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Thursday, 23 May, 2024
होमदेश‘बाढ़ प्रभावित किसानों को मूर्ख बनाया जा रहा है’- क्यों विपक्ष 'पोर्टल की सरकार' कहकर खट्टर पर हमलावर है

‘बाढ़ प्रभावित किसानों को मूर्ख बनाया जा रहा है’- क्यों विपक्ष ‘पोर्टल की सरकार’ कहकर खट्टर पर हमलावर है

पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा का कहना है कि किसानों के नुकसान की भरपाई करना हरियाणा सरकार का कर्तव्य है, लेकिन सरकार लोगों की मदद करने के बजाय उन्हें पोर्टल पर आवेदन करने और परेशान कर रही है.

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चंडीगढ़: हरियाणा सरकार की डिजिटलीकरण पहल पर विपक्षी दलों ने ऐसे समय में तीखी आलोचना की है जब राज्य के 22 जिलों में से 12 जिलों के किसान बाढ़ से जूझ रहे हैं. सरकार ने प्रभावित किसानों को राहत देने के लिए पोर्टल आवेदन करने को कहा है.

पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा, जिन्होंने बाढ़ से प्रभावित हरियाणा के कई जिलों का दौरा किया है, ने हाल ही में गुरुवार को रोहतक में मीडियाकर्मियों से कहा कि मनोहर लाल खट्टर सरकार द्वारा शुरू किए गए सभी “जनविरोधी” पोर्टल कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद बंद कर दिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अगले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)-जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) सरकार को सत्ता से बाहर कर देगी. 

कांग्रेस की राज्यसभा सांसद कुमारी शैलजा ने भी उसी दिन बाढ़ प्रभावित सिरसा के दौरे के दौरान राज्य सरकार पर निशाना साधा और कहा कि सरकार पोर्टल के नाम पर “किसानों को बेवकूफ बना रही है”.

सोमवार को मीडियाकर्मियों से बात करते हुए हरियाणा के सीएम खट्टर ने कहा था कि, बाढ़ के कारण फसल बर्बाद होने के चलते किसानों की राहत की मांग को देखते हुए, राज्य सरकार द्वारा एक ऑनलाइन पोर्टल ‘ई-क्षतिपूर्ति’ लॉन्च किया गया है ताकि प्रभावित किसान अपने नुकसान की रिपोर्ट कर सकें. उन्होंने कहा कि एक बार जब किसान ‘ई-क्षतिपूर्ति’ पर अपने नुकसान के बारे में दर्ज करवाते हैं, तो रिपोर्ट करने के एक सप्ताह के भीतर जिला स्तर के अधिकारियों द्वारा सत्यापित किया जाएगा ताकि मुआवजे के वितरण की प्रक्रिया तुरंत शुरू हो सके.

हालांकि, शुक्रवार को दिप्रिंट से बात करते हुए, हुड्डा ने कहा: “हम शासन में डिजिटलीकरण के खिलाफ नहीं हैं. लेकिन यह वह समय है जब आधे से ज्यादा हरियाणा की लाखों एकड़ जमीन बाढ़ के पानी में डूब चुकी है. लोगों के घर ढह गए हैं, जिससे वे छतविहीन हो गए हैं. बाढ़ से हुई क्षति के कारण दुकानदारों का सामान बर्बाद हो गया है. पिछले कई दिनों से उनके पास कोई काम नहीं है. यह सरकार का काम है कि वह उन तक पहुंचे और उनके नुकसान की भरपाई करे. लेकिन सरकार चाहती है कि वे पोर्टल पर आवेदन करें.”

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शैलजा ने दिप्रिंट को बताया कि कई किसानों ने उनसे शिकायत की है कि सरकार ने मुआवजे के लिए साइन अप करने की समय सीमा 31 जुलाई तय की है, लेकिन ‘ई-क्षतिपूर्ति’ पोर्टल ज्यादातर समय काम नहीं करता है.

शैलजा ने कहा, “किसानों के सामने एक और समस्या यह है कि पोर्टल पर अपने नुकसान की रिपोर्ट करने से पहले, उन्हें पटवारी (राजस्व अधिकारी) या किसी अन्य राजस्व अधिकारी के हस्ताक्षर लेने पड़ते हैं. अगर किसानों को अभी भी राजस्व अधिकारियों के पास जाना है, तो पोर्टल का क्या फायदा?” 

उन्होंने कहा कि हरियाणा में पटवारियों की भी भारी कमी है, जिससे समय सीमा नजदीक आने से किसानों की समस्याएं बढ़ गई हैं.

सरकार का ‘मेरी फसल, मेरा ब्यौरा’ पोर्टल, जहां किसान फसल के नुकसान की रिपोर्ट कर सकते हैं, के लिए भी राजस्व अधिकारी से हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है.

हुड्डा ने कहा कि अगर 2024 के विधानसभा चुनाव के बाद हरियाणा में कांग्रेस सरकार सत्ता में आती है, तो “जनता को परेशान करने के लिए बनाए गए सभी पोर्टल” बंद कर दिए जाएंगे.

हुड्डा ने मीडिया से कहा, “डिजिटलीकरण कांग्रेस शासन के दौरान शुरू हुआ जब मैं मुख्यमंत्री था. हमने पंचायतों के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया शुरू की. हालांकि, डिजिटलीकरण का उद्देश्य लोगों के जीवन को आसान बनाना था न कि अधिक असुविधा पैदा करना जैसा कि यह सरकार कर रही है.”

हुड्डा ने कहा, “अगर सरकार को फसल खरीदनी है तो किसान ‘मेरी फसल, मेरा ब्योरा’ के जाल में फंस गए हैं. सरकार द्वारा शुरू की गई ‘प्रॉपर्टी आईडी’ भ्रष्टाचार का बड़ा जरिया बन गई है. सरकार बुजुर्गों की पेंशन रोकने के लिए परिवार पहचान पत्र या परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) का इस्तेमाल एक उपकरण के रूप में कर रही है. और अब, सरकार ने बाढ़ पीड़ितों को मुआवजा देने की जिम्मेदारी से भागने के लिए ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल लॉन्च किया है.”

हुड्डा अक्सर खट्टर सरकार को “पोर्टल की सरकार” कहते रहते हैं.


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‘पोर्टल ने भाई-भतीजावाद को खत्म कर दिया है’

खट्टर ने बुधवार को इस “पोर्टल की सरकार” तंज का जवाब देते हुए कहा था कि उन्होंने इस तंज को गर्व के साथ स्वीकार किया है. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार द्वारा शुरू किए गए पोर्टलों ने हरियाणा के लोगों को घर बैठे विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने का अवसर दिया है.

इस बीच कुमारी शैलजा, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव रणदीप सुरजेवाला और वरिष्ठ कांग्रेस नेता किरण चौधरी ने शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने अपनी एक और डिजिटल पहल – संपत्ति आईडी – के लिए खट्टर सरकार की आलोचना की.

सुरजेवाला ने कहा, “हरियाणा के 88 शहरों में रहने वाले एक करोड़ से अधिक लोगों के जीवन पर आईडी में विसंगतियों के कारण संपत्ति आईडी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. इन त्रुटियों को ठीक कराने के लिए लोगों को रिश्वत देने के लिए मजबूर किया जा रहा है.”

हालांकि, हरियाणा के मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार अमित आर्य ने दावा किया कि 2014 में जब से खट्टर ने मुख्यमंत्री का पद संभाला है, तब से उन्होंने एक ऐसी प्रणाली लाने के लिए काम किया है, जिसमें लोगों को सरकारी योजनाओं से “पारदर्शी तरीके” से लाभ मिले.

उन्होंने कहा, “हालांकि, शुरुआत में लोगों को पोर्टल को समझने में कठिनाई का सामना करना पड़ा, लेकिन अब वे इस प्रणाली के साथ सहज हो गए हैं और ऐसी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं.”

आर्य ने दिप्रिंट से कहा, “हरियाणा में आज 100 से अधिक पोर्टल हैं जहां लोगों को घर बैठे सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ मिलता है. इसने पिछले शासनकाल के दौरान प्रचलित भाई-भतीजावाद को खत्म कर दिया है.”

उन्होंने हरियाणा सरकार की फेसलेस, पेपरलेस और कैशलेस सेवा अंत्योदय सरल पोर्टल का उदाहरण दिया, जिसके माध्यम से नागरिक 600 से अधिक सेवाएं पूरी तरह से डिजिटल रूप से प्राप्त कर सकते हैं.

उन्होंने कहा, “हथियार का लाइसेंस जारी करने या जाति प्रमाण पत्र, मुख्यमंत्री राहत कोष से वित्तीय सहायता, पुलिस से चरित्र सत्यापन, बिक्री कार्यों के पंजीकरण के लिए ऑनलाइन नियुक्ति और कई अन्य सेवाओं के लिए ऑनलाइन काम होने से लोगों को सरकार के चक्कर लगाने की ज़रूरत नहीं है.” 

आर्य ने कहा कि कृषि, उद्योग, व्यापार, वाणिज्य, सामाजिक कल्याण, विकास और कई अन्य क्षेत्रों से संबंधित 100 से अधिक ऐप और पोर्टल खट्टर सरकार द्वारा पेश किए गए हैं. कोई भी व्यक्ति एक क्लिक पर सरकार की 54 विभागों द्वारा दी जाने वाली 684 योजनाओं की जानकारी प्राप्त कर सकता है.

आर्य के अनुसार, ‘मेरी फसल, मेरा ब्योरा’ पोर्टल किसानों के लिए वरदान साबित हुआ है, क्योंकि अब उन्हें अपनी सब्सिडी और मुआवजे के लिए सरकारी कार्यालयों में जाने की जरूरत नहीं है.

उन्होंने कहा, “इसी तरह महामारी के दौरान लॉन्च किए गए कोविड ऐप्स से लोगों को बीमारी के प्रसार के बारे में जानकारी प्राप्त करने, घर पर इलाज पाने और छात्रों की ऑनलाइन शिक्षा में मदद मिली.”

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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