मुकरोह (मेघालय): मंगलवार की सुबह असम पुलिस और इसी राज्य के वन रक्षकों ने कथित तौर पर असम के पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले से लगे मेघालय के पश्चिम जयंतिया हिल्स जिले के मुकरोह गांव में प्रवेश किया और ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं. इस घटना में छह लोगों की जान चली गई थी.
उस दिन जो कुछ भी हुआ था, उस बारे में दोनों राज्यों के अधिकारियों के बयान काफी अलग-अलग हैं, लेकिन इस हादसे से हिले मुकरोह गांव के लोगों में व्याप्त दुख और शोक की कहानी एक जैसी है.
उस दिन की गोलाबारी (फायरिंग) में स्किम स्टेन ने अपने पति थल शादाप में खो दिया था. एक शॉल में लिपटी और एक जर्जर घर के सामने बैठी इस 38 वर्षीय महिला ने कहा,’ ‘मेरे चार बेटे और एक बेटी है. अब मैं उन्हें कैसे पालूंगी … हम धान की खेती करने वाले किसान हैं. हमारे पास कुछ नहीं है.’
49 वर्षीय तलोदा सुमेर, जिनके पति सिक तलंग हादसे में मृत छह लोगों में से एक थे, ने मांग की, ‘हम अपराधी को सजा मिलते देखना चाहते हैं. बस इतना ही.’
असम और मेघालय दोनों सरकारों ने कहा है कि वे किसी केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा मुकरोह फायरिंग की जांच की मांग करेंगे. मंगलवार को हुआ हादसा असम-मेघालय सीमा विवाद से जुडी हिंसक घटनाओं की एक लंबी कतार में नवीनतम घटना है.
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‘असम के पुलिस कर्मियों द्वारा पीटा गया’
गुरुवार की दोपहर, मुक्रोह, जो ग्रामीणों के अनुसार असम-मेघालय सीमा से मात्र पांच से छह किमी की दूरी पर स्थित है, में सन्नाटा छाया हुआ था.
जोवाई के जिला मुख्यालय से 50 किमी दूर पश्चिम जयंतिया हिल्स जिले के एक सुदूर हिस्से के अंदर बसा यह गांव 545 परिवारों का घर है, जिनमें से अधिकांश खासी समुदाय की उप-जनजाति पनार (जिन्हें जयंतिया भी कहा जाता है) से संबंध रखते हैं.
गांव के केंद्र बिंदु से लगभग 200 मीटर की दूरी पर, मेघालय पुलिस के जवान उस जगह पर गश्त कर रहे थे, जहां एक असम वन रक्षक सहित छह लोग मारे गए थे. शेष पांच पीड़ित मुकरोह निवासी – थल शादाप (45), निकसी धर (65), सिक तलंग (55), ताल नर्तियांग (40) और चिरुप सुमेर (40) – थे.
बिद्यासिंग लेखटे के रूप में पहचाने गए वन रक्षक के शव को मेघालय सरकार द्वारा असम को वापस कर दिया गया था.
मंगलवार सुबह जिस जगह पर फायरिंग हुई थी वहां की सड़क में मिट्टी और घास के ढेर पर खून का एक छोटा सा पूल बन कर सूख गया है. मुकरोह के 60 वर्षीय बार्लिन लैंगशियांग ने याद करते हुए कहा, ‘वहां लाशें पड़ी थीं और उन्हीं में से एक सड़क के किनारे बने पत्थर के बैरियर पर भी गिर गई थी.’
ग्रामीणों का दावा है कि असम पुलिस और वन रक्षक बल के जवान 22 नवंबर को रात 2 बजे से 7 बजे के बीच कम से कम दो बार इलाके में घुसे थे . लैंगशियांग ने दावा किया, ‘वे पहली बार आए और तीन लोगों को गिरफ्तार किया, जो सुबह 2 से 3 बजे के आसपास खेत से लौट रहे थे.’
23 वर्षीय बुडकी सुमेर ने दावा किया, ‘ जब उन्होंने (पुलिस और वन रक्षकों ने) हमें अपनी कार से हमें रोका तो हम तीनों एक मारुति 800 में अपने बैग (धान की फसल से भरे) के साथ वापस आ रहे थे. उन्होंने हमें इस बारे में कुछ नहीं बताया कि वे हमें क्यों पकड़ रहे हैं. उन्होंने बस हमें पीटा और पास के असम वन रक्षक चौकी में ले गए. हमें पीटा गया और बिना खाना दिए जानवरों की तरह रखा गया.’
मुकरोह निवासियों का दावा है कि असम के वन रक्षक और पुलिस के जवान कुछ घंटे बाद लौट आए. थवनली सलाहा, जो ग्राम रक्षा समिति का हिस्सा हैं, ने कहा, ‘जिस समय हमें पता चला कि वे हमारे गांव आए हैं, उस वक्त मैं घर पर था . इसलिए, हम मौके पर गए.’
घटना वाले इलाके में पहुंचने वाले लोगों में गांव के मुखिया, सचिव और कई अन्य नेता शामिल थे. गांव के चश्मदीदों के मुताबिक, इस समूह ने पुलिस और वन रक्षकों के साथ बातचीत करने की कोशिश की.
सलाहा ने कहा, ‘लेकिन पुलिस और वन रक्षकों ने अचानक आसमान में गोलियां चलानी शुरू कर दीं.’
इसके बाद ग्रामीण मौके से भाग गए और जब वे कुछ मिनट बाद लौटे तो उन्होंने देखा कि छह लोगों की मौत हो चुकी थी. सुमेर ने आरोप लगाया कि चौकी पर कैद कर के रखे गए लोगों को इन छह मौतों के बाद रिहा कर दिया गया.
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फायरिंग के बाद दोनों पक्षों ने क्या कहा?
संवाद एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट में पश्चिम कार्बी आंगलोंग के पुलिस प्रमुख इमदाद अली के हवाले से कहा गया था कि वन विभाग की एक टीम ने अवैध लकड़ी ले जा रहे एक ट्रक को रोका था. बाद में बुधवार को अली का तबादला कर दिया गया.
उन्होंने समाचार एजेंसी को बताया था कि वाहन के चालक और खलासी तथा एक अन्य व्यक्ति को पकड़ लिया गया था, जबकि अन्य लोग भागने में सफल रहे. साथ ही, उन्होंने कहा कि सुबह करीब 5 बजे अतिरिक्त पुलिस बल लगाया गया था.
इस बीच, असम सरकार ने दावा किया है कि यह घटना लकड़ी की अवैध तस्करी के एक मामले से संबंधित है.
मंगलवार को जारी किये गए एक बयान में कहा गया है, ‘जब ट्रक को रोका गया, तो वन कर्मियों को कुछ अज्ञात बदमाशों ने घेर लिया, जिन्होंने हिंसा का सहारा लिया. अपनी जान बचाने के लिए वन रक्षक दल ने जवाबी फायरिंग का सहारा लिया. इस घटना में तीन नागरिकों और एक वन रक्षक की मौत हो गई.’
बुधवार सुबह मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा अपने कैबिनेट के मंत्रियों के साथ गांव पहुंचे और मृतकों के परिवारों को अनुग्रह राशि सौंपी. संगमा ने गुरुवार को नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की. उन्होंने ट्वीट करके बताया कि शाह ने एक केंद्रीय एजेंसी के तहत जांच समिति गठित करने का आश्वासन दिया था.
Met Hon’ble Union Home Minister, Sh. @AmitShah Ji today with our Cabinet colleagues to apprise him about the unfortunate firing incident in Mukroh village that claimed 6 precious lives.@narendramodi @himantabiswa pic.twitter.com/hAKF1H8vfx
— Conrad Sangma (@SangmaConrad) November 24, 2022
इस बीच असम सरकार ने इस मामले की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं. पश्चिम कार्बी आंगलोंग के एसपी को स्थानांतरित करने के अलावा, इसने प्रभारी अधिकारी, जिरीकिंडिंग पुलिस स्टेशन और खेरोनी वन रेंज के एक वन सुरक्षा अधिकारी को भी निलंबित कर दिया है .
मुकरोह के मुखिया हैंबोइड सुमेर कहते हैं, यह इस तरह की पहली घटना नहीं है. उन्होंने दावा किया कि इसी तरह की घटना पहले जनवरी में भी हुई थी. उन्होंने कहा, ‘उस वक्त लकड़ी से लदा एक पिकअप ट्रक असम से आया था. असम के जवानों ने इस गांव में आकर फायरिंग की थी. लेकिन उस समय किसी की मौत नहीं हुई थी.’
परस्पर विरोधी बयान
इस बीच दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस बारे में विरोधाभासी बयान जारी किए हैं कि क्या यह प्रकरण पहले से चल रहे सीमा विवाद वाले मुद्दे की उपज है?
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बुधवार को कहा कि यह सीमा विवाद का मुद्दा नहीं है, बल्कि ‘असम पुलिस और मेघालय के एक गांव के लोगों के बीच का संघर्ष’ है .
मगर उनके मेघालय समकक्ष कोनराड संगमा का इस बारे में एक अलग दृष्टिकोण था. उन्होंने गुरुवार रात ट्वीट करते हुए कहा, ‘माननीय केंद्र गृह मंत्री के साथ यह (विचार) साझा किया कि इस क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों में तनाव का मूल कारण असम और मेघालय के बीच लंबे समय से लंबित सीमा मुद्दा है.’
यह गोलाबारी (फायरिंग) किस राज्य में हुई है, इसे लेकर भी दोनों पक्षों ने परस्पर विरोधी बयान जारी किए हैं.
मंगलवार शाम जारी किये गए प्रेस व्यक्तत्व में, हिमंत सरमा सरकार ने कहा था कि ‘असम के पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले के जिरीकिंडिंग पीएस (पुलिस स्टेशन) के तहत आने वाले मुखरो में असम के वन अधिकारियों और अज्ञात बदमाशों के बीच गोलीबारी हुई थी.’
लेकिन, दिप्रिंट ने पहले पश्चिम जयंतिया हिल्स जिले के डिप्टी कमिश्नर बटलंग सैमुअल सोहलिया के हवाले से कहा था कि यह क्षेत्र मेघालय के नार्टियांग जिले के अंतर्गत आता है. उधर मुकरोह में, ग्रामीण इस मामले में एक त्वरित समाधान चाहते हैं क्योंकि इससे उनकी आजीविका को खतरा है.
मैप सुमेर, जिन्होंने इस गोलीबारी में अपने साले सिक तलंग को खो दिया था, ने कहा, ‘हमारे खेत सीमा के करीब हैं. अब हम वहां जाने से डर रहे हैं. मेघालय और असम को जल्द ही अपने आपसी मुद्दों का समाधान करना चाहिए. हम यहां मेघालय पुलिस या अर्धसैनिक बटालियन की स्थायी चौकी चाहते हैं.’
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(अनुवाद: रामलाल खन्ना)