उत्तरकाशी (उत्तराखंड) : उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्कयारा सुरंग ढहने वाली जगह पर बचाव अभियान के 10वें दिन, ढहे हुए हिस्से में एक एंडोस्कोपी कैमरा सफलतापूर्वक डालने के बाद अहम कामयाबी मिली है. फंसे हुए श्रमिकों की पहले विजुअल्स तब सामने आए हैं, जब बचाव दल उनसे संपर्क स्थापित करने की कोशिश कर रहा था.
#WATCH | Uttarkashi (Uttarakhand) tunnel rescue | First visuals of the trapped workers emerge as the rescue team tries to establish contact with them. The endoscopic flexi camera reached the trapped workers. pic.twitter.com/5VBzSicR6A
— ANI (@ANI) November 21, 2023
एंडोस्कोपिक फ्लेक्सी कैमरे से पता चला कि कर्मचारी बचाव दल से बात कर रहे हैं और उन्हें बता रहे हैं कि वे स्वस्थ हैं.
बचाव दल ने सिल्क्यारा सुरंग के अंदर एक पाइपलाइन बिछाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, और मजदूरों के स्वास्थ्य की अपडेट पाने के लिए संचार स्थापित किया गया है.
एक अन्य महत्वपूर्ण मील का पत्थर तब हासिल हुआ जब बचावकर्मी पहाड़ी के ऊपरी हिस्से से एक वर्टिकल ड्रिलिंग मशीन के जरिए सुरंग तक पहुंचे. यह तब सामने आया है जब 41 मजदूर सुरंग के अंदर फंसे हुए हैं.
ड्रिलिंग मशीन के हिस्से लाने वाले ड्राइवर हरबंज ने बताया, इस मशीन को लाने में 13 घंटे और 3 वाहन लगे.
यह बचाव अभियान के 9वें दिन की सफलता है, जब छह इंच चौड़ी पाइपलाइन को ढहे हुए हिस्से के मलबे के जरिए अंदर डाला गया, जिससे फंसे हुए श्रमिकों के लिए एक वैकल्पिक लाइफलाइन तैयार की गई है. घटना के बाद पहली बार इस पाइपलाइन से मजदूरों तक गर्म खिचड़ी भेजी गई.
12 नवंबर को सिल्क्यारा से बारकोट तक एक सुरंग के निर्माण के दौरान इसके 60 मीटर के हिस्से में मलबा गिरने से 41 मजदूर फंस गए थे. ऐसा माना जा रहा है कि मजदूर 2 किमी निर्मित सुरंग के हिस्से में फंसे हुए हैं, जिसका कंक्रीट का कार्य पूरा हो चुका है जो श्रमिकों को सुरक्षा प्रदान कर रहा है. सुरंग के इस हिस्से में बिजली और पानी की सुविधा है और 4 इंच की कंप्रेसर पाइपलाइन के जरिए खाद्य पदार्थ और दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं.
सोमवार को, बचाव अभियान प्रभारी कर्नल दीपक पाटिल ने कहा कि हालांकि उनकी ‘मुख्य चुनौती’ 900 मिमी पाइप के जरिए फंसे हुए लोगों को निकालना है, जिसे बाद, 6 इंच की लाइफलाइन के जरिए सुरंग के अंदर भोजन, मोबाइल और चार्जर भेजने के प्रयास किए जाएंगे.
उन्होंने कहा, “हम चौड़े मुंह वाली प्लास्टिक की बेलनाकार बोतलें ला रहे हैं ताकि हम केले, सेब, खिचड़ी और दलिया भेज सकें.”
बचावकर्मियों ने फंसे हुए श्रमिकों को भेजने के लिए बेलनाकार बोतलों में खिचड़ी भरी.
फंसे हुए मजदूरों के लिए खिचड़ी बनाने वाले रसोइये हेमंत ने बताया कि यह पहली बार है कि मजदूरों के लिए गर्म खाना भेजा जा रहा है.
उन्होंने कहा, “यह भोजन सुरंग के अंदर भेजा जाएगा. यह पहली बार है जब गर्म भोजन भेजा जा रहा है. हम खिचड़ी भेज रहे हैं. हम केवल वही भोजन तैयार कर रहे हैं, जिसके लिए हमें कहा गया है.”
इस बीच, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि फंसे हुए श्रमिकों को निकालने का काम तेजी से चल रहा है और अगर इस दौरान फंसे हुए लोगों का कोई रिश्तेदार आता है, तो सरकार उनकी यात्रा, आवास एवं भोजन की व्यवस्था करेगी.
सोमवार को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा कि फंसे हुए श्रमिकों के लिए बचाव अभियान पूरे जोरों पर है और 2 किमी के दायरे में फंसे श्रमिकों का मनोबल बनाए रखने के प्रयासों के साथ लगातार बातचीत जारी रखी जा रही है.
विज्ञप्ति में कहा गया है कि रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए एक और वर्टिकल पाइपलाइन पर काम कर रहा है.
इसमें कहा गया है कि विभिन्न सरकारी एजेंसियां बचाव अभियान में शामिल हैं और उन्हें निश्चित कार्य सौंपे गए हैं.
इसमें कहा गया है कि वर्टिकल बचाव सुरंग बनाने के लिए एसजेवीएनएल की पहली मशीन सुरंग स्थल पर पहुंच चुकी है और सीमा सड़क संगठन द्वारा रोड की पहुंच पूरी होने के बाद ऑपरेशन शुरू किया जा रहा है..
विज्ञप्ति में कहा गया है कि मलबे के बीच 900 मिमी का पाइप बिछाने का निर्णय लिया गया है, क्योंकि विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार यह सबसे अच्छा और सबसे तेज़ संभव समाधान था.
हालांकि, 17 नवंबर को, ज़मीनी हलचल के कारण, संरचना को सुरक्षित किए बिना इस विकल्प को जारी रखना असुरक्षित हो गया. सभी संभावित मोर्चों पर एक साथ आगे बढ़ने का फैसला लिया गया ताकि श्रमिकों को जल्द से जल्द बचाया जा सके.
जिस इलाके में मजदूर फंसे हैं वह 8.5 मीटर ऊंचा और 2 किमी लंबा है. विज्ञप्ति में कहा गया है, “यह सुरंग का निर्मित हिस्सा है जहां मजदूरों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कंक्रीटिंग का काम किया गया है. सुरंग के इस हिस्से में बिजली और पानी भी उपलब्ध है.”
पांच विकल्प तय किए गए हैं और इन विकल्पों को पूरा करने के लिए 5 अलग-अलग एजेंसियों को लगाया गया है.
विज्ञप्ति में कहा गया है कि एनएचआईडीसीएल कार्य की सुरक्षा व्यवस्था के बाद सिल्क्यारा छोर से ड्रिलिंग जारी रखेगी. इसकी सुविधा के लिए सेना ने बॉक्स पुलिया तैयार की है. श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक छतरीनुमा ढांचा बनाया जा रहा है.
सोमवार को राष्ट्रीय राजमार्ग एवं बुनियादी ढांचा विकास निगम (एनएचआईडीसीएल) के निदेशक अंशू मनीष खुल्को ने कहा कि सुरंग में 6 इंच पाइप लगाए जाने की जानकारी मिलने के बाद फंसे हुए मजदूरों में खुशी का माहौल है.
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