नई दिल्ली: नानावती आयोग ने 2002 गुजरात दंगों के मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रियों को क्लीन चिट दे दी है. नानावती आयोग की रिपोर्ट में 2002 गुजरात दंगों पर कहा कि भीड़ को नियंत्रित करने में कुछ जगहों पर पुलिस अप्रभावी रही जिसकी वजह से इतना बड़ा दंगा हुआ.
गुजरात में 2002 के दंगों पर नानावती आयोग की रिपोर्ट बुधवार को राज्य विधानसभा में पेश की गई. राज्य के गृह मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने सदन में रिपोर्ट पेश की. इस रिपोर्ट को तत्कालीन सरकार को सौंपे जाने के पांच साल बाद सदन में पेश किया गया है.
आयोग की रिपोर्ट का पहला हिस्सा 25 सितंबर, 2009 को विधानसभा में पेश किया गया था. यह आयोग गोधरा ट्रेन अग्निकांड और बाद में फैले सांप्रदायिक दंगों के कारणों की जांच के लिए बनाया गया था.
आयोग ने 1,500 से अधिक पृष्ठों की अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘ऐसा कोई सबूत नहीं मिला कि राज्य के किसी मंत्री ने इन हमलों के लिए उकसाया या भड़काया.’
इसमें कहा गया है कि कुछ जगहों पर भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस अप्रभावी रही क्योंकि उनके पास पर्याप्त संख्या में पुलिसकर्मी नहीं थे या वे हथियारों से अच्छी तरह लैस नहीं थे.
आयोग ने अहमदाबाद शहर में साम्प्रदायिक दंगों की कुछ घटनाओं पर कहा, ‘पुलिस ने दंगों को नियंत्रित करने में सामर्थ्य, तत्परता नहीं दिखाई जो आवश्यक था.’
नानावती आयोग ने दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच या कार्रवाई करने की सिफारिश की है.
साल 2002 में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने दंगों की जांच के लिए आयोग गठित किया था. यह दंगे गोधरा रेलवे स्टेशन के समीप साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन की दो बोगियों में आग लगाए जाने के बाद भड़के थे जिसमें 59 ‘कारसेवक’ मारे गए थे.
राज्य सरकार ने पूर्व आईपीएस अधिकारी आर बी श्रीकुमार की जनहित याचिका के जवाब में यह आश्वासन दिया था. श्रीकुमार ने उच्च न्यायालय से राज्य सरकार को यह रिपोर्ट सार्वजनिक करने का निर्देश देने की दरख्वास्त की थी.
राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक श्रीकुमार ने आयोग के समक्ष हलफनामा देकर गोधरा के बाद फैले दंगे के दौरान सरकार द्वारा कथित निष्क्रियता बरते जाने पर सवाल उठाया था. उन्होंने नवंबर, 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री पटेल को प्रतिवेदन देकर इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की थी.
बता दें कि सेवानिवृत्त न्यायाधीश जी टी नानावती और अक्षय मेहता ने 2002 दंगों पर अपनी अंतिम रिपोर्ट 2014 में राज्य की तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को सौंपी थी. इन दंगों में 1000 से अधिक लोग मारे गए थे जिनमें से अधिकतर अल्पसंख्यक समुदाय के थे.
(भाषा के इनपुट्स के साथ)