नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ जहां दिल्ली के बॉर्डरों पर जहां पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान पिछले 23 दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ अब किसानों को समझाने का काम पीएम मोदी ने संभाल लिया है. पीएम मोदी गुजरात के बाद आज मध्यप्रदेश के किसानों से बातचीत करेंगे.
आज मध्यप्रदेश के किसानों की बातचीत को देखते हुए 35 लाख किसानों के बीच फसल में हुए नुकसान की भरपाई के लिए 1,600 करोड़ रुपये वितरित किए जाएंगे. पीएम की किसानों से यह मुलाकात वर्चुअल होगी जिसकी खासतौर पर व्यवस्था की गई है. किसानों और प्रधानमंत्री की इस बातचीत का राज्य की 23 हजार ग्राम पंचायतों में सीधा प्रसारण किया जाएगा.
Prime Minister Narendra Modi to address farmers of Madhya Pradesh through video conferencing today.
(file pic) pic.twitter.com/eNVUt1r41t
— ANI (@ANI) December 18, 2020
किसान आंदोलन का 23वां दिन
पीएम मोदी इस कार्यक्रम में किसानों को नए कृषि कानूनों के फायदे भी गिनाएंगे. बता दें कि दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के पिछले 23 दिन से चल रहे आंदोलन के बीच सरकार अलग-अलग राज्यों के किसान संगठनों को साधने में जुटी है. इस क्रम में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पांच करोड़ गन्ना किसानों को सब्सिडी देने और पुरानी सब्सिडी का एक हफ्ते के अंदर भुगतान करने की घोषणा की थी.
पांच दौर की हुई बैठक में एक ओर जहां सरकार कानून में बदलाव करने को राजी है, लेकिन किसान इसे काला कानून कहकर रद्द करने की मांग पर अड़े हैं.
वहीं दिल्ली में बढ़ती शीतलहर को देखते हुए किसानों ने इससे बचने की तैयारियां भी शुरू कर दी है और इस बीच उन्होंने इस बीच बातचीत के लिए पीएम मोदी को आने की बात भी कही है. किसान मजदूर संघर्ष कमीटी पंजाब के दयाल सिंह ने कहा, ‘ प्रधानमंत्री को किसानों से बात करनी चाहिए और किसान कानून को वापस लेना चाहिए. ‘ सिंह ने कहा कि कानून के खिलाफ जारी लड़ाई में हमलोग हर मानने वाले नहीं है.
दिल्ली में बढ़ी शीत लहर के बीच किसान ठंड से बचने के लिए तैयारियां बढ़ा दी हैं. एक प्रदर्शनकारी ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा,’ हमने इस ठंड में भी लंबे समय तक लड़ाई जारी रखने की तैयारी कर रखी है. जब तक काले कानून को वापस नहीं लिया जाता हम यहां से हिलने वाले नहीं है.’
प्रदर्शनकारी ने कहा चूंकि ठंड बढ़ रही है इसलिए हमलोग ठंड से बचाव के लिए और टेंट लगा रहे हैं.
यह भी पढ़ें: MSP की लड़ाई में न फंसे- भारत को WTO कानूनों में मौजूद असमानता को दूर करने का प्रयास करना होगा
खुला खत
बता दें कि कल कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों के नाम एक खुला पत्र भी लिखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि मोदी सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि नए कृषि कानूनों का लक्ष्य छोटे एवं सीमांत किसानों को फायदा पहुंचाना है.
पीएम मोदी ने नरेंद्र सिंह तोमर के इस पत्र को रीट्वीट करते हुए उनके ‘विनम्र संवाद का प्रयास’ बताया और किसानों से उसे पढ़ने का आग्रह किया.
कृषि मंत्री @nstomar जी ने किसान भाई-बहनों को पत्र लिखकर अपनी भावनाएं प्रकट की हैं, एक विनम्र संवाद करने का प्रयास किया है। सभी अन्नदाताओं से मेरा आग्रह है कि वे इसे जरूर पढ़ें। देशवासियों से भी आग्रह है कि वे इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं। https://t.co/9B4d5pyUF1
— Narendra Modi (@narendramodi) December 17, 2020
मोदी ने ट्वीट किया, ‘ कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर जी ने किसान भाई-बहनों को पत्र लिखकर अपनी भावनाएं प्रकट की हैं, एक विनम्र संवाद करने का प्रयास किया है. सभी अन्नदाताओं से मेरा आग्रह है कि वे इसे जरूर पढ़ें. देशवासियों से भी आग्रह है कि वे इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं.’
तोमर ने कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों पर तीन नए कृषि कानूनों को लेकर भ्रम फैलाने का आरोप लगाते हुए आंदोलनरत किसानों से इस ‘सफेद झूठ’ से बचने की सलाह दी और उन्हें आश्वस्त किया कि सरकार उनकी सभी चिंताओं को दूर करने को तैयार है.
बता दें कि अभी तक किसानों संघों और नेताओं के बीच पांच दौर की बातचीत हो चुकी है जबकि छठे दौर की बातचीत कैंसिल हो गई थी. तोमर, केंद्रीय मंत्रियों–पीयूष गोयल और सोम प्रकाश–के साथ करीब 40 किसान संघों के साथ वार्ता का नेतृत्व कर रहे हैं.
तोमर ने आश्वस्त किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रहेगा और मंडी प्रणाली मजबूत की जाएगी. उन्होंने वामपंथी दलों पर हमला करते हुए कहा कि वे आज भी 1962 की भाषा बोल रहे हैं जो उन्होंने चीन के खिलाफ लड़ाई के दौरान उस वक्त इस्तेमाल की थी.
(भाषा के इनपुट्स के साथ)
यह भी पढ़ें: भाजपा ने केजरीवाल का कृषि कानूनों की प्रतियों के फाड़ने को बताया ‘राजनीतिक स्टंट’