवल निजी बाजार में उपलब्ध होगा.

उन्होंने कहा, “आपके सवाल के संबंध में, हम अपने साझेदारों के साथ काम कर रहे हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस समय कोई भी निर्णय लेने से पहले हमें नियामक समयसीमा को ध्यान में रखना होगा.”

यूएसएफडीए ने 9 नवंबर को 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के उन लोगों के लिए Ixchiq को मंजूरी दे दी थी, जिन्हें चिकनगुनिया वायरस के संपर्क में आने का खतरा बढ़ गया था.

यूएसएफडीए के अनुसार, चिकनगुनिया वायरस मुख्य रूप से संक्रमित Aedes मच्छर के काटने से लोगों में फैलता है. Aedes एजिप्टी, डेंगू वायरस भी फैलाता है और यह एक उभरता हुआ वैश्विक स्वास्थ्य खतरा है.

यूएसएफडीए का कहना है कि पिछले 15 वर्षों में वैश्विक स्तर पर चिकनगुनिया संक्रमण के कम से कम 5 मिलियन मामले सामने आए हैं.

यह बीमारी – जिसका नाम किमाकोंडे भाषा के एक शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है “विकृत हो जाना”. यह डेंगू बुखार जैसा दिखता है और इसकी पहचान गंभीर और कभी-कभी लगातार गठिया, बुखार और दाने हैं.

हालांकि यह कम जानलेवा है, लेकिन यह दुर्बल करने वाला और इसका इलाज करना मुश्किल माना जाता है. इसके कारण लगातार लंबे समय तक जोड़ों के दर्द के लिए एनाल्जेसिक (दर्द की दवा) और सूजन-रोधी चिकित्सा की आवश्यकता हो सकती है.

भारत में पहली बार इसका प्रकोप 1960 के दशक में सामने आया था, जिसके बाद इस बीमारी ने 2006 में देश में दोबारा वापसी की.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल (एनसीवीबीडीसी) द्वारा बनाए गए डेटा से पता चलता है कि 2018 के बाद से बीमारी के मामले बढ़े है, जिसमें 2022 में पूरे भारत में 1,48,587 संदिग्ध और 8,067 पुष्ट मामले शामिल हैं.

फरीदाबाद के अमृता अस्पताल में संक्रामक रोग विभाग के सलाहकार डॉ. रोहित कुमार गर्ग के अनुसार, भारत में चिकनगुनिया का प्रकोप कई बार हुआ है.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “संक्रामक रोगों के प्रसार को रोकने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य में टीकाकरण एक महत्वपूर्ण रणनीति है. चिकनगुनिया के खिलाफ एक टीका भारत के लिए बीमारी के बोझ को कम करने और अन्य क्षेत्रों और देशों में वायरस फैलने के खतरे को कम करने में अत्यधिक फायदेमंद होगा, जिससे समग्र आर्थिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रभाव कम हो जाएगा.”


यह भी पढ़ें: क्या सर्जरी का सीधा प्रसारण करना सही है? नियम तय करने के लिए NMC द्वारा पैनल बनाने पर अलग-अलग राय


‘अधिक कारगर’

इस साल जून में द लांसेट में प्रकाशित अमेरिका में Ixchiq के चरण 3 नैदानिक ​​परीक्षणों के नतीजों से पता चला है कि एक खुराक के बाद, वैक्सीन ने 266 प्रतिभागियों में से 263 (98.9 प्रतिशत) में एंटीबॉडी के स्तर को निष्क्रिय करने वाले सेरोप्रोटेक्टिव चिकनगुनिया वायरस को प्रेरित किया.

यूएसएफडीए के अनुसार, Ixchiq को मांसपेशियों में इंजेक्शन द्वारा एकल खुराक के रूप में दिया जाता है.

टीके में चिकनगुनिया वायरस का एक जीवित, कमजोर संस्करण होता है और टीका लगाने वाले में चिकनगुनिया रोग से पीड़ित लोगों के समान लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं.

एजेंसी ने कहा, Ixchiq की प्रभावशीलता अमेरिका में 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों में किए गए एक नैदानिक ​​अध्ययन से प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया डेटा पर आधारित है.

इसमें कहा गया है कि इस अध्ययन में, टीका प्राप्त करने वाले 266 प्रतिभागियों की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की तुलना प्लेसबो प्राप्त करने वाले 96 प्रतिभागियों की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से की गई थी.

यूएसएफडीए ने कहा कि अध्ययन प्रतिभागियों में एंटीबॉडी के स्तर का मूल्यांकन नॉन-ह्यूमन प्राइमेट्स में सुरक्षात्मक दिखाए गए स्तर पर आधारित था, जिन्हें टीका लगाए गए लोगों से रक्त प्राप्त हुआ था और लगभग सभी टीका अध्ययन प्रतिभागियों ने इस एंटीबॉडी स्तर को हासिल किया था.

(संपादन: अलमिना खातून)
(इस खबर को अंग्रज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: क्या कोरोना महामारी के बाद हार्ट अटैक का खतरा बढ़ गया है? स्वास्थ्य मंत्री मांडविया ने लोगों को चेताया


 

share & View comments