छत्तीसगढ़: पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेहद करीबी और 2004 से 2018 तक प्रदेश में 15 वर्ष लगातार रही भाजपा सरकार में पूरा दबदबा रखने वाले नौकरशाह अमन सिंह के खिलाफ चल रही जांचों की फेहरिस्त काफी बड़ी और गंभीर है. दिप्रिंट को मिली जानकारी और पेपर्स से साफ है कि राज्य की आर्थिक अपराध शाखा और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) एक ओर जहां अमन सिंह और उनकी पत्नी यास्मीन सिंह के करीब 10 देशी विदेशी बैंकों के संदिग्ध खातों की गहनता से जांच कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर यास्मीन के खिलाफ आतंकी संगठन सिमी से संबंध, सऊदी अरब और ट्यूनीशिया के नेओम सिटी परियोजना में निवेश, दुबई में दुनिया की सबसे ऊंची और मशहूर बुर्ज खलीफा इमारत में मकान के मामलों में भी अभियोजन जारी है. ईओडब्ल्यू ने 1995 में आईआरएस सेवा में आने के बाद अमन सिंह के खिलाफ कथित तौर पर चली सीबीआई जांचों को भी अपने जांच के दायरे में ले लिया है.
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के प्रमुख सचिव रहे अमन सिंह के खिलाफ शुक्रवार को अगले मंगलवार तक जांच एजेंसी द्वारा किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्यवाही पर रोक लगा दी है.
ईओडब्ल्यू और एसीबी के अधिकारियों ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट से बात करते हुए यह साफ किया है कि अमन सिंह और उनकी पत्नी यास्मीन सिंह के खिलाफ आरोप बहुत ही गंभीर हैं और इस जांच को अंजाम तक पहुंचाया ही जाएगा. अधिकारियों ने बताया कि सिंह दम्पत्ति के खिलाफ करीब आठ शेल कंपनियों, गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) और विदेशी बैंकों के माध्यम से अनैतिक तरीकों से अर्जित किए गए करोड़ो रुपये मनी लॉन्ड्रिंग के तहत ठिकाने लगाने के मामले भी सामने आये हैं, जिनकी जांच शुरू कर दी गयी है. इसके अलावा पूर्व आईआरएस अधिकारी के खिलाफ करीब 10 करोड़ रुपये प्रतिमाह पुलिस, शराब कारोबारियों और अन्य स्रोतों से उगाही गयी रकम के शिकायत की भी जांच की जा रही है.
दिप्रिंट से बात करते हुए ईओडब्ल्यू के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि अमन सिंह और यास्मीन सिंह के खिलाफ शिकायत सिर्फ आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में दर्ज की गयी है. लेकिन आने वाले दिनों में उनके ऊपर आरोप बढ़ सकते हैं, क्योंकि जांच का दायरा भी बढ़ा दिया गया है. अधिकारियों के अनुसार प्रबल संभावना यह भी है कि सिंह दम्पत्ति के खिलाफ चल रही जांच में अन्य एजेंसियों को भी शामिल किया जा सकता है.
संदिग्ध बैंक खाते
ईओडब्ल्यू के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया है कि सिंह दम्पत्ति से संबंधित करीब 9-10 संदिग्ध बैंक खातों की जानकारी उन्हें मिली है. जिसके विषय में पुख्ता सबूत इकट्ठे किये जा रहे हैं. इन खातों में विगत वर्षों में हुए ट्रांजैक्शन की पूरी जानकारी प्राप्त की जा रही है. अधिकारियों का कहना है कि इन खातों का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के तहत करोड़ों रुपये विदेशों में भेजे गए हैं. ईओडब्ल्यू के अनुसार सिंह पर आरोप है कि नया रायपुर क्षेत्र और अंतराष्ट्रीय क्रिकेट के निर्माण में निर्माणदायी जीएमआर कंपनी से उसको ठेके दिलाने के नाम पर बड़ी मात्रा में पैसे लिए गए जिसे ठिकाने लगाने के लिए सीधे विदेशी बैंक खातों में डलवाये गए. जांच एजेंसियां जिन विदेशी बैंकों के खातों के ट्रांजैक्शन की जांच रही हैं उनमें दुबई के मशरेक बैंक, एचएसबीसी अधिकारियों के अनुसार एचएसबीसी बैंक की ग्राहक आईडी 10585936, 10573244 एवं 10065145 के माध्यम से किये लेन-देन उनके विशेष राडार पर हैं.
यह भी पढ़ें : छत्तीसगढ़ में हार के बाद भाजपा में बढ़ी गुटबाजी, पार्टी का हाल है भगवान भरोसे
नियोम और ट्यूनिस इकोनॉमिक सिटी में निवेश
अमन सिंह पर यह भी आरोप है कि उन्होंने गैरकानूनी तरीके से की गई कमाई सऊदी अरब के नियोम सिटी और ट्यूनीशिया के टुनिस इकोनॉमिक सिटी में भी निवेश किया है. अधिकारियों के अनुसार उन्होंने अमन सिंह के उस मेल को ट्रैक कर लिया है, जिसमे उन्होंने ‘इन्वेस्ट इन सऊदी अरेबियास अपकमिंग नियोम सिटी’ के आमंत्रण को जवाब दिया था कि ‘हम आने वाले नियोम सिटी परियोजना में ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक सेक्टर में निवेश की इच्छा रखते हैं.
इन परियोजनाओं के विषय में हमारे द्वारा अपनी स्ट्रेटजी और मैनेजमेंट का निर्धारण आपके आर्थिक उद्देश्य एवं नियमों के अनुसार ही किया जाएगा,’ सिंह अपने मेल में आगे लिखते हैं ‘हमने आपके उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपने अनुभव और तकनीकी प्रणाली का उच्चस्तरीय इस्तेमाल करने के लिए पुख्ता रिसर्च कर एक उत्कृष्ट स्ट्रेटजी का निर्धारण कर लिया है. कृपया नियोम सिटी में निवेश के नियम और शर्तों के साथ सूक्ष्म अंतः जानकारी दें.’ एक जांच अधिकारी का कहना है कि इस मेल से अभियोजन का दायरा और बढ़ गया है लेकिन अभी भी काफी आगे जाना है.
यास्मीन सिंह का सिमी लिंक
ईओडब्ल्यू के अधिकारियों का यह भी कहना है कि अमन सिंह की पत्नी का सिमी से कोई सीधा सबंध तो सामने नहीं आया है. लेकिन उनकी बहन का पति जो कर्नाटक का रहने वाला था इस संबंध में सजा भी काट चुका था. उसके खिलाफ सिमी का सदस्य होने और राष्ट्र विरोधी गटिविधियों में लिप्त होने के गंभीर आरोप हैं. हालांकि, पुलिस का यह भी कहना है सिमी से सबंध के आरोपों के उजागर होने के बाद यास्मीन की बहन का उसके पति का उससे संभवतः अलगाव हो गया है लेकिन इस संबंध में जांच अभी बाकी है.
मनी लॉन्ड्रिंग के लिए बनाई आठ शेल कंपनियां
दिप्रिंट के पास मौजूद साक्ष्यों से यह साफ है कि ईओडब्ल्यू और एसीबी की जांच उन आठ कंपनियों की गतिविधियों और उनके बैंक खातों के माध्यम से हुए लेन-देन की दिशा में चल रही है. ये कंपनियां हैं पावर टेलीवेंचर प्राइवेट लिमिटेड, पौरर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड लॉजिस्टिक सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, व्यास माइंस एंड मिनरल्स एलएलपी, समय मल्टी ट्रेड (इंडिया) एलएलपी, वाईएन सिंह मेमोरियल फाउंडेशन, पावर ऑटो डीलर्स प्राइवेट लिमिटेड और पॉवर इंडस्ट्रीज हैं.
जांच एजेंसी के अनुसार ये सभी कंपनियां सिंह के भाई एवं अन्य रिश्तेदारों के नाम से ही चलाई जाती थी. आरोप है कि व्यास माइंस एंड मिनरल्स के माध्यम से 23 अक्टूबर 2015 को 32 करोड़ रुपये हांगकांग मशीनों की खरीदी के लिए भेजे गए. इसी प्रकार 10 नवंबर 2013 को 8 करोड़ रुपये दुबई के मकरेश बैंक में फेल्डसपार खरीदी के एवज में जमा कराए गए, जबकि अधिकारियों का कहना है कि फेल्डसपार दुबई में मिलता ही नहीं है. ईओडब्ल्यू इस बात की भी जांच कर रहा है कि क्या यह रकम बाद में यास्मीन के नाम ट्रांसफर की गई गयी थी. इसके अलावा 17 सितंबर 2014 को इस कंपनी के खाते में 11 करोड़ रुपये जमा कराए गए. यह रकम किसी जमींदार के नाम से जमा कराई गई थी.
यह भी पढ़ें : आधार से पता चला कि छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत हर चौथा राशन कार्ड फर्ज़ी है
दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार अमन सिंह द्वारा समय मल्टी ट्रेड, सृष्टि नेचरल रिसोर्सेज एंड माइनिंग और व्यास माइंस एंड मिनरल्स को बाद में बिना कोई आईटीआर रिटर्न भरे ही बंद कर दिया. ये तीनों कंपनियां उनके बड़े भाई अरुण सिंह के नाम संचालित की जा रही थी. समय मल्टीट्रेड देश के विभिन्न भागों में 51 कार्यालयों के मध्यम से जमीन का करोबार के लिए गठित की गई थी और सृष्टि नेचुरल रिसोर्सेज एंड माइनिंग ने 80 करोड़ का कोयला खनन में निवेश कर रखा था.
वाईएन सिंह मेमोरियल फाउंडेशन
दिप्रिंट को मिले कागजों से पता चलता है कि अमन सिंह उनके ही द्वारा 2015 में बनाये गए वाईएन सिंह मेमोरियल फाउंडेशन जिसका पंजीयन भोपाल में कराया गया था के प्रोमोटर और 33 प्रतिशत से अधिक के शेयर धारक भी रहे. फाउंडेशन के दो अन्य प्रमोटर उनके भाई अरुण सिंह और असीम सिंह थे. इन दोनों की इस ट्रस्ट में बराबर की हिस्सेदारी थी.
बुर्ज खलीफा में मकान
ईओडब्ल्यू के एक अधिकारी कहना है कि सरकार के निर्देशानुसार जांच में अमन सिंह द्वारा दुबई के मशहूर बुर्ज खलीफा में घर खरीदे जाने की जांच भी साथ-साथ चल रही है. सिंह पर आरोप है कि यह मकान किसी जॉर्ज एनवी के नाम से लिया गया है जो पहले पंचर बनाने का काम करता था. आज की तारीख में जॉर्ज किसी जिओ ग्रुप नामक कंपनी का मालिक है और उसका 14 प्रतिशत शेयर कोचीन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा में भी है.
अमन सिंह के खिलाफ जांच में यह भी आरोप लगाए गए हैं कि नियोम सिटी में निवेश और बुर्ज खलीफा में मकान खरीद के लिए रकम मनी लॉन्ड्रिंग के क्षेत्र में प्रचलित नाम सिराज अज़मत द्वारा दो एनजीओ ‘यूनाइटेड वे’ और ‘कारगिल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ के माध्यम से ट्रांसफर कराया गया था. अज़मत कारगिल इंडिया लिमिटेड का पूर्व चैयरमैन भी है.
ईओडब्ल्यू के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया की एफआईआर एक आरटीआई और सामाजिक कार्यकर्ता उचित शर्मा द्वारा अमन सिंह और यास्मीन सिंह के खिलाफ सरकार को अक्टूबर 2019 में दी गयी लिखित शिकायत के बाद जांच के आधार पर किया गया है.
शर्मा ने अपनी शिकायत में अमन सिंह पर भ्रष्टाचार, मनी लॉड्रिंग, पद का दुरुपयोग करने, आय से अधिक संपत्ति, विदेशों में निवेश, शेल कंपनियों में परिवार के अन्य सदस्यों के नाम बेनामी निवेश और उनके छत्तीसगढ़ इंफोटेक प्रमोशन सोसाइटी (चिप्स) में तैनाती के दौरान भारी अनियमितता बरतने के आरोप लगाए हैं. यास्मीन सिंह के खिलाफ शर्मा ने उनकी ग्रामीण विकास विभाग और पीएचई में संविदा नियुक्ति के दौरान पद का दुरुपयोग और आवश्यकता से अधिक भुगतान करने का आरोप लगाया था. शर्मा की शिकायत को राज्य सरकार ने जांच के लिए ईओडब्ल्यू काे अग्रेषित किया था. ईओडब्ल्यू ने प्राथमिक जांच में पाया कि सिंह दंपति की छत्तीसगढ़ में रायपुर, दुर्ग के अलावा भोपाल और दिल्ली में बड़ी तादात में अचल संपत्ति है.
इसके अलावा गुड़गांव, नोएडा, कर्नाटक और विदेशों में भी अचल संपत्ति होने की संभावना है. जिसकी जांच अभी चल रही है. ईओडब्ल्यू के एक अधिकारी का कहना है कि बार-बार मांगे जाने पर भी यास्मीन सिंह ने उनके द्वारा अर्जित की गई चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा शासन को उपलब्ध नहीं कराया है.
अपराध शाखा द्वारा जांच में यह भी पाया गया कि यास्मीन सिंह को सरकार द्वारा निर्धारित मापदंड को नजरंदाज कर नियम के विरुद्ध नियुक्ति दी गई थी. यास्मीन सिंह की शासकीय विभाग में कार्यरत रहते हुए एक सृष्टि नेचुरल में भी भागीदार थी जिसकी जानकारी उन्होंने शासन को कभी नही दिया. ईओडब्ल्यू के प्राथमिक जांच में आय से अधिक संपत्ति पाए जाने पर दोनों के खिलाफ ब्यूरों में धारा-13 ए बी, धारा-13(2) और 120 ब के तहत विवेचना में लिया गया है.
दिप्रिंट से बात करते हुए शिकायतकर्ता उचित शर्मा कहते है ‘मैं जनता हूं की मैंने यह मोर्चा एक धन-बल से सम्पन्न बहुत ही पहुंचे हुए व्यक्तियों के खिलाफ खोला है, लेकिन एफआईआर दर्ज होने के बाद अब पूरी उम्मीद है कि इनके खिलाफ कार्यवाही होगी.’ शर्मा ने बताया ‘ये लोग इतने पहुंच वाले हैं कि अपने खिलाफ किसी भी कार्यवाही या जांच को प्रभावित करने की पूरी क्षमता रखते हैं परन्तु मुझे प्रदेश की जांच एजेंसी और राज्य सरकार पर पूरा भरोसा है की यह मामला अब अपने अंजाम तक पहुंचेगा.’
कौन हैं अमन सिंह, जिसकी कभी बोलती थी तूती
आईआरएस 1995 बैच के अधिकारी अमन सिंह 2003 में भाजपा द्वारा विधानसभा चुनाव जीतकर रमन सिंह द्वारा सत्ता संभालने के बाद 2005 में केंद्र से प्रतिनियुक्ति पर राज्य में सेवा देने लाये गए. अमन सिंह 2010 तक इस प्रतिनियुक्ति पर रहे, लेकिन इसके बाद आईआरएस से इस्तीफा देकर दिसंबर 2018 में भाजपा की रमन सिंह सरकार के जाने तक संविदा नियुक्ति पर कार्यरत रहे. इस दौरान सिंह मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रमुख सचिव के पद पर कार्यरत रहे.
जानकारों का कहना है कि प्रदेश में उनके करीब 14 साल के सेवाकाल में अमन सिंह की पूरी तूती बोलती थी. अमन सिंह कहने को तो प्रमुख सचिव के मुख्यमंत्री थे, लेकिन उनकी सभी विभागों में पूरी दखलंदाजी थी. सरकार का कोई भी कार्य हो, बड़े से बड़ा फैसला, बड़ी नियुक्ति, उद्योग से संबंधित नीतिगत निर्णय, या फिर अन्य नीति निर्धारण का कार्य अमन सिंह के हामी के बिना संभव नही हो सकता था.
यह भी पढ़ें : पंडितों ने दिलाई भ्रूण हत्या न करने की शपथ, 518 जोड़ों का सरकार ने कराया सामूहिक विवाह
वहीं पूर्व प्रमुख सचिव की पत्नी यास्मीन सिंह वर्ष 2005 से दिसंबर 2010 तक पीएचई और ग्रामीण विकास विभाग में संविदा पर कार्यरत रहीं. दोनों के खिलाफ पद का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार करने और आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की शिकायत की गई थी.
एफआईआर सरकार द्वारा राजनीति से प्रेरित : अमन सिंह
इस मामले में जब अमन सिंह से मीडिया द्वारा संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ सरकार द्वारा ईओडब्ल्यू के माध्यम से कराई जा रही जांच के खिलाफ प्रदेश के उच्च न्ययालय में उनकी एक याचिका लंबित है. सिंह का कहना है सरकार को इस याचिका से संबंधित कोर्ट का आदेश आने तक इंतज़ार किया जाना चाहिए था. अमन सिंह ने ईओडब्ल्यू द्वारा उनके खिलाफ दायर एफआईआर को राजनीति से प्ररित और सरकार द्वारा उन्हें टारगेट करने की नीयत से की गयी कार्यवाही बताया है. उन्होंने ने मुख्यमंत्री का नाम सीधे तौर पर न लेते हुए कहा है की यह कार्यवाही सरकार के मुखिया के इशारे पर की गयी है.
राज्य सरकार के आदेश को हाईकोर्ट में दी गई थी चुनौती
गौरतलब है कि अमन सिंह ने सरकार द्वारा उनके और यास्मीन सिंह के खिलाफ जांच के इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका जनवरी 2020 में दायर की गयी थी. सिंह दंपति ने इस याचिका में उच्च न्ययालय से जांच रोकने को लेकर याचिका लगाई थी. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए पहले 16 जनवरी को न्ययालय ने स्टे दे दिय था, परंतु सरकार का जवाब आ जाने के बाद 10 फरवरी को हुई सुनवाई में जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच ने कहा कि आपराधिक मामलों पर किसी तरह की रोक नहीं होगी और जांच का दायरा और दिशा एजेंसी तय करेगी. इसके बाद ईओडब्ल्यू ने 26 फरवरी को पति-पत्नी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया.