बिलासपुर, चार दिसंबर (भाषा) पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बृहस्पतिवार को कहा कि ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ की अवधारणा को लागू करना देश के विकास के लिए परिवर्तनकारी साबित होगा।
देश में एक साथ चुनाव को लेकर केंद्र सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष रहे कोविंद आज छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह में शामिल होने से पहले रायपुर हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से बात कर रहे थे।
इस दौरान कोविंद ने जोर देकर कहा कि देश में एक साथ चुनाव कराने से प्रशासनिक संसाधन बचेंगे और शिक्षा व्यवस्था में बार-बार होने वाली रुकावटों को रोका जा सकेगा।
देश में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर उनकी अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंप दी है, जिसके बाद सरकार ने 2024 में लोकसभा में दो संबंधित विधेयक पेश किए।
उन्होंने कहा कि दोनों विधेयक अब संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेज दिए गए हैं, जो उनकी जांच कर रही है।
कोविंद ने कहा कि हर साल राज्यों में बार-बार होने वाले चुनाव प्रशासनिक संसाधन, खासकर शिक्षकों पर भारी बोझ डालते हैं।
उन्होंने कहा, ”मैं मीडिया के ज़रिए अपने देशवासियों को बताना चाहता हूं कि अगर यह अवधारणा (एक राष्ट्र, एक चुनाव) देश में लाई जाती है, तो यह परिवर्तनकारी साबित होगी। भारत के विकास के लिए परिवर्तनकारी होगी।”
कोविंद ने कहा, “मौजूदा चुनाव व्यवस्था में, हर साल पूरे भारत में चार या पांच राज्यों में चुनाव होते हैं, और पूरा प्रशासनिक तंत्र इसमें लग जाता है। इससे खासकर बच्चों की पढ़ाई को सबसे ज्यादा नुकसान होता है, क्योंकि शिक्षक चुनाव के काम में लगे रहते हैं। ज़ाहिर है, अगर वे इन सब चीजों में लगे रहते हैं, तो वे पढ़ाने के लिए समय नहीं दे पाते हैं।”
उन्होंने कहा कि यह अवधारणा देश के विकास और भविष्य के लिए एक बड़ी पहल है।
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि लोगों के साथ समिति की बातचीत के दौरान, यह देखा गया कि देशवासी इस अवधारणा को अपनाने के लिए तैयार हैं।
बाद में, बिलासपुर में अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में बोलते हुए, उन्होंने छात्रों से कहा कि वे अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से जुड़े रहते हुए तेजी से बदलती दुनिया के साथ आगे बढ़ें।
उन्होंने कहा कि आज भारत योग के लिए विश्व में गुरु है। उन्होंने छात्रों से स्वस्थ शरीर और दिमाग के लिए योग और व्यायाम अपनाने की अपील की।
कोविंद ने विद्यार्थियों से जरूरतमंदों की मदद करने की भी अपील की, इसे देश बनाने में एक अहम योगदान बताया।
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, ”हमारे देश की बेटियां बेटों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। यहां, लड़कियों ने आज 52 गोल्ड मेडल जीते हैं, जबकि लड़कों को सिर्फ 14 मेडल मिले हैं। प्रतिशत के हिसाब से, लड़कियों ने 78 फीसदी गोल्ड मेडल जीते।”
कुछ छात्राओं को कई गोल्ड मेडल मिले, जिसे कोविंद ने ‘उभरते भारत’ की झलक बताया।
गांव के स्कूल से राष्ट्रपति भवन तक के अपने सफर को याद करते हुए, कोविंद ने कहा कि शिक्षा ने उनकी जिंदगी बदल दी और उन्हें एक छोटे से गांव से राष्ट्रपति भवन तक पहुंचने में मदद की।
उन्होंने कहा कि वह हाई स्कूल जाने के लिए छह किलोमीटर नंगे पैर चलते थे क्योंकि उत्तर प्रदेश में कानपुर के पास उनके गांव में सिर्फ एक प्राथमिक स्कूल था।
कोविंद ने कहा, ”गर्मियों में मेरे पैर जलते थे, लेकिन मैंने हार नहीं मानी और स्नातक हो गया। यह वह समय था जब पैसे की तंगी की वजह से मैं वर्दी भी नहीं खरीद सकता था। लेकिन इस पढ़ाई की वजह से भगवान ने मुझ पर बहुत कृपा की, और मैं अपनी ज़िंदगी में अच्छा बदलाव लाया, गांव से लेकर राष्ट्रपति भवन तक, देश बनाने में योगदान दिया।”
उन्होंने यह भी कहा कि उनकी आत्मकथा पूरी हो गई है और अगले साल फरवरी में छपने वाली है, जिसमें एक छोटे से गांव से भारत के सबसे ऊंचे पद तक के उनके सफर को बताया गया है।
कोविंद ने छात्रों को अपने ज्ञान और हुनर को बेहतर करते रहने के लिए कहा। उन्होंने इस दौरान स्व-प्रबंधन, भावनात्मक बुद्धिमत्ता और सकारात्मक सोच पर ज़ोर दिया।
इस दौरान राज्यपाल रमेन डेका, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, उप मुख्यमंत्री अरुण साव और उच्च शिक्षा मंत्री टंक राम वर्मा भी मौजूद थे।
भाषा सं संजीव नोमान
नोमान
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.
