हैदराबाद, 23 मार्च (भाषा) हैदराबाद के भोईगुडा स्थित कबाड़ के गोदाम में आज जो हादसा हुआ ,ऐसा लगता है यह होना ही था । इस गोदाम के ऊपरी मंजिल पर बने एक कमरे में बिहार के 12 प्रवासी कामगार रह रहे थे और वहां से निकलने का एकमात्र वही रास्ता था।
जिस कमरे में प्रवासी कामगार रह रहे थे वहां तक जाने के लिए गोदाम के भीतर से ही घुमावदार सीढ़ी थी और वह एक मात्र निकलने का रास्ता था जिसके बगल में ही रसोईघर था।
यह स्थिति और खराब और हो गई जब गोदाम का शटर (भूतल पर) बंद था और बुधवार तड़के आग लगी तब भी वह बंद ही था।
इसलिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि वे अपनी जान बचाने के लिए बाहर नहीं निकल सके। हालांकि, 12 प्रवासी कामगारों में से एक खिड़की से कूदकर अपनी बचाने में सफल रहा। दमकल कर्मी ने बताया कि घटनास्थल पर हृदय विदारक दृश्य था क्योंकि शवों की हालत ऐसी भी नहीं थी कि उनकी पहचान की जा सके और एक साथ पाए गए और संभव है कि धुएं की वजह से पहले वे बेहोश हो गए थे।
अधिकारियों ने बताया कि 12 में से 11 कामगारों की जलकर मौत हो गई और आग के असली कारणों का पता जांच के बाद ही चलेगा। उन्होंने बताया कि घटनास्थल पर जले हुए कबाड़ के सामान जिनमें रद्दी कागज, शराब की बोतल और फाइबर केबल शामिल हैं मिले हैं।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि गोदाम के मालिक ने उन्हें ऊपरी मंजिल में रहने की व्यवस्था की थी लेकिन कोई भी वास्तव में वहां नहीं रह सकता था। उन्होंने बताया कि जब हादसा हुआ तो उस समय 22 से 35 साल उम्र के 12 प्रवासी कामगार कमरे में सो रहे थे।
पुलिस ने बताया कि आग पहले गोदाम में लगी और जल्द ही ऊपर कमरे तक फैल गई।
अधिकारियों ने घटनास्थल को सील कर घेराबंदी की दी है और जला हुआ कबाड़ का सामान गोदाम से निकाल दिया है। उन्होंने बताया कि जीविकोपार्जन के लिए ये प्रवासी कामगार बिहार के छपरा (सारण)और कटिहार जिले के अलग-अलग गांवों से आए थे। इनमें से कुछ गत दो साल से कबाड़ गोदाम में काम कर रहे थे जबकि बाकी हाल में आए थे।
भाषा धीरज उमा
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