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Thursday, 9 May, 2024
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सरकार की किसान नेताओं के साथ आज होगी पांचवें दौर की बातचीत, नहीं बनी बात तो तेज होगा आंदोलन

नए कृषि कानून को वापस लेने की मांग के साथ हरियाणा पंजाब और यूपी के किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. किसान नेताओं ने प्रदर्शन और तेज करने और आठ को भारत बंद का एलान किया है.

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नई दिल्ली: नये कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए सरकार और किसान नेताओं की पांचवें दौर की वार्ता शनिवार को होगी. बता दें किसान आज दसवें दिन भी दिल्ली के विभिन्न बॉर्डरों पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश इस बैठक में उपस्थित होंगे. ये उन बिंदुओं पर विचार-विमर्श करेंगे जो किसान नेताओं ने उठाए थे और उसका समाधान पेश करेंगे.

सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने उन प्रावधानों के संभावित समाधान पर काम किया है, जिन पर कृषि नेताओं ने आपत्तियां जताई हैं. सरकार ने शनिवार को गतिरोध भंग होने की उम्मीद जताई है ताकि किसानों का विरोध प्रदर्शन जल्द से जल्द खत्म हो.

वहीं दूसरी तरफ यूपी बिहार पर डटे यूपी के किसानों ने केंद्र के किसान कानून के खिलाफ चीला बॉर्डर (दिल्ली-नोएडा लिंक रोड) पर किसानों ने धरना जारी रखा है.

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एक किसान ने कहा है, ‘अगर केंद्र सरकार के साथ आज की बैठक में कुछ भी ठोस नहीं हुआ तो हम संसद का घेराव करेंगे.’

दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने कहा कि किसान के विरोध के कारण एनएच -24 पर गाजीपुर बॉर्डर (यूपी-दिल्ली बॉर्डर) गाजियाबाद से दिल्ली के लिए बंद है.

बृहस्पतिवार को पिछली बैठक में, तोमर ने 40 किसान संगठनों के नेताओं को आश्वासन दिया था कि सरकार एपीएमसी (कृषि उपज बाजार समिति) मंडियों को मजबूत करने, प्रस्तावित निजी बाजारों के साथ प्रतिस्पर्धा का समान स्तर बनाने और विवाद समाधान के लिए उच्च न्यायालयों का दरवाजा खटखटाये जा सकने का प्रावधान करने के लिए खुले मन से विचार करने को तैयार है. सरकार ने इस बात पर जोर दिया था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद व्यवस्था जारी रहेगी.

लेकिन किसान कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं. उनका कहना है कि इन कानूनों में कई खामियां और कमियां हैं और इन्हें संशोधन नहीं किया जा सकता है.

यह देखने की जरूरत है कि क्या किसान नेता, सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले समाधानों को स्वीकार करेंगे और अपने विरोध प्रदर्शन को समाप्त करेंगे.

इस बीच, भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने धमकी दी है कि अगर सरकार मांगों को पूरा करने में विफल रही तो किसानों का आंदोलन तेज होगा.

टिकैत ने कहा, ‘बृहस्पतिवार को हुई बैठक के दौरान सरकार और किसान किसी भी निर्णय पर नहीं पहुंच पााये. सरकार तीन कानूनों में संशोधन करना चाहती है, लेकिन हम चाहते हैं कि कानूनों को पूरी तरह से निरस्त किया जाए.’

उन्होंने कहा, ‘यदि सरकार हमारी मांगों पर सहमत नहीं होती है, हम विरोध जारी रखेंगे. हम यह देखना चाह रहे हैं कि शनिवार की बैठक में क्या होता है.’ किसानों ने आशंका व्यक्त की है कि नए कानून ‘किसान विरोधी’ हैं, और ये एमएसपी प्रणाली को खत्म करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे तथा किसानों को बड़े निगमित कंपनियों (कार्पोरेट) की रहम पर छोड़ दिया जायेगा.

हालांकि, सरकार कह रही है कि नए कानून किसानों को बेहतर अवसर प्रदान करेंगे और कृषि में नई तकनीकों की शुरूआत करेंगे.


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आर्थिक सहायता

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की अध्यक्ष बीबी जागीर कौर ने किसान आंदोलन के दौरान अलग-अलग कारणों से अपनी जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों को एक-एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा शुक्रवार को की.

एसजीपीसी प्रमुख ने कहा कि शीर्ष गुरुद्वारा निकाय केंद्र के विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर विरोध कर रहे किसान समुदाय को कोई भी मदद देने के लिए हमेशा प्रतिबद्ध है.

कौर के मुताबिक प्रदर्शन के दौरान अब तक कुल सात किसानों की मौत अलग-अलग कारणों से हुई है और एक-एक लाख रुपये उनके परिजनों को दिए जाएंगे.

उन्होंने कहा कि एसजीपीसी विरोध में शामिल हुई महिलाओं के लिए अस्थायी शौचालय उपलब्ध कराएगी.

कौर ने कहा कि एसजीपीसी के अधीन सभी ऐतिहासिक गुरुद्वारे सोमवार को किसानों की कुशलता के लिए प्रार्थना समारोह का आयोजन करेंगे.


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