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Sunday, 24 November, 2024
होमदेश‘लाठियों से लड़ रहे हैं’ — भक्त क्यों चाहते हैं कि ‘RSS के लोग’ केरल के इस मंदिर को छोड़ दें

‘लाठियों से लड़ रहे हैं’ — भक्त क्यों चाहते हैं कि ‘RSS के लोग’ केरल के इस मंदिर को छोड़ दें

हाई कोर्ट में दायर रिट याचिका में आरोप लगाया गया है कि आरएसएस के सदस्य होने का दावा करने वाले लोग केरल के चिरयिनकीष में सरकारा देवी मंदिर के परिसर पर अवैध रूप से कब्ज़ा कर रहे हैं, जिससे ‘शांत माहौल’ खराब हो रहा है.

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तिरुवनंतपुरम: केरल के सरकरा देवी मंदिर के भक्त एक साधारण मांग के साथ केरल हाई कोर्ट गए हैं — राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को मंदिर के परिसर से बाहर निकालने की.

हाई कोर्ट में दायर एक रिट याचिका में आरोप लगाया गया है कि आरएसएस के सदस्य होने का दावा करने वाले कुछ लोग मंदिर परिसर में अवैध रूप से कब्ज़ा कर रहे हैं, बड़े पैमाने पर अभ्यास कर रहे हैं और सदस्यों को हर शाम 5 बजे से देर रात 12 बजे के बीच मंदिर के मैदान में हथियारों से लड़ने की ट्रेनिंग दे रहे हैं.

याचिका में कहा गया है कि उनकी गतिविधियां मंदिर की शांति को भंग करती हैं और भक्तों और यहां आने वालों को डराती हैं. इसमें यह भी कहा गया है कि “अप्रिय गंध” और “मंदिर परिसर के भीतर ‘हंस’ और ‘पान मसाला’ जैसे तंबाकू उत्पादों का बार-बार उपयोग” पूजा स्थल की “स्वच्छता, पवित्रता और दिव्यता” को प्रभावित करता है.

याचिका के अनुसार, वो लोग खुद को आरएसएस के सदस्य होने का दावा करते हैं — मंदिर में “प्रार्थना के दौरान ध्यान बनाए रखने के लिए आवश्यक मानसिक तनाव, पीड़ा और वातावरण को अशांत” कर रहे हैं.

Land behind Sarkara Devi temple cordoned off | Vandana Menon | ThePrint
सरकारा देवी मंदिर के पीछे की ज़मीन की घेराबंदी | वंदना मेनन/दिप्रिंट

आरएसएस के राज्य सचिव पी.एन. ईश्वर ने कहा,“हमें इस बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है और इसलिए हमने कोई हलफनामा भी दायर नहीं किया है.” उन्होंने आगे कहा, “हमने मामले पर गौर किया है, लेकिन इस स्तर पर हम आगे कोई टिप्पणी नहीं कर सकते.”

कथित आरएसएस सदस्यों का ज़िक्र करते हुए दो याचिकाकर्ताओं में से एक, 68-वर्षीय जी व्यासन ने कहा, “हमें उनके द्वारा मंदिर के मैदान का उपयोग करने में कोई समस्या नहीं है, लेकिन जिस तरह से वे इसका इस्तेमाल करते हैं वह अपमानजनक है.”

व्यासन हर दिन मंदिर जाते हैं और उन्होंने कहा कि वह रोज़ाना इस अभ्यास को देखते हैं. सामूहिक अभ्यास का संचालन करने वाले लोग लाठियों का उपयोग करते हैं और जैसा कि वह वर्णन करते हैं, कुछ दिन के समय में ‘नकली लड़ाई’ करते हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर, उन्होंने आगे कहा, वे मंदिर परिसर में घूमते हैं और आम तौर पर शराब पीने और तंबाकू का सेवन करने के बाद अशांति पैदा करते हैं.

Wrappers of tobacco products, bottle of liquor lying around on temple grounds | Vandana Menon | ThePrint
मंदिर परिसर में इधर-उधर पड़े तंबाकू उत्पादों के रैपर, शराब की बोतलें | वंदना मेनन/दिप्रिंट

मंदिर के ठीक पीछे की ज़मीन पर आयोजित अभ्यास, जिसे जंजीरों और चट्टानों के अस्थायी अवरोधक से घेर दिया गया है, 20 जून को रिट याचिका दायर होने के बाद से बंद हो गया है.

मंदिर के एक पूर्व सचिव, अजय कुमार ने दिप्रिंट को बताया कि अभ्यास करने वाले लोगों ने खुद ही अवरोध का निर्माण किया था. उन्होंने आरोप लगाया कि वे किसी भी अन्य भक्त या आगंतुक को उस स्थान का उपयोग करने की अनुमति नहीं देते थे और शाम 5 बजे के आसपास इकट्ठा होते थे और बाकी शाम वहीं बिताते थे और रात में शराब पीते थे.

दिप्रिंट ने मंदिर परिसर में शराब की खाली बोतलें, तंबाकू के फटे पैकेट और पटाखों के गोले जैसी कुछ चीज़ें देखीं हैं.

Firecracker shells lying on land behind temple | Vandana Menon | ThePrint
मंदिर के पीछे ज़मीन पर पड़े पटाखों के गोले | वंदना मेनन/दिप्रिंट

यह रेखांकित करते हुए कि सरकारा देवी मंदिर की देवी भद्रकाली हैं, एक भक्त ने कहा, “वे लोग आते हैं और हर समय ‘जय श्री राम’ चिल्लाते हैं. मुझे समझ नहीं आता क्यों, यह एक देवी मंदिर है!”


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‘उन्हें लड़ते, अभ्यास करते देखा’

सरकरा देवी मंदिर तिरुवनंतपुरम से लगभग एक घंटे की दूरी पर स्थित चिरयिनकीष शहर के मुख्य आकर्षणों में से एक है.

तकनीकी रूप से मंदिर की भूमि त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड (टीडीबी) की है, जो एक स्वायत्त निकाय है जो प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर सहित लगभग 1,200 मंदिरों का प्रबंधन करता है. टीडीबी ने पहले इस साल मार्च में उन सभी मंदिरों को एक परिपत्र जारी किया था, जिनकी वे देखरेख करते हैं, जिसमें उन्हें मंदिर के मैदानों पर आरएसएस द्वारा आयोजित सामूहिक अभ्यास और ऐसी अन्य गतिविधियों की अनुमति नहीं देने का निर्देश दिया गया था.

18 मई 2023 को जारी नवीनतम परिपत्र में कहा गया है कि जो देवास्वोम अधिकारी इसका पालन नहीं करेंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

Sarkara Devi temple in Kerala's Chirayinkeezhu | Vandana Menon | ThePrint
केरल के चिरयिनकीष में सरकारा देवी मंदिर | वंदना मेनन/दिप्रिंट

लेकिन चिरयिनकीष में आरएसएस पदाधिकारियों ने परिपत्र को नज़रअंदाज कर दिया और मंदिर परिसर का उपयोग जारी रखा — यही कारण है कि स्थानीय लोगों ने अब अदालतों का रुख किया है.

याचिका में नामित आरएसएस सदस्य कथित तौर पर हथियारों के साथ मंदिर में प्रवेश कर रहे हैं और अपने गुर्गों के साथ अधिकारियों को धमका रहे हैं. कुमार के अनुसार, मंदिर का मैदान तिरुवनंतपुरम जिले के आरएसएस सदस्यों के लिए स्थानीय अड्डा बन गया है.

कुमार ने कहा, “प्रत्येक सदस्य की पहचान करना कठिन है, लेकिन आमतौर पर कम से कम 20 लोग आते हैं और यहां घूमते हैं.” “उन्होंने मैदान के एक हिस्से को भी घेर लिया है और कहते हैं कि उनके अलावा कोई भी इसका उपयोग नहीं कर सकता है. मैंने उन्हें एक-दूसरे से लाठियों से लड़ते और नारेबाज़ी के साथ अभ्यास करते देखा है.”

Land behind Sarkara Devi temple cordoned off | Vandana Menon | ThePrint
सरकारा देवी मंदिर के पीछे की जमीन की घेराबंदी | वंदना मेनन | दिप्रिंट

एक भक्त ने कहा कि उसने इन लोगों को दरांती और ऐसे अन्य “हथियार” का उपयोग करते देखा है और कहा कि महिलाओं और बच्चों ने शाम को हमला होने के डर के बारे में शिकायत की है.

चिरयिनकीष के स्थानीय निवासी वकील राजेंद्रन ने कहा, “आरएसएस मंदिर को अपने नियंत्रण में रखना चाहता है, लेकिन उनके पास ऐसा करने का कोई कानूनी आधार नहीं है.” समुदाय के एक पुराने सदस्य, राजेंद्रन ने कई लोगों द्वारा मदद की अपील करने के बाद रिट याचिका दायर की.वे कोच्चि स्थित वकील निखिल शंकर के साथ मामले के सह-वकील हैं.

राजेंद्रन के अनुसार, आरएसएस वर्षों से मंदिर परिसर का उपयोग कर रहा है और इसे रोकने के लिए कई अनुरोधों को नज़रअंदाज कर दिया है. उन्होंने कहा, “क्योंकि वो लोग रुके नहीं हैं इसलिए समुदाय ने यह कदम उठाने का फैसला किया है.”

राजेंद्रन के अनुसार, यह तिरुवनंतपुरम, अलाप्पुझा और पथानामथिट्टा में एक मुद्दा है. चिरायिनकिष में मंदिर अधिकारियों और स्थानीय पुलिस दोनों ने कथित तौर पर लोगों को सरकारा देवी मंदिर में ऐसी गतिविधियों को रोकने की चेतावनी दी है.

बुधवार को टीडीबी के स्थायी वकील ने हाई कोर्ट को बताया कि वे ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए मंदिर परिसर में एक गेट लगाने का प्रस्ताव रखते हैं.


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सरकारा देवी मंदिर का महत्व

प्रसिद्ध सरकारा देवी मंदिर दक्षिणी भारत में भक्तों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य है. वहां का बड़ा मैदान दो हाथियों और कई आवारा कुत्तों का घर है और स्थानीय लोग अक्सर उस परिसर को सामुदायिक स्थान के रूप में उपयोग करते हैं.

वर्किंग डे की भरी दोपहर में भी लड़के मैदान के एक हिस्से में क्रिकेट खेल रहे थे, जबकि अन्य लोग मंदिर के बड़े पेड़ों के नीचे बातें कर रहे थे.

मंदिर के पीछे की जगह को घेरने के फैसले ने समुदाय के अधिकांश सदस्यों को नाराज़ कर दिया है.

यह मंदिर 1748 में तब प्रसिद्ध हुआ जब त्रावणकोर के राजा अनिज़म थिरुनल मार्तंड वर्मा ने मंदिर में कलियूत उत्सव आयोजित करना शुरू किया. किंवदंती है कि कायमकुलम राज्य पर कब्ज़ा करने के रास्ते में त्रावणकोर के शासक उस स्थान पर आराम करने के लिए रुके थे — यह एक निरर्थक प्रयास था, क्योंकि वह पिछले कई अभियानों में राज्य को जीतने में विफल रहे थे.

लेकिन इस बार उन्होंने युद्ध जीतने में मदद करने के लिए चिरयिनकीष देवता से प्रार्थना की और विजयी होने पर साल की फसल उन्हें अर्पित करने का वादा किया. वे जीत गया और इस तरह कलियूत उत्सव की शुरुआत हुई.

मूल रूप से केवल उत्तरी मालाबार में प्रचलित — त्रावणकोर के उत्तर में स्थित — यह त्योहार नौ दिनों तक चलता है और इसमें राक्षस धारिका के खिलाफ भद्रकाली की जीत का नाटकीय प्रतिनिधित्व शामिल है.

अत्टिंगल की रानियों को इस वार्षिक उत्सव के आयोजन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जो फरवरी और मार्च के बीच मलयालम महीने कुंभम के दौरान होता है — जब साल की पहली फसल देवी भद्रकाली को अर्पित की जाती है. सरकारा देवी मंदिर मीनाभरणी उत्सव का भी आयोजन करता है.

मंदिर का स्थानीय लोगों के बीच प्रसिद्धि का एक और दावा है: यह चिरयिनकीष के मूल निवासी प्रेम नज़ीर का पसंदीदा स्थान था, जो प्रसिद्ध फिल्म स्टार थे जिन्होंने मलयाली सिनेमा को आकार दिया था. नज़ीर ने सरकारा देवी मंदिर को एक हाथी भी दान में दिया है.

कुमार ने कहा, “इस मंदिर में हर कोई आता है — न केवल हिंदू, बल्कि मुस्लिम और ईसाई भी. यह मंदिर सभी के लिए खुला है और ऐसा ही रहना चाहिए. आरएसएस को उस स्थान को अपना घोषित करने का कोई अधिकार नहीं है.”

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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