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Friday, 3 May, 2024
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वित्त मंत्रालय ने राज्यों से कहा- बैंककर्मियों की सुरक्षा करें, अराजक तत्वों से पूरी सख्ती से निपटें

सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को लिखे एक पत्र में, वित्त मंत्रालय ने बैंक परिसरों में बैंककर्मियों खिलाफ हिंसा की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर उपयुक्त और सुरक्षात्मक कदम उठाने को कहा है.

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नई दिल्ली : बैंककर्मियों के खिलाफ हिंसा की बढ़ती घटनाओं के बीच वित्त मंत्रालय ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को लिखा है कि राज्य प्रशासन अराजकतत्वों के खिलाफ प्रभावी और तात्कालिक कार्रवाई करे.

यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जबकि दो हफ्ते पहले ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सूरत में एक बैंकर पर हमले के मामले में कार्रवाई की बात कही थी.

दिनांक 7 जुलाई वाले इस पत्र में मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग के अतिरिक्त सचिव पंकज जैन ने मुख्य सचिवों से आग्रह किया कि जिला मजिस्ट्रेटों और राज्य पुलिस को सुरक्षात्मक कदम उठाने के लिए निर्देश जारी किए जाएं.

पत्र में लिखा है ‘अपराधियों के खिलाफ राज्यों की दृढ़ता और सख्त कार्रवाई अराजकतत्वों के बीच भय का माहौल बनाने में मददगार साबित होगी और आम लोगों और बैंकिंग समुदाय में विश्वास बहाल होगा.’

पत्र में इस पर जोर दिया गया कि आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति महामारी के दौरान और भी ज्यादा अहम हो गई है.

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पत्र में कहा गया है, ‘हर समय जनता के लिए बैंकिंग सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना सभी घरों में खर्चों की जरूरत पूरी करने और डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से लाभान्वित होने, और व्यापारियों, छोटे कारोबारियों, किसानों, उद्योगों आदि के लिए आर्थिक गतिविधियां संचालित करने के लिहाज से बेहद अहम है.’

इसमें कहा गया है कि बैंककर्मियों को बैंक परिसरों के अंदर धमकाएं जाने की घटनाओं पर सख्त कदम उठाने की जरूरत है.

इसमें आगे कहा गया है, ‘ऐसी घटनाओं से तत्काल और बेहद सख्ती के साथ निपटने की जरूरत है, कानूनों का पूरी ताकत से इस्तेमाल करते हुए ऐसे तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और लोगों में बैंकिंग सेवाओं को अबाधित उपलब्धता का भरोसा बहाल करें.’

दिप्रिंट ने पत्र की एक प्रति देखी है और पुष्टि की कि यह सही है.

हिंसा की घटनाएं

कोविड-19 महामारी के दौरान, नरेंद्र मोदी सरकार सबसे अधिक प्रभावित वर्गों तक राहत पहुंचाने के लिए पूरी तरह बैंकों पर ही निर्भर रही है. महिला जनधन खातों में मासिक 500 रुपये जमा करना हो या सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के लिए 3 लाख करोड़ रुपये के सरकारी-गारंटीयुक्त कर्ज की व्यवस्था, इन पर अमल में बैंक ही सबसे आगे रहे हैं.

हालांकि, पिछले कुछ महीनों में, हुड़दंगी और हिंसक ग्राहकों के कारण कुछ घटनाओं ने बैंककर्मियों में अपनी सुरक्षा को लेकर डर पैदा कर दिया है.

पिछले महीने, सूरत में कैनरा बैंक में काम करने वाली एक महिला बैंकर पर बैंक परिसर में ही एक पुलिस कांस्टेबल द्वारा हमला कर दिया गया था. इस घटना के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को हस्तक्षेप के लिए आगे आना पड़ा, उन्होंने यह मामला राज्य प्रशासन के सामने उठाया.

पत्र, जिसकी प्रति सभी बैंक प्रमुखों को भी भेजी गई है, में बैंकरों से वरिष्ठ बैंक अधिकारियों को ऐसी घटनाओं को तत्काल संज्ञान में लेने और उचित कार्रवाई के लिए आला अधिकारियों से संपर्क साधने का जिम्मा देने को कहा गया है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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