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Thursday, 21 November, 2024
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मणिपुर में मारी गई महिलाओं के अंदर ‘शुक्राणु’ के सबूत नहीं मिले, लेकिन इससे रेप का आरोप खारिज नहीं होता

जातीय हिंसा भड़कने के एक दिन बाद, 4 मई को इंफाल में भीड़ द्वारा दो मणिपुरी महिलाओं पर जानलेवा हमला किया गया. एक महिला की मां ने शिकायत में बलात्कार का आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज करवाया है.

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इंफाल: दिप्रिंट को जानकारी मिली है कि 4 मई को इंफाल पूर्वी जिले के पोरोम्पैट इलाके में कार वॉश के अंदर मणिपुर की दो महिलाओं की कथित हत्या के संबंध में फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की रिपोर्ट से पता चलता है कि उनसे साथ बलात्कार हुआ है इसका कोई सबूत नहीं मिला है.

सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है कि जांच के लिए भेजे गए योनि स्वैब में “कोई वीर्य” या “लार” नहीं पाया गया.

हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह पूरी तरह से पता नहीं लग पाया, लेकिन पाया गया कि “महिला का प्रजनन अंग सही सलामत पाए गए है”.

दोनों ही मामलों में मौत का कारण “घाव और चाकू लगने के कारण अधिक खून बहना” बताया गया. 

हालांकि, कानून के मुताबिक, आईपीसी की धारा 376 या बलात्कार का आरोप तब लगाया जा सकता है, जब कोई पुरुष किसी महिला की योनि, गुदा, मूत्रमार्ग या मुंह में अपना लिंग डालने की कोशिश करता है. 

किसी पुरुष द्वारा “शरीर का कोई हिस्सा (लिंग के अलावा) को किसी महिला की योनि, गुदा या मूत्रमार्ग में किसी भी हद तक डालना भी आईपीसी 376 के तहत अपराध है.”

एक फोरेंसिक विशेषज्ञ ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “ऊपर दिए गए निष्कर्ष मृतक के निजी भागों में किसी भी प्रकार की वस्तु के प्रवेश से इनकार किया गया है. इससे यह भी साबित होता है कि पीड़ित के भीतर किसी भी प्रकार का वीर्य नहीं पाया गया.” 

उन्होंने आगे कहा, “हालांकि, बलात्कार की परिभाषा सिर्फ प्रवेश से आगे बढ़ गई है. यह पुलिस पर निर्भर है कि जांच से क्या सामने आता है. इकट्ठा किए गए सबूतों के आधार पर वे आरोपपत्र में क्या आरोप लगाते हैं और अदालत इसे कैसे देखती है.”

विशेषज्ञ ने आगे कहा, “एफएसएल और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मामले का सिर्फ एक पहलू है.”

महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर काम करने वाली वरिष्ठ वकील अपर्णा भट्ट ने कहा कि, बलात्कार के मामले में सिर्फ मेडिकल रिपोर्ट के अलावा सबूतों को भी ध्यान में रखा जाता है. भले ही मेडिकल रिपोर्ट बलात्कार साबित नहीं करें लेकिन परिस्थिति के हिसाब से हालात को देखना होता है. .

उन्होंने कहा, “कौन जानता है कि शव किन परिस्थितियों में मिला. फॉरेंसिक जांच कभी भी निर्णायक नहीं हो सकता कि किस आधार पर आरोप हटाए जा सकते हैं. साक्ष्यों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए. सिर्फ ‘वीर्य या लार की मौजूदगी नहीं’ कहने से बलात्कार की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.”

मणिपुर पुलिस के एक सूत्र के अनुसार, चूंकि पोस्टमॉर्टम परीक्षा से कोई निर्णायक परिणाम नहीं निकला, इसलिए योनि के स्वाब को आगे की जांच के लिए भेजा गया. सूत्र ने यह भी कहा कि हालांकि आरोप पत्र दाखिल करने के दौरान बलात्कार का आरोप हटा दिया जा सकता है, लेकिन यह अभी भी एफआईआर का हिस्सा बना हुआ है.

उन्होंने कहा, “एफएसएल की एक रिपोर्ट मिली है, जो बताती है कि महिलाओं के साथ बलात्कार नहीं हुआ था. हालांकि, यह इस तथ्य से इनकार नहीं करता है कि भीड़ द्वारा उन पर बेरहमी से हमला किया गया, चाकू मारा गया और उनकी हत्या कर दी गई. चूंकि एक लड़की की मां ने बलात्कार का आरोप लगाया था, इसलिए यह अभी भी यह एफआईआर का हिस्सा है. हम लोगों की पहचान करने और गिरफ्तारियां करने के लिए सभी प्रकार का प्रयास कर रहे हैं.”

अधिकारी ने आगे कहा, “जब जांच पूरी हो जाती है और हम आरोप पत्र दाखिल करते हैं, तो हम कह सकते हैं कि बलात्कार की पुष्टि नहीं की जा सकती. इस मामले में, ऐसा होने की संभावना है क्योंकि घटना के वक्त क्या हुआ था, इसका साक्ष्य प्राप्त करना बहुत मुश्किल है क्योंकि कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं है.”

क्या है मामला

दो महिलाओं, जिसमें एक की उम्र 24 वर्ष और दूसरी उसकी दोस्त थी, जिसकी उम्र 21 वर्ष थी, पर कथित तौर पर भीड़ ने हमला किया. उसे बेरहमी से पीटा गया और उसपर कई बार चाकू से हमला किया गया. इसके बाद कथित तौर पर भीड़ उन्हें इंफाल में कार वॉश से दूर ले गई जहां वे दोनों काम करते थे.

यह घटना मणिपुर में जारी जातीय हिंसा भड़कने के एक दिन बाद 4 मई को हुई, जिसमें अब तक 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.

पुलिस सूत्रों के अनुसार, महिलाएं उसी दिन बेहोशी की हालत में पाई गईं और उन्हें रात करीब 8.30 बजे अस्पताल ले जाया गया, जहां रात करीब 11 बजे के आसपास उनकी मौत हो गई.

मामले की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “महिलाएं बुरी स्थिति में थीं. उन्हें बेरहमी से पीटा गया और उनके शरीर पर चाकू से कई घाव किए गए. हालांकि, उन्होंने हमें अपने नाम बताए और इस तरह हम उनकी पहचान सुनिश्चित कर सके.”

सूत्रों ने बताया कि 6 मई को शवों का पोस्टमॉर्टम किया गया, जिसके बाद डॉक्टरों ने कहा कि मौत का कारण सदमा और चोटों के कारण अधिक खून बहना था.


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यह पता लगाने के लिए कि क्या महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न किया गया था, उनके योनि के स्वाब को आगे की जांच के लिए संरक्षित किया गया था, क्योंकि पोस्टमॉर्टम से इस संबंध में कोई अंतिम परिणाम नहीं निकला था.

महिलाओं की मृत्यु के बाद, पुलिस ने हत्या से संबंधित धाराओं के तहत स्वत: संज्ञान लेते हुए एक प्राथमिकी दर्ज की. इसमें खतरनाक हथियार का उपयोग करके गंभीर चोट पहुंचाना, शील भंग करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल, हत्या के इरादे से अपहरण करना शामिल है. एफआईआर पोरोम्पैट पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी.

16 मई को, एक लड़की की मां की शिकायत के आधार पर, कांगपोकपी जिले के सैकुल पुलिस स्टेशन में एक जीरो एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उनके साथ बलात्कार किया गया था.

सूत्र ने कहा, “लड़की की मां ने बलात्कार का आरोप लगाया और 16 मई को सैकुल पुलिस स्टेशन में एक अलग प्राथमिकी दर्ज की. जब यह हमारे पास आया, तो हमें एहसास हुआ कि हमने इस घटना में 4 मई को ही हत्या का मामला दर्ज कर लिया था, इसलिए हमने दोनों को एक साथ जोड़ दिया.”

दिप्रिंट ने सबसे पहले 12 जुलाई को दो महिलाओं से जुड़ी घटना की रिपोर्ट दी थी. एक सप्ताह बाद, मणिपुर में दो अन्य कुकी महिलाओं (जिनका उल्लेख 12 जुलाई की रिपोर्ट में भी किया गया है) को निर्वस्त्र कर घुमाने का एक वीडियो सामने आया, जिससे पूरे देश में हलचल मच गई.

इसने मणिपुर प्रशासन, केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट को झटका दिया और अंततः उन्हें राज्य में जातीय दंगों के दौरान महिलाओं के खिलाफ हुई यौन हिंसा पर ध्यान देने के लिए मजबूर किया.

लेकिन 26 सेकंड की क्लिप केवल इस बात की एक झलक थी कि कैसे निर्दोष महिलाएं भीड़ का शिकार बन गईं.

‘अंदर बंद कर हमला किया गया’

दिप्रिंट ने दोनों महिलाओं के रिश्तेदारों से भी मुलाकात की, जिन्होंने कहा कि दोनों को कार वॉश के मालिक ने आश्वासन दिया था कि वे वहां सुरक्षित रहेंगी.

महिलाओं में से एक की बहन के अनुसार, उन्होंने आखिरी बार 4 मई को दोपहर 3 बजे के आसपास एक-दूसरे से बात की थी, उसकी हत्या से कुछ घंटे पहले.

बहन ने कहा, छह मिनट की कॉल में, वह काफी डरी हुई थी लेकिन उसने अपने परिवार को आश्वासन दिया कि वह और उसकी सहेली – जो उसी गांव से थी – वहां रुकी हुई थी.

मैतेई बहुल शहर में कर्फ्यू लगा हुआ था और कथित तौर भीड़ कुकियों की तलाश कर रही थी.

महिलाओं में से एक के पिता ने आरोप लगाया कि भीड़ ने विशेष रूप से “कार धोने का काम करने वाली दो कुकियों” के बारे में पूछा. एक प्रत्यक्षदर्शी ने महिलाओं के परिवारों को यह भी बताया कि भीड़ ने उन्हें “एक बिस्तर के नीचे से खींच लिया जहां वे छिपी हुई थीं और उन्हें एक कमरे में ले जाने और अंदर से बंद करने से पहले 10 मिनट तक पीटा”.

परिजनों का आरोप है कि महिलाओं की चीख-पुकार उनके सहकर्मियों ने सुनी, लेकिन कोई उन्हें भीड़ से नहीं बचा सका.

(संपादनः ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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