(वर्षा सागी)
नयी दिल्ली, 30 अगस्त (भाषा) दिल्ली में लगभग दस में से चार स्कूली छात्र निजी कोचिंग लेते हैं, जो राष्ट्रीय औसत कहीं अधिक है। राष्ट्रीय स्तर पर चार में से एक स्कूली छात्र निजी कोचिंग लेता है। यह बात एक सर्वेक्षण में सामने आई है।
शिक्षा पर किए गए ‘नेशनल सैंपल सर्वे’ (एनएसएस) के व्यापक मॉड्यूलर सर्वेक्षण के अनुसार, कोचिंग लेने वाले छात्रों के अनुपात के मामले में दिल्ली देश में छठे स्थान पर है। शीर्ष पर त्रिपुरा है, जहां 78.6 प्रतिशत छात्रों ने निजी कोचिंग लेने की जानकारी दी। इसके बाद पश्चिम बंगाल और ओडिशा हैं।
रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि दिल्ली में छात्रों की ट्यूशन पर निर्भरता प्राथमिक स्तर से ही शुरू हो जाती है और यह राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है। उच्च स्तर की कक्षाओं के छात्रों के बीच पर यह निर्भरता तेजी से बढ़ जाती है, जहां परिवार कोचिंग पर राष्ट्रीय औसत से कहीं ज्यादा खर्च करते हैं।
सर्वेक्षण में पाया गया कि चालू शैक्षणिक वर्ष के दौरान दिल्ली में 39.1 प्रतिशत छात्र निजी कोचिंग ले रहे हैं या ले चुके हैं, जबकि अखिल भारतीय औसत 27 प्रतिशत है।
यह सर्वेक्षण अप्रैल से जून 2025 के बीच पूरे भारत में आयोजित किया गया। सर्वेक्षण में स्कूल दाखिले, शिक्षा पर घरेलू खर्च और निजी कोचिंग के रुझान से संबंधित राष्ट्रीय स्तरीय डेटा प्रदान किया गया है।
सर्वेक्षण में कंप्यूटर की सहायता से व्यक्तिगत साक्षात्कारों का उपयोग करते हुए ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के 52,085 परिवारों और 57,742 छात्रों से जानकारी एकत्र की गई।
राष्ट्रीय राजधानी में कोचिंग में दाखिला लेने वाली लड़कियों की संख्या लड़कों की तुलना में अधिक है। सर्वेक्षण के अनुसार, 42.7 प्रतिशत लड़कियां और 36.5 प्रतिशत लड़के ट्यूशन ले रहे हैं।
उच्चतर माध्यमिक स्तर पर, दिल्ली के औसतन 59.2 प्रतिशत छात्र कोचिंग ले रहे हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में इन छात्रों की संख्या 61 प्रतिशत है। शहरी क्षेत्रों में 60.3 प्रतिशत लड़के और 61.8 प्रतिशत लड़कियां कोचिंग ले रही हैं। इसके विपरीत, ग्रामीण दिल्ली में यह दर 31.4 प्रतिशत कम रही। उच्चतर माध्यमिक स्तर पर राष्ट्रीय औसत 37.9 प्रतिशत रहा, जो काफी कम है।
माध्यमिक विद्यालय स्तर पर, दिल्ली का कुल आंकड़ा 51.6 प्रतिशत रहा। इनमें 48.1 प्रतिशत लड़के जबकि 54.5 प्रतिशत लड़कियां कोचिंग ले रही हैं।
वहीं, राष्ट्रीय स्तर की बात की जाए तो 37.8 प्रतिशत छात्र माध्यमिक कक्षाओं में कोचिंग ले रहे हैं। माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर कोचिंग में यह उछाल बोर्ड परीक्षाओं और प्रतियोगी प्रवेश परीक्षाओं की वजह से हुआ है।
सर्वेक्षण में पता चला है कि दिल्ली के परिवार कोचिंग पर राष्ट्रीय औसत की तुलना में कहीं ज़्यादा खर्च करते हैं। सभी स्तरों को मिलाकर, दिल्ली में निजी कोचिंग पर प्रति छात्र औसत वार्षिक खर्च 5,643 रुपये है, जबकि अखिल भारतीय स्तर पर यह आंकड़ा 2,409 रुपये है।
भाषा जोहेब नेत्रपाल
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